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भारत के 5 छात्र लेंगे अमेरिकी रॉकेट साइंस प्रतियोगिता में हिस्सा

भारत के पांच छात्र अमेरिका में अगले महीने होने वाले रॉकेट साइंस प्रति‍योगिता में हिस्सा लेने वाले हैं. जानिये उनकी सफलता का मंत्र...  

represtational photo of students of PEC university represtational photo of students of PEC university
वंदना भारती
  • नई दिल्‍ली,
  • 02 मई 2017,
  • अपडेटेड 4:40 PM IST

दो साल पहले कश‍िश कोरोतानिया ने जब PEC यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी ज्वाइन किया था, तब उनका सपना सिर्फ बिजनेस जेट की डिजाइनिंग और फैब्रिकेशन के बारे में जानना था. लेकिन इन दो वर्षों में ही कश‍िश ने वो मुकाम हासिल कर लिया है, जिसके लिए भारत हमेशा से प्रयास करता रहा है. कश‍िश और उनकी टीम अमेरिका में होने वाले इंटरकोलेजिएट रॉकेट इंजीनियरिंग कॉम्पटिशन (IREC) में भाग लेने वाली है. दरअसल, इस प्रतियोगिता में भारत की ओर से जाने वाली यह पहली टीम होगी.

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कश‍िश और उनके चार दोस्त एक हाईब्रिड-प्रोपेलेंट रॉकेट लॉन्च करने वाले हैं. उनकी टीम को कॉलेज में नाम दिया गया है 'टीम विज्ञान'.  

कशिश की कहानी
कशिश ने 18 साल की उम्र में एरोस्पेस इंजीनियरिंग से अपनी बैचलर डिग्री शुरू की थी. तभी उन्हें हाईब्रिड-प्रोपेलेंट, 2- स्टेज रॅाकेट की डिजाइन और फेब्रिकेशन पर मुंबई के इग्नियस एरोस्पेस लिमिटिड में इंटर्न करने का मौका मिला. कशिश के लिए यह उसका ड्रीम प्रोजेक्ट था. वो कहते हैं न कि किसी चीज़ को शिदद्त से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में जुट जाती है, तो ऐसा ही कुछ कशिश और उसके दोस्त आनंद परिनाम, अनोल कुमार, लवीन अरोरा और भव्य जलन के साथ हुआ.

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कश‍िश को जब अमेरिकी प्रतियोगिता के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने दोस्तों से इसके बारे में बात की और इसमें हिस्सा लेने की इच्छा जताई. पूरी टीम तैयार हो गई और अपनी टीम को नाम दिया 'टीम विज्ञान'.

यूनिवर्सिटी का योगदान
दोस्तों के मान जाने के बाद 'टीम विज्ञान' का लीडर कशिश अब यूनिवर्सिटी को मनाने में लग गया. यूनिवर्सिटी ने हां तो कहा पर प्रोजेक्ट के लिए सिर्फ 2.50 लाख ही दिए. जबकि प्रोजेक्ट की कुल लागत पूरे 15 लाख थी. कश‍िश और उसकी टीम ने इस पर हार नहीं माना और स्पॉन्सर ढूंढ़ने लगे. कश‍िश की टीम ने सबसे पहले एयर इंडिया, पेटीएम आदि कंपनियों से बातचीत की, पर बात नहीं बनी. बाद में उन्हें कमानी ट्यूब कंपनी और चेक मशीन- ओ- फेब कंपनी से क्रमश: 8 लाख और 1 लाख रुपये की सपॉन्सरश‍ि‍प मिली. हालांकि कश‍िश और उनकी टीम के प्रोजेक्ट के लिए यह काफी नहीं था, पर फिर भी रकम मददगार साबित हुई.

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कशिश और उसकी टीम की रात- दिन की मेहनत अगर सफल हो जाती है और अमेरिका के इंटरकॅालेज रॅाकेट ईंजिनीयरिंग प्रतियोगिता (IERC) में भारत को जीत हासिल होती है तो ऐसा इतिहास में पहली बार होगा.

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