
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर कहा कि पिछली बार कोर्ट ने जिन लोगों को छोड़ दिया था, इस बार उनको भी दोषी ठहराये जाने से न्यायपालिका पर जातिवाद का आरोप लगाने वालों का मुंह बंद हो गया. पिछले महीने देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में सीबीआई कोर्ट ने लालू यादव को सजा दी और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बरी कर दिया. लेकिन इस बार चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को 5-5 साल की सजा दी.
पिछली बार के कोर्ट के फैसले पर आरजेडी के नेताओं जातिवाद का आरोप लगाया था. सीबीआई कोर्ट ने आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी रघुवंश प्रसाद सिंह, तेजस्वी यादव और कांग्रेस के मनीष तिवारी को अवमानना का नोटिस भी जारी किया था. इस बार चाईबासा कोषागार के मामले में दोनों नेताओं को बराबर सजा मिलने की वजह से ऐसी कोई बात सुनने को नहीं मिली. मोदी ने कहा कि न्यायपालिका पर जातिवाद का आरोप लगाने वाले अब चुप हैं. उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर आया यह फैसला राजनीतिक जीवन में ईमानदारी की मिसाल कायम करने वाले महान जननायक को समर्पित एक न्यायिक श्रद्धांजलि है.
मोदी ने कहा कि लगभग 1000 करोड़ रुपये के चारा घोटाला के तीसरे मामले में भी लालू प्रसाद के दोषी पाये जाने से यह संदेश साफ है कि कोई व्यक्ति अनुचित तरीके अपनाकर कितनी भी बड़ी राजनीतिक-आर्थिक ताकत बना ले, सबूतों और गवाहों के आधार पर मिलने वाली सजा से उसका बचना संभव नहीं. विशेष अदालत का फैसला न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ाने वाला है.
मोदी ने कहा कि देश की 1 प्रतिशत आबादी के पास अगर कुल संपदा का 73 प्रतिशत हिस्सा सिमट गया है, तो जवाब उस कांग्रेस को देना चाहिए, जिसने 60 साल शासन किया. असमानता के ये आंकड़े जिनके गाल पर करारा तमाचा हैं, वे ही उल्टे उस प्रधानमंत्री से बेतुके सवाल पूछते हैं, जो राष्ट्रीय संपदा में गरीबों की हिस्सेदारी बढ़ाने में लगे हैं. राहुल गांधी बतायें कि यह विषमता क्या केवल 42 महीनों में पैदा हुई?