Advertisement

पैसे बदलवाने के लिए झारखंड के बैंको में लगी लोगों की भारी भीड़

हालाँकि हालात को भांपते हुए सभी बैंको में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गए थे. खासतौर पर नक्सलग्रस्त इलाकों के बैंको पर सुरक्षाकर्मियों की कड़ी निगहबानी देखी गई, वहीँ दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में स्थित कई बैंको में देर दोपहर बाद तक नए नोटों की खेप नहीं पहुची थी.

बैंको के बाहर लगी है भीड़ बैंको के बाहर लगी है भीड़
धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 10 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:41 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कालेधन पर किये गए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आज देशभर के बैंको ने अपना कामकाज शुरू कर दिया है. झारखंड में आज बैंको के खुलने से पहले ही चलन से बाहर हुए 500 और 1000 रुपये के करेंसी को बदलने के लिए लोगों की लंबी कतार लग गयी थी.

हालाँकि हालात को भांपते हुए सभी बैंको में सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गए थे. खासतौर पर नक्सलग्रस्त इलाकों के बैंको पर सुरक्षाकर्मियों की कड़ी निगहबानी देखी गई, वहीँ दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में स्थित कई बैंको में देर दोपहर बाद तक नए नोटों की खेप नहीं पहुची थी. चौंकाने की बात यह रही कि परेशानी होने के बाद भी लोग प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले की प्रंशसा कर रहे है.

Advertisement

एक दिन की बंदी के बाद आज खुले बैंक
एक दिन की बंदी के बाद आज बैंको के खुलते ही 500 और 1000 रुपये के नोटों को बदलने लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. ग्रामीण इलाकों में भी काफी संख्या में लोग पास के बैंको में पहुच कर नोटों को बदलवाते दिखे. जहाँ कई लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए इन्हें बदलवाने आये थे. वहीँ बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी थी जो नए नोटों को देखना चाहते थे, राज्य के नक्सलग्रस्त इलाकों में भी काफी बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. ग्रामीण इलाकों में स्थित बैंककर्मी भी नक्सली आतंक की वजह से जल्दी काम निपटा कर जाने की जुगत करते नजर आ रहे थे, बैंको में भीड़ के चलते बैंको के पास खुले पैसों की कमी आई.

Advertisement

नक्सलियों की टोह में सुरक्षाबल

वैसे लोगों को परेशानी से बचाने के लिए बैंको में खास प्रबंध किये गए थे. ग्रामीण इलाकों पड़ने वाले सभी बैंको पर सुरक्षाबलों की पैनी निगाहें भी लगी थी, दरअसल ऐसी संभावना है कि नक्सली अपनी पास की रकम छुपाने के लिए इन बैंको का रुख कर सकते है, एक अनुमान के मुताबिक नक्सली राज्य भर के व्यापारियों से लगभग 300 करोड़ रूपये सालाना वसूलते है, जिनमें बड़ी संख्या 500 और 1000 के नोटों की होती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement