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बैंक के बाहर लंबी कतार लगी थी और अंदर चल रहा था सफेद को काला और कालेधन को सफेद करने का गोरखधंधा

पटना के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बिड़ला मंदिर शाखा में सफेद को काला और कालेधन को सफेद करने का मामले सामने आया है. इस मामले में बैंक के एक कर्मी को निलंबित भी किया गया है.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा में चल रहा था कालेधन का गोरखधंधा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा में चल रहा था कालेधन का गोरखधंधा
सुजीत झा
  • पटना,
  • 19 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 12:20 PM IST

कालेधन को खत्म करने को लेकर देश में किए गए नोटबंदी के कारण जहां एक ओर हर तरफ अफरातफरी का माहौल है वहीं दूसरी ओर इसी माहौल का फायदा उठाकर बैंककर्मी भी सफेद धन को काला और कालेधन को सफेद करने में लगे हैं. शायद इस तरह का पहला उदाहरण पूरे देश में पटना के एक बैंक में देखने को मिला.

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सफेद को काला और कालेधन को सफेद करने के रैकेट में बैंककर्मी के शामिल होने की खबर के उजागर होते ही लोगों के पैरों के तले की जमीन ही खिसक गई. ये वारदात पटना स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बिड़ला मंदिर शाखा की है. इस बैंक के एक कर्मी को कालेधन को सफेद और सफेद को कालाधन करने के मामले में निलंबित किया गया. इस मामले को उजागर किया है पटना के सिद्धी सांई इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर मुकेश कुमार हिशारिया ने.

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक को लिखित शिकायत पत्र में सिद्धी सांई इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर मुकेश कुमार हिशारिया ने उल्लेख किया है कि देश में नोटबंदी होने के बाद कानून का पालन करते हुए उनके पास जितने भी 500 और 1000 रुपये के नोट थे उसे उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की बिड़ला मंदिर शाखा में 10 नवंबर, 2016 को जमा करा दिया. 500 और 1000 के नोट को जमा करने के बाद कई दिनों तक उनके द्वारा कोई कार्य नहीं किया गया.

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डिपोज़िट स्लिप में की गई कटिंग
सिद्धी सांई इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर मुकेश कुमार हिशारिया ने आगे लिखा है कि जब फिर काम प्रारंभ हुआ और 500 और 1000 के नोट को छोड़कर दूसरे नोट आए तो 16 नवंबर को 2.50 लाख, 17 नवंबर को 70 हजार और 18 नवंबर को 50 हजार रुपये बैंक के चालू खाता संख्या 3537688007 में जमा कराए गए. इन तीन दिनों में जितनी भी राशि जमा की गई उनमें सभी नोट 100 रुपये के थे. लेकिन बैंककर्मी उनके सफेद धन को काला करने और दूसरे के कालेधन को सफेद करने की नियत से उनके द्वारा जमा की जा रही राशि के नोटों को बदलकर 100 की जगह 500 और 1000 के नोट के रुप में दर्ज करते हुए स्लिप भर रहा था. इसका खुलासा सिद्धी सांई इंटरप्राइजेज उस कर्मी ने किया जो बैंक में पैसे जमा कराने जाता था. उसने देखा कि बैंककर्मी द्वारा 100 रुपये दर्शाये गए नोट को काटकर 500 एवं 1000 रुपये के कॉलम में संख्या भरकर राशि को पूरा कर दिया जाता था. बैंक द्वारा दिए स्लिप में साफ तौर पर इस तरह का कटिंग किया हुआ देखा गया.

नोटबंदी कानून का किया उल्लंघन
सिद्धी सांई इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर मुकेश कुमार हिशारिया ने पत्र में लिखा है कि यह पूरी तरह से नोटबंदी कानून का उल्लंघन है. यह मामला मनी लॉड्रिंग एक्ट में के तहत आता है. उनका कहना है कि जब उनके द्वारा 100 रुपये के नोट जमा कराए जाते थे तो उसे बदलकर 500 और 1000 रुपये के नोट में क्यों दर्शाया जाता था, मतलब साफ है कि दूसरे के कालेधन को सफेद करने और उनके सफेदधन को काला करने में बैंककर्मी शामिल हैं. जो घोर अपराध है.

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इस मामले को अंजाम दे रहे थे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कैशियर रामाकांत सिंह. घटना की जानकारी होते ही सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के तमाम वरीय अधिकारी बिड़ला मंदिर शाखा में पहुंचकर मामले की छानबीन शुरू कर दी और प्रथम दृष्टया में कैशियर को दोषी पाते हुए उसे निलंबित कर दिया गया. घटना की सूचना पाकर पीरबहोर थाना की पुलिस भी बैंक पहुंची और मामले की छानबीन में जुट गई.

बैंक के कैशियर को किया सस्पेंड
मामले की जांच करने पहुंचे पीरबहोर थाना के दारोगा धीरेन्द्र कुमार को किसी वरीय पुलिस अधिकारी के फोन ने मामले को और पेचीदा बना दिया. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर ने किसी वरीय अधिकारी को फोन लगाकर दारोगा से बात करने को के लिए कहा. दारोगा धीरेन्द्र कुमार से उसका बैच नम्बर और नाम तक पूछा जाना बैंककर्मी के इस रैकेट में शामिल होने के शक को और गहरा करता है. इधर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक सुजीत कुमार बार-बार अपने बयान को बदल रहे हैं और मामले की जांच करने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के वरीय अधिकारी इस मामले की जांच में जुटे हैं. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस बात का खुलासा हो पाएगा कि अब तक 10 दिनों के अंदर और कितने कालेधन को सफेद और सफेदधन को काला किया गया.

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