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छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगार नौजवान चपरासी बनने के लिए भी तैयार है, लेकिन उनकी ये मंशा राज्य सरकार को नागवार है. चपरासी पदों के लिए पहली बार उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवानों को वंचित कर दिया गया है. चपरासी बनने के लिए उम्मीदवारों का सिर्फ आठवीं पास और साइकिल चलाने में पारंगत होना चाहिए. उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान भी बेरोजगारी के चलते चपरासी बनने के लिए तैयार है, लेकिन अब उनके आवेदनों पर विचार नहीं होगा.
चारों तरफ इसी के हैं चर्चे...
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित मंत्रालय में चपरासी के पदों के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया इन दिनों चर्चा का मुद्दा बनी हुई है. चपरासी के चालीस पदों के लिए अब तक आठ हजार से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं. मंत्रालय में चपरासी के पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आवेदन की अंतिम तिथि समाप्त होने में अभी हफ्ता भर का वक्त बाकी है. मंत्रालय में चपरासी के लिए 110 पदों की आवश्यकता है, लेकिन वित्त विभाग ने सिर्फ चालीस पदों की मंजूरी दी है.
पोस्ट ग्रेजुएट भी रखे जाएंगे वंचित...
चपरासी के पदों के लिए पहली बार उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवानों को वंचित कर दिया गया है. योग्य उम्मीदवारो के लिए सिर्फ आठवीं पास और उन्हें साइकिल चलाने में पारंगत होना चाहिए. हालांकि, उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान भी बेरोजगारी के चलते चपरासी बनने के लिए तैयार है, लेकिन अब उनके आवेदनों पर विचार नहीं होगा.
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने चपरासी के पदों के लिए अहर्ता निर्धारण करते वक्त यह साफ कर दिया है कि ज्यादा पढ़े लिखे लोग इस पद के योग्य नहीं हैं. यह भी साफ किया गया है कि चपरासी को बतौर वेतन एक मुश्त सिर्फ आठ हजार रूपये मिलेंगे. इसके अलावा कोई भत्ता और सुविधा नहीं. मंत्रालय आने जाने के लिए उन्हें सरकारी बस सुविधा जरूर मुहैया कराएगी.
आखिर क्या कहते हैं आंकड़े...
गौरतलब है कि राज्य में उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवानों की संख्या 62 लाख 08 हजार 266 के आसपास है. रोजगार विभाग के वर्ष 2015 के आकड़ों के मुताबिक पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगारों की संख्या 12 लाख 34 हजार 536 जबकि ग्रेजुएट बेरोजगारों की संख्या 18 लाख 9 हजार 323 के आसपास है. शेष तकनीकी डिप्लोमा व डिग्रीधारी व अन्य योग्यता प्राप्त हैं. हालांकि राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों ने अधिकृत रूप से इसका कोई जवाब नही दिया कि उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान यदि चपरासी बनना चाहते हो तो उन्हें क्यों वंचित किया जा रहा है. चपरासी पद के लिए शुरू हुई नियुक्ति की प्रक्रिया राज्य में चर्चा का विषय बनी हुई है. राज्य के कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की दलील है कि उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान चपरासी बनने के बजाय अपना व्यवसाय डालें. आगे जांच-पड़ताल पर पता चलता है कि मंत्रालय ने इस प्रक्रिया की शुरुआत आसपास के ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिए की है.
सरकार की है अलग योजना...
दरअसल मंत्रालय के निर्माण के अलावा अन्य सरकारी संस्थाओ के लिए नया रायपुर के दो दर्जन गांव की जमीन राज्य सरकार ने अधिग्रहित की थी. इस इलाके में ज्यादातर परिवार खेती-किसानी और मजदूरी से जुड़े हुए है. इन गांव में कम पढ़े लिखे या फिर निरक्षर ग्रामीणों की संख्या बहुतायत में है. ऐसे ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिए योग्यता संबंधी मापदण्ड तय किये गए है. हालांकि राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों ने अधिकृत रूप से इस बाबत कोई जवाब नही दिया कि उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान यदि चपरासी बनना चाहते हों तो उन्हें क्यों वंचित रखा जाए.
फिलहाल चपरासी बनने की जद्दोजहद में कई उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान जो अपनी नौकरी को लेकर काफी फिक्रमंद है वो सरकारी अफसरों और राजनेताओ के चक्कर काट रहे हैं. ताकि चपरासी की नौकरी के लिए उनके आवेदनों पर विचार हो जाए. ऐसे लोगो में ज्यादातर वो बेरोजगार शामिल है जो सरकारी नौकरी के लिए अपनी अधिकतम आयु सीमा पूरी करने के करीब पहुच गए हैं. उम्र के इस पड़ाव में उन्हें लग रहा है कि चपरासी ही बन जाएं तो कम से कम रोजगार तो हासिल होगा.