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6 महीने बाद 1 घंटे में बिजली न आई तो देना होगा मुआवजा: CM केजरीवाल

दिल्ली में बिजली कंपनियों पर पावर कट के लिए जुर्माना लगाए जाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अभी तो बिजली कंपनियों को 2 घंटे का टाइम दिया गया है, 6 महीने के बाद 1 घंटे में बिजली न आई तो मुआवजा देना पड़ेगा.

सबा नाज़/कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2016,
  • अपडेटेड 5:30 PM IST

दिल्ली में बिजली कंपनियों पर पावर कट के लिए जुर्माना लगाए जाने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि अभी तो बिजली कंपनियों को 2 घंटे का टाइम दिया गया है, 6 महीने के बाद 1 घंटे में बिजली न आई तो मुआवजा देना पड़ेगा.

साथ ही उन्होंने पावर कट के मसले पर बिजली कंपनियों के खिलाफ कड़ा रुख इख्तियार करते हुए कहा है कि 'बिजली कंपनियों का निजीकरण इसलिए किया गया था ताकि सुविधा अच्छी हो अगर 15 साल के बाद भी बिजली कटती है तो फिर कंपनियों की क्या जिम्मेदारी रह गई.' इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि 'कंपनियां कहती हैं कि बिजली की कमी नहीं है, और अगर हमें दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाना है तो इस समस्या को हल करना ही होगा.'

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दरअसल, दिल्ली सरकार ने विद्युत कंपनियों पर दो घंटे से ज्यादा की कटौती पर हर घंटे के हिसाब से जुर्माना लगाने का फैसला किया है. ये जुर्माना पहले दो घंटे में 50 रुपये और उसके बाद 100 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से ग्रहकों को बिजली बिल में ही दिया जाएगा.

पावर कट पर बिजली कंपनियों को देना होगा जुर्माना
दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) ने दिल्ली विद्युत आपूर्ति संहिता 2007 के तहत नियमों में संशोधन कर अधिसूचना जारी की है. इसके तहत अब प्राइवेट बिजली कंपनियों पर पावर कट के लिए जुर्माना लगाया जाएगा.

दो घंटों में सुलझाई जाए ट्रांसफार्मर से जुड़ी समस्या
ताजा अधिसूचना के मुताबिक विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत जुर्माना तय किया गया है. इसके अनुसार अब दो घंटे से ज्यादा के पावर कट की इजाजत नहीं दी जाएगी. अगर ट्रांसफार्मर फेल हो तो उस स्थिति में दो घंटे के अंदर इसे सुधारने या 72 घंटों में इसका कोई दूसरा विकल्प निकाला जाए. 100 उपभोक्ताओं से ज्यादा की बिजली एक साथ जाती है तो पहले 2 घण्टे में 50 रुपये और दो घंटों के बाद 100 रुपये प्रति घंटे का जुर्माना भरना पड़ेगा.

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बिजली बिल के जरिए चुकाना होगा जुर्माना
ऐसे ही फ्यूज उड़ने और सर्विस लाइन टूटने की शिकायत को तीन घंटे के भीतर सुलझाया जाए. ऐसा न होने की सूरत में हर उपभोक्ता को हर घंटे के 100 रुपये भरने होंगे. सारा जुर्माना कंपनियों को उपभोक्ताओं के मासिक बिजली बिल के जरिए चुकाना होगा.

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