
मोताला तहसील के ग्राम तारापुर के पास खेत में एक मादा भालू और उसके शावक को देख कर लोग दहशत में आ गए. बुलढाणा जिले के चिखली तहसील के अंतर्गत स्थित ग्राम डोंगरशेवली, करवंड और बुलढाणा तहसील के डोंगरखंडाला इन गांवों से सट कर ही ज्ञानगंगा अभयारण्य है. इस अभयारण्य में बड़ी संख्या में तेंदुए, भालू, लकड़बग्घों आदि का बसेरा है. जंगल में घूमते हुए ये जानवर ज्ञानगंगा अभयारण्य से बाहर भी निकल आते हैं.
भालू द्वारा अब तक जितने भी हमले हुए हैं, वे सब तकरीबन जंगल से सटे इलाकों में ही हुए हैं. डोंगरशेवली, करवंड और डोंगरखंडाला परिक्षेत्र में विगत मई माह से लेकर अब तक भालुओं ने मनुष्यों पर 10 हमले किए हैं, जिससे 4 लोगों की मौत हो गई और 8 लोग जख्मी हो गए. इन घटनाओं के बाद से परिक्षेत्र के नागरिकों में खौफ का आलम है और किसान खेत में जाने से कतरा रहे हैं.
तारापुर के इलाके में जहां मादा भालू और शावक दिखाई दिए, वहां अभी तक कोई अनुचित घटना नहीं हुई है. लेकिन अब तक जिले में भालुओं के हमले को ध्यान में रखते हुए सतर्कता बरतते हुए बुलढाणा वन विभाग ने भालू पकड़ने के लिए बनाया गए विशेष पिंजरे को तारापुर के खेत में लाकर मादा भालू को पकड़ा. मादा भालू को पिंजरे में फंसाने के लिए पहले उसके शावक को पकड़ा गया.
इसके बाद मादा भालू और उसके शावक को अम्बाबारवा अभ्यारण्य में छोड़ा गया, जो तारापुर से क्षेत्र से लगभग 60 से 70 किलोमीटर दूर है. तारापुर में किए गए रेस्क्यू में बुलढाणा वन विभाग ने विशेष पिंजरे में शावक को डाल कर मादा भालू को 8 दिसंबर की रात 8 बजे पकड़ा और अगले दिन 9 दिसंबर के दिन भालू को शावक के साथ मध्य प्रदेश की सीमा से सटे अम्बाबारवा अभयारण्य में सुरक्षित रूप से छोड़ दिया. अम्बाबारवा अभ्यारण्य 'टाइगर रिजर्व' के लिए भी जाना जाता है. बुलढाणा DFO बीटी भगत ने 'आज तक' से बताया कि अम्बाबारवा जंगल का क्षेत्र 32 हजार हेक्टेयर है और इसके आसपास कोई रिहाइशी इलाका भी नहीं है.