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हर अनचाहा शारीरिक संपर्क यौन उत्पीड़न नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

तकरार के दौरान सहयोगी का हाथ पकड़ लेना यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता. दिल्ली हाईकोर्ट ने आज अपने एक फैसले में कहा कि सभी अशोभनीय शारीरिक संपर्कों को यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता, जब तक कि यह यौन उन्मुख व्यवहार की प्रकृति का न हो.

दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट
राहुल विश्वकर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:45 PM IST

कोई अनचाहा शारीरिक संपर्क या फिर किसी तरह के तकरार के दौरान सहयोगी का हाथ पकड़ लेना यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि सभी अशोभनीय शारीरिक संपर्कों को यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता, जब तक कि यह यौन उन्मुख व्यवहार की प्रकृति का न हो.

न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने अपने फैसले में कहा कि सभी प्रकार के शारीरिक संपर्क को यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आंका जा सकता. दुर्घटनावश शारीरिक संपर्क भले ही अशोभनीय हो, लेकिन वह यौन उत्पीड़न नहीं होगा. केवल उसी प्रकार का शारीरिक संपर्क यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आएगा जो 'अनचाहा यौन व्यवहार' की प्रकृति का हो.

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अदालत ने कहा कि इसी तरह शारीरिक संपर्क जिसमें किसी तरह की यौन प्रकृति की भावना न हो और वह शिकायतकर्ता के लिंग को देखकर न हो तो जरूरी नहीं कि वह यौन उत्पीड़न के दायरे में आएगा. पीठ ने सीआरआरआई के एक वैज्ञानिक की अपील पर सुनवाई के दौरान यह बात कही. उन्होंने अपने एक पूर्व वरिष्ठ सहयोगी को शिकायत समिति एवं अनुशासनात्मक प्राधिकार से मिली क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती दी थी.

महिला ने अपने वरिष्ठ सहयोगी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. दोनों केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) में काम करते थे जो वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) का हिस्सा है.

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