
नोटबंदी से लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है, एक तो पूरे दिन लाइन में लगना पड़ रहा है, दूसरे कामधंधा भी ठप है, ऐसे में अब नोटबंदी की लाइन में लगे लोगों ने नया तरीका निकाला है, सुबह सुबह बैंकों की कतार में लगो और खाने पीने के लिए गुरुद्वारे में लंगर खा रहे है.
इस बात की तस्दीक बंग्ला साहिब गुरुद्वारे में भी हो रही है, जहां नोटबंदी के बाद से लंगर में खाना खाने वालों की तादात बढ़ गई है. इसकी वजह भी है क्योंकि पार्लियामेंट स्ट्रीट, आरबीआई, पीएनबी, बैंक आफ बड़ोदा जैसे बैकों की बड़ी ब्रांच हैं और इसी इलाके में कई एटीएम भी है, जो लगभग पूरे दिन काम करते हैं.
ऐसे में इन बैंकों और एटीएम में भारी भीड़ भी लगती है, पड़ोस में बंग्ला साहिब गुरुद्वारा है, जहां सुबह से लेकर रात तक लंगर चलता है, बस लोगों को और क्या चाहिए, क्योंकि नोटबंदी से दोहरी मार झेल रहे लोगों को यहां न तो छुट्टे पैसों या नए नोटों की फिक्र करनी है और न ही भरपेट खाने की कोई जद्दोजहद.
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके ने बताया कि गुरुद्वारे में हमेशा लंगर चलता है और यहां किसी को आने की मनाही नहीं है. जब से नोटबंदी हुई है, कई लोग मुश्किल में है. अच्छे अच्छे घर के लोगों के पास पैसे तो है, लेकिन उन्हें भी एटीएम की लाइन में लगना पड़ रहा है, कई लोग ऐसे हैं, जिनका काम धंधा भी नोटबंदी के चलते फिलहाल बंद है, ऐसे में गुरुद्वारे में भी लोग पहुंच रहे हैं, यहां पूरे सम्मान के साथ वो लंगर छकते हैं.
कई बार बैंकों में समस्या आ जाती है जिससे कि लोग तड़के से लाइन में लगे होते हैं लेकिन उनका नंबर आने के पहले ही कैश खत्म हो जाता है, ऐसे में लोग गुरुद्वारे चले आते हैं, जहां उनका वक्त भी गुज़र जाता है और लंगर में लोग पेटभर खाना भी खा लेते हैं.
लंगर में खाना खाने आए सुजीत तो तीन दिनों से लगातार आ रहे हैं, क्योंकि बैंक में कई घंटे लाइन में लगना होता है, नई दिल्ली इलाके के बैंकों में ज्यादा कैश होता है और सुविधाएं भी ज्यादा होती है, ऐसे में भले ही लाइन लंबी हो, वक्त ज्यादा लगता हो, लेकिन पैसा मिलने की संभावना होती है. ऐसे में बीचे में भूख लगे, तो उसके लिए लंगर जैसा शानदार इंतजाम भी है.
मायापुरी से आए सुभाष कुमार भी बैंक से पैसा निकालने आए थे, लेकिन भूख लगी तो गुरुद्वारे चले आए. सुभाष के मुताबिक पिछले पांच दिनों से वो काम पर नहीं गए, घर में पैसे थे, वो खत्म हो गए, बड़े नोट से कोई सामान मिलता नहीं है ऐसे में पैसे एक्सचेंज कराने के साथ अगर भरपेट खाने का इंतजाम है, तो इससे बेहतर क्या होगा.