
1971 युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के परिवारों के सम्मान समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का बगैर नाम लिए तीखा प्रहार किया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत सभी पड़ोसी देशों से अच्छे रिश्ते चाहता है. लेकिन कुछ देश हैं जिसे मानवता की राह पसंद नहीं है.
पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि 1971 में भारत की दिखाई ये इंसानियत पिछली शताब्दी की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है. मेरा यह स्पष्ट मत है कि मेरे देश के साथ ही भारत का हर पड़ोसी देश प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो. लेकिन दुख की बात है कि इन दो विचार धाराओं के विपरीत भी दक्षिण एशिया में एक मानसिकता है. ऐसी सोच जिस का value system मानवता पर नहीं अपितु हिंसा, आतिवाद और आतंक पर आधारित है.
भारत सदैव एक प्रबल और विश्वसनीय मित्र की तरह हर घड़ी बांग्लादेश की हर सहायता के लिए तैयार है और रहेगा. भारत और बांग्लादेश इसलिए साथ हैं, क्योंकि दोनों देशों के 140 करोड़ लोग दुख-सुख के साथी हैं.
भारत और बांग्लादेश की विकास की विचारधाराओं के विपरीत दक्षिण एशिया में एक मानसिकता आतंकवाद की प्रेरणा तथा उसकी पोषक है. ऐसी सोच जिसके नीति निर्माताओं को मानववाद से बड़ा आतंकवाद लगता है, विकास से बड़ा विनाश लगता है, सृजन से बड़ा संहार लगता है.
पीएम मोदी शहीदों के सम्मान सभा में बोलते हुए कहा कि आज एक विशेष दिन है. आज भारत और बांग्लादेश के शहीदों के प्राण बलिदान को स्मरण करने का दिन है. बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए सभी भारतीय सैनिकों के परिवारों के लिए ये कभी न भूल पाने वाला क्षण है.
पीएम ने कहा, 'यह मेरा परम सौभाग्य है कि इस समय 7 भारतीय शहीदों के परिवार यहां उपस्थित हैं. भारतीय सैनिकों के बलिदानों के लिए मैं और पूरा देश सभी शहीदों को कोटि-कोटि नमन करते हैं.
शेख हसीना की मौजूदगी में पीएम मोदी ने कहा कि बांग्लादेश का जन्म जहां एक नई आशा का उदय था. वहीं 1971 का इतिहास हमें कई अत्यंत दर्दनाक पलों की भी याद दिलाता है. बांग्लादेश की जन्म गाथा असीम बलिदानों की गाथा है. मुक्तियोद्धाओं के साथ-साथ बांग्लादेश के लिए किए गए भारतीय फौज का संघर्ष और बलिदान को भी कोई नहीं भुला सकता. ऐसा करने में उनकी एक मात्र प्रेरणा थी, बांग्लादेश की जनता के प्रत उनका प्रेम, और बांग्लादेश के लोगों के सपनों के प्रति उनका सम्मान.