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नीतीश सरकार को झटका, पटना हाईकोर्ट ने शराबबंदी एक्ट को बताया गैरकानूनी

एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शराबबंदी पर टिप्पणी की है. बिहार में शराब पर पूरी तरह बैन लगाया गया है.

शराब रखने और पीने पर भी पूरी तरह बैन लगाया गया था शराब रखने और पीने पर भी पूरी तरह बैन लगाया गया था
अभि‍षेक आनंद/सुजीत झा
  • पटना,
  • 30 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:21 PM IST

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को करारा झटका दिया है. पटना हाईकोर्ट ने बिहार में शराबबंदी को लेकर दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए शराबबंदी कानून को गैरकानूनी करार दिया. पटना हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार में शराबबंदी खत्म हो गया। कोर्ट ने अपना ये फैसला विदेशी शराब को लेकर सुनाया है। देशी शराब पर पाबंदी जारी रहेगी.

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दरअसल पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा शराबबंदी को लेकर किए गए सजा को अनुचित बताते हुए इसे गैर-कानूनी करार दिया. बिहार सरकार के प्रधान अधिवक्ता ललित किशोर ने कहा कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा 5 अप्रैल को जारी किए गिए अधिसूचना को रद्द कर दिया. ललित किशोर ने कहा कि कोर्ट ने उत्पाद विभाग के कानून में जो संशोधन किया था उसे भी गलत करार दिया.

हालांकि ललित किशोर ने कहा कि जबतक कोर्ट के पूरे आदेश को नहीं पढ़ा जाएगा तबतक विस्तार से कुछ नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शराबबंदी के लेकर बनाए गए नए कानून पर कोर्ट ने कोई चर्चा नहीं कि कारण कि उसकी अधिसूचना अभी जारी नहीं की गई है. बिहार में शराबबंदी को लेकर सरकार 2 अक्टूबर से नया कानून लागू करने वाली थी.

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पटना हाईकोर्ट द्वारा शराबबंदी को लेकर दिए गए फैसले पर बीजेपी नेता नंद किशोर यादव ने कहा कि सरकार ने आनन-फानन में ये निर्णय लिया था. जिस पर कोर्ट ने सही फैसला सुनाया. नंद किशोर यादव ने कहा कि बीजेपी कोर्ट के फैसले का स्वागत करती है, उन्होंने कहा कि सरकार के जल्दीबाजी में लिए गए निर्णय के कारण आज सरकार कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं है.

गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव के दौरान सूबे की महिलाओं से वादा किया था कि वो दोबारा सत्ता में आने के बाद राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कराएंगे और अपने इसी वादे को पूरा करते हुए उन्होंने बिहार में सभी तरह की शराब को बेचने और खरीदने पर रोक लगा दी थी.

बिहार में शराबबंदी का उल्लंघन करने वालों के लिए 10 लाख रुपये के जुर्माने से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान था. अगर शराब का उत्पादन और बेचने के चलते किसी ग्राहक की मृत्यु हो जाती है तो उसको फांसी तक हो सकती थी. अवैध शराब बेचने की वजह से किसी को शारीरिक अपंगता हो जाती है तो उसे भी फांसी की सजा या 10 लाख रुपये जुर्माना देना पड़ सकता. अगर किसी को शराब की वजह से कोई नुकसान होता है तो शराब बेचने वाले को 8 से 10 साल की सजा और 1 से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ता. सार्वजनिक जगहों पर शराब पीने वालों को 1 लाख रुपये तक का जुर्माना और 5-7 साल तक की जेल होती. अगर शराब की वजह से किसी को नुक्सान होता है तो उसे 4 लाख रुपये तक का मुआवजा मिलता.

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नीतीश ने कहा था- अडिग हैं शराबबंदी पर
नीतीश कुमार ने अगस्त में विधानसभा में कहा कि बिहार में शराबबंदी करने का मतलब बि‍ढ़नी के छत्ते में हाथ डालना है और इसमें कुछ भी हो सकता है. हालांकि उन्होंने कहा कि शराबबंदी के मसले पर वो अडिग हैं और किसी भी सूरत में बिहार को नशामुक्त राज्य बनाकर ही दम लेंगे. जबकि बीजेपी ने इसे काला कानून और तुगलगी फरमान करार दिया. बीजेपी नेता नंदकिशोर यादव ने कहा था कि वो शराबबंदी के खिलाफ नहीं हैं क्योंकि शराब की वजह से उनकी बेटी विधवा हो गई. लेकिन जिस तरीके से नीतीश कुमार शराब पर पाबंदी लगा रहें है, इसका सबसे ज्यादा असर गरीब तबके पर पड़ेगा, पुलिस जिसको चाहेगी उसे अंदर कर देगी.

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