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पठानकोट हमले में भारत की कूटनीतिक कामयाबी, JIT ने माना PAK से आए थे आतंकी

जेआईटी ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे. यही नहीं, जांच दल संदिग्धों के खिलाफ सबूत जुटा रही है ताकि उन पर पाकिस्तान में मुकदमा चलाया जा सके.

पठानकोट में पाकिस्तानी जेआईटी के सदस्य पठानकोट में पाकिस्तानी जेआईटी के सदस्य
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 9:33 AM IST

पठानकोट आतंकी हमले के मामले में भारत को कूटनीतिक कामयाबी मिली है. जेआईटी ने पहली बार यह माना है कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे. भारत ने पड़ोसी मुल्क से आई जांच टीम को सबूतों के साथ फोन कॉल के डिटेल भी सौंपे हैं. पाकिस्तानी दल ने गुरुवार को गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी की और उन्हें कुछ और दस्तावेज भी सौंपे गए, जिसमें मारे गए चार आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट शामिल है.

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एनआईए के सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधक विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक मोहम्मद ताहिर राय की अगुवाई वाले संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने मामले में गवाहों के बयान दर्ज किए. टीम में आईएसआई के लेफ्टिनेंट कर्नल तनवीर अहमद भी शामिल हैं. जेआईटी ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि आतंकी पाकिस्तान से आए थे. यही नहीं, जांच दल संदिग्धों के खिलाफ सबूत जुटा रही है ताकि उन पर पाकिस्तान में मुकदमा चलाया जा सके.

'मसूद अजहर के खिलाफ सबूत कमजोर नहीं'
एनआईए सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तानी जेआईटी ने एजेंसी के साथ अपने एफआईआर की कॉपी साझा की है. इसमें कमोबेश सभी आरोपी एक ही हैं. एनआईए ने उन रिपोर्ट्स को खारिज किया है, जिसमें कहा गया कि जेआईटी ने मौलाना मसूद अजहर के खि‍लाफ सबूतों को कमतर या कमजोर बताया है. एनआईए अब पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज किए गए तीनों एफआईआर को भी एक में शामिल कर रही है.

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सलविंदर सिंह से भी हुई पूछताछ
गुरुवार को कुल मिलाकर 16 गवाहों से पूछताछ की गई, जिनमें पंजाब के पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी सलविंदर सिंह, उनका सर्राफ दोस्त राजेश वर्मा और रसोइया मदन गोपाल शामिल हैं. पठानकोट के हमलावरों ने 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरमियानी रात को तीनों को अगवा कर लिया था. आतंकवादी प्रतिबंधित पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बताये जाते हैं.

आतंकवादियों ने वर्मा को कथित तौर पर उनका गला रेतकर छोड़ दिया था और सिंह और गोपाल को लेकर चले गए. उन्होंने दोनों को पठानकोट में एयरबेस से कुछ किलोमीटर पहले छोड़ दिया. आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सात सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे, जबकि सभी चार आतंकियों को ढेर कर दिया गया था.

परिवार के सदस्यों से होगा डीएनए का मिलान!
एनआईए के सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी जेआईटी ने एनआईए को चार आतंकवादियों के स्वाब देने को कहा था, जिनकी पहचान नासिर हुसैन (पंजाब प्रांत), अबू बाकर (गुजरांवाला), उमर फारक और अब्दुल कयूम (दोनों सिंध से) के तौर पर की गई. भारतीय आतंकवाद-निरोधक जांच एजेंसी ने जेआईटी सदस्यों को आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट सौंपी और उनका मिलान उनके परिवार के सदस्यों से करने को कहा.

एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार ने कहा, 'वार्ता अंतिम स्तर पर है. उम्मीद है कि शुक्रवार दोपहर बाद तक सबकुछ पूरा हो जाएगा.' तीनों लोगों के बयान दर्ज करने के अलावा जेआईटी ने एक दरगाह की देखभाल करने वाले शख्स से भी बातचीत की जहां जाने के बाद सिंह का अपहरण हुआ था. पुलिसकर्मियों और आतंकियों द्वारा छोड़ दिये गये वाहन को देखने वाले लोगों से भी बात की गई. पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान भी दर्ज किए गए.

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आतंकी ने हमले के दौरान मां से की थी बात
एनआईए पहले ही जेआईटी को 300 सवालों की सूची सौंप चुकी है और उसने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर और उसके भाई अब्दुल रउफ की आवाज के नमूने और खय्याम बाबर की आवाज के नमूने भी देने को कहा है. खय्याम बाबर पठानकोट हमलों के दौरान मारे गए आतंकी नासिर की मां हैं. बताया जाता है कि नासिर ने हमले के दौरान अपन मां से बात की थी.

एनआईए ने अजहर और रउफ को पेश कराने की मांग की और जेआईटी से कहा कि जब तक भारत का अनुरोध इस्लामाबाद में अधिकारियों के पास लंबित है, तब तक वह चाहेगी कि पाकिस्तानी जेआईटी पठानकोट एयरबेस पर हमले में उनकी भूमिका के बारे में उनसे सवाल पूछे और उनके बयान भारतीय एजेंसी को सौंप दिए जाएं. कुमार ने कहा कि पाकिस्तानी पक्ष ने एनआईए दल को सूचित किया कि जैश का एक सदस्य काशिफ जान मामले में उसका नाम सामने आने के बाद से लापता था, जिसके सीमा तक आतंकवादियों के साथ आने की बात मानी जाती है. एनआईए को बताया गया था कि पाकिस्तानी पुलिस उसकी तलाश कर रही है.

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