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यासीन भटकल और उसके साथियों के गुनाहों के अहम गवाह पुलिस कांस्टेबल जी. लक्ष्मीकांत ने बम ब्लास्ट से जुड़ी जानकारियां साझा की हैं. इस केस का ट्रायल शुरू हो चुका है और बस कुछ ही दिनों में यासीन के खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल किया जाएगा.
परिसर में झांक रहे थे आतंकी
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2010 का वो दिन याद करते हुए लक्ष्मीकांत ने बताया कि वह अपनी पेट्रोलिंग खत्म कर कुंबले सर्कल के पास एडीजीपी टेलीकॉम कार्यालय के गेट पर पहुंचे थे. उसी दौरान उन्होंने दो लोगों को परिसर में झांकते हुए देखा. वहां कुल पांच लोग थे. दो दीवार से सटे थे जबकि तीन लोग थोड़ी दूरी पर थे.
आतंकियों के पास थे काफी बड़े बैग
उनके पास काफी बड़े बैग थे. लक्ष्मीकांत ने बैग पर हाथ रखा तो उन्हें लगा कि बैग में कुल्हाड़ी या दूसरे तेज धार वाले औजार रखे हुए हैं. उन्होंने उन लोगों को चंदन की लकड़ियों की चोरी करने वाला समझा. इसी दौरान वह कुछ कह पाते उनमें से एक शख्स ने उनसे टूटी-फूटी कन्नड़ भाषा में IPL टिकटों के बिक्री केंद्र के बारे में पूछा.
लक्ष्मीकांत को धन्यवाद कहा
दरअसल एक दिन बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम में आईपीएल का फाइनल खेला जाना था. लक्ष्मीकांत ने उन्हें नजदीकी टिकट स्टैंड दिखाया. जिसके बाद उन लोगों ने लक्ष्मीकांत को धन्यवाद कहा. लक्ष्मीकांत अपनी ड्यूटी पर वापस आ गए. कुछ ही घंटों बाद ठीक उसी जगह धमाका हुआ, जहां लक्ष्मीकांत ने उन लोगों को देखा था.
चिन्नास्वामी स्टेडियम के गेट पर हुआ धमाका
कुछ ही मिनटों बाद चिन्नास्वामी स्टेडियम के गेट नंबर 12 पर एक और धमाका हुआ. लक्ष्मीकांत को इस बात का जरा भी एहसास नहीं था कि जिस शख्स से उसने बात की थी, वह मोस्ट वांटेड आतंकी यासीन भटकल था. यासीन के साथ मोहम्मद कतील सिद्दीकी भी था. 2012 में कतील की पुणे के यरवदा जेल में हत्या कर दी गई थी.
लक्ष्मीकांत की गवाही काफी अहम
यासीन के खिलाफ मुकदमे में लक्ष्मीकांत की गवाही काफी अहम है. फिलहाल यासीन तिहाड़ जेल में बंद है. इससे पहले वह हैदराबाद के सेंट्रल जेल में था. 2013 में उसे नेपाल बॉर्डर के पास से गिरफ्तार किया गया. इस केस में सुरक्षा कारणों की वजह से यासीन को बंगलुरु नहीं लाया जाएगा. वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए यासीन की पेशी संभव है.
ब्लास्ट के अगले दिन 3 बम बरामद
बताते चलें कि ब्लास्ट के अगले दिन बंगलुरु पुलिस ने तीन बमों को बरामद किया था. यह बम चिन्नास्वामी स्टेडियम के गेट नंबर 1, 2 और 8 के पास थे. यह बम आंतरिक गड़बड़ी की वजह से ब्लास्ट नहीं हो पाए. इन बमों में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था. सूत्रों की मानें तो यह बम फट चुके बमों से कहीं ज्यादा प्रभावशाली थे.