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सिर्फ तेजस ही नहीं, इन ट्रेनों के लेट होने पर भी यात्री ले सकते हैं मुआवजा

एडवोकेट कालिका प्रसाद काला ने बताया कि अगर कोई ट्रेन लेट होती है तो कंज्यूमर फोरम में केस करके मुआवजा ले सकता है.

ट्रेन लेट होने पर मिल सकता है मुआवजा (प्रतीकात्मक तस्वीर) ट्रेन लेट होने पर मिल सकता है मुआवजा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
राम कृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST

  • देश में करीब 95 फीसदी ट्रेनें चलती हैं लेट
  • तेजस ट्रेन लेट होने पर 250 रुपये तक मुआवजा

देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस पटरी पर दौड़ने लगी है, जिसमें देरी होने पर मुआवजा देने का ऐलान किया गया है. शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. तेजस ट्रेन के लेट होने पर यात्रियों को 250 रुपये तक का मुआवजा देने की व्यवस्था की गई है.

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तेजस ट्रेन लेट होने पर मुआवजे का प्रावधान

तेजस ट्रेन अगर एक घंटा लेट होती है, तो 100 रुपये और 2 घंटे लेट होती है, तो 250 रुपये मुआवजा दिया जाएगा. अब यहां पर सवाल उठता है कि क्या तेजस ट्रेन की तरह दूसरी ट्रेनों के लेट होने पर यात्री मुआवजे का दावा कर सकते हैं?

इस संबंध में एडवोकेट कालिका प्रसाद काला का कहना है कि अगर ट्रेन लेट होती है, तो इसको कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत डिफिशिएंसी इन सर्विस यानी सर्विस में खामी माना जाता है. इसके लिए यात्री कंज्यूमर फोरम में केस कर सकते हैं और मुआवजा ले सकते हैं.

एडवोकेट कालिका प्रसाद काला ने बताया कि रेलवे जिस ट्रेन टिकट को जारी करता है, उसमें भी ट्रेन के रवाना होने और गंतव्य तक पहुंचने का टाइम लिखा होता है. ऐसे में बिना किसी बड़े कारण ट्रेन लेट नहीं होनी चाहिए.

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ट्रेन लेट होने पर पहले भी दिया गया मुआवजा

एडवोकेट काला ने यह भी बताया कि नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने साल 2011 में ट्रेन लेट होने पर बीमार पड़ने वाले एक बुजुर्ग को मुआवजा दिला चुका है. नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमिशन ने ट्रेन की देरी को डिफिशिएंसी इन सर्विस माना है.

इसके अलावा भारत सरकार बनाम केदारनाथ जेना के मामले में ओडिशा स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ने भी शिकायतकर्ता को रेलवे से मुआवजा दिलाया था. भारत सरकार बनाम केदारनाथ जेना के मामले में शिकायतकर्ता अपने बेटे का इलाज कराने के लिए कटक से बेंगलुरु जा रहा था. शिकायतकर्ता जिस ट्रेन यानी गुवाहाटी एक्सप्रेस से जा रहा था, वह करीब 10 घंटे तक लेट हो गई थी. इसके बाद शिकायतकर्ता ने मामले की शिकायत कंज्यूमर फोरम में की थी और मुआवजे का दावा किया था.

एडवोकेट काला का कहना है कि देश में करीब 95 फीसदी ट्रेन लेट चलती हैं. अगर यात्री ट्रेन में देरी के लिए कंज्यूमर फोरम में केस करते हैं, तो यह प्रक्रिया लंबी चलती है, जिसके चलते लोगों को मुआवजा मिलने में काफी समय लग जाता है. अगर तेजस की तरह सभी ट्रेनों के लेट होने पर यात्रियों को मुआवजा देने की व्यवस्था हो जाए, तो यह ज्यादा बेहतर होगा.

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