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3 साल में 3 बार फेरबदल, अब इन 6 मोर्चों पर मोदी की नजर, नाकामी पड़ेगी भारी

पीएम मोदी की यह कवायद कितनी सफल होती है, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन उन्होंने एक अच्छी दिशा में कदम तो बढ़ाया ही है.

मंत्रियों के साथ पीएम मंत्रियों के साथ पीएम
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:14 AM IST

पीएम मोदी ने कैबिनेट में फेरबदल कर एक तीर से छह निशाने साधे हैं. एक तरफ कई मंत्रियों की काहिली से पीएम मोदी नाराज थे, तो दूसरी तरफ सरकार के तीन साल के पूरे होने के बाद गाड़ी को तेज चलाने के लिए सरकार में ग्रीस की जरूरत थी. वहीं, 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए कुछ राजनीतिक और क्षेत्रीय संतुलन भी साधने थे. पीएम मोदी की यह कवायद कितनी सफल होती है, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन उन्होंने एक अच्छी दिशा में कदम तो बढ़ाया ही है.

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1. रेलवे को पटरी पर लाना

पिछले महीनों में लगातार एक पर हो रहे एक हादसे से रेल मंत्री के साथ ही सरकार भी परेशान थी. वहीं पार्टी की इमेज भी इससे खराब हो रही थी. पार्टी में सुरेश प्रभु के प्रदर्शन को खराब तो नहीं माना जाता, लेकिन जनता के बीच इमेज सुधारने के लिए पीएम मोदी को यह कड़वा निर्णय लेना ही पड़ा. पीयूष गोयल को ऊर्जा मंत्रालय में अच्छा परफॉर्म करने वाला मंत्री माना जाता रहा है, इसलिए अब उन्हें रेल मंत्रालय सौंपकर पीएम ने एक तरह से रेलवे की व्यवस्था दुरुस्त करने की महती जिम्मेदारी दी है. गोयल के सामने सबसे पहली प्राथमिकता हादसों पर अंकुश लगाने की ही होगी.

 2. रोजगार के मोर्चे पर काम

आंकड़ों के लिहाज से देखें तो रोजगार के मोर्चे पर मोदी सरकार को विफल कहा जा सकता है. इसको लेकर भी सरकार की हर तरफ आलोचना होती रही है. कौशल विकास मंत्रालय रोजगार के मोर्चे पर कुछ खास नहीं कर पाया, जबकि यह पीएम मोदी के पसंदीदा मंत्रालयों में से एक है. इसकी गाज आखिरकार विभाग के मंत्री राजीव प्रताप रूडी पर गिरी और उनसे इस्तीफा ले लिया गया. अब यह मंत्रालय अच्छा प्रदर्शन करने वाले युवा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को दिया गया है. पीएम मोदी ने इस कदम से रोजगार की दिशा में सुधार करने की पहल की है.

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3. गंगा की सफाई

गंगा सफाई के मोर्चे पर भी मोदी सरकार की खासी आलोचना होती रही है. गंगा की सफाई के लिए मोदी सरकार ने एक अलग गंगा सरंक्षण मंत्रालय बनाया, लेकिन सरकार का यह मंत्रालय सफेद हाथी ही साबित हुआ है, क्योंकि गंगा की सफाई के मोर्चे पर कुछ काम नहीं हो पाया. यही नहीं, सरकार ने जो बजट आवंटित किया उसे भी मंत्रालय खर्च नहीं कर पाया, इसलिए उमा भारती से यह मंत्रालय छीन लिया गया है. अब यह मंत्रालय नितिन गडकरी को दिया गया है, जो अच्छे परफॉर्मर माने जाते हैं. पिछले 3 साल में गंगा सफाई को लेकर कोई बड़ा असर नहीं दिखा है, कोर्ट और NGT ने भी लगातार सरकार को इस मामले में फटकार लगाई है. उमा भारती ने हर बार कहा है कि 2018 तक गंगा सफाई के पहले चरण का काम पूरा हो जाएगा.

4. रक्षा क्षेत्र में सक्रियता

चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से मिलने वाली चुनौतियों के मद्देनजर देश को एक पूर्णकालिक रक्षा मंत्री की जरूरत थी. इसके लिए सबको चौंकाते हुए पीएम मोदी ने अपेक्षाकृत युवा महिला मंत्री निर्मला सीतारमण को चयनित कर यह संदेश दिया है कि रक्षा के मोर्चे पर अब किसी तरह की ढिलाई नहीं होगी. तमाम रक्षा सौदों को निपटाने और रक्षा क्षेत्र में नए समझौते करने के लिए ऐसा करना जरूरी था. निर्मला सीतारमण के साथ एक प्लस प्वाइंट यह भी है कि वाणिज्य मंत्री के रूप में उन्हें अंतरराष्ट्रीय कारोबार और समझौतों का एक्सपोजर मिल चुका है.

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5. 2019 पर नजर

मोदी सरकार के तीन साल हो पूरे हो चुके हैं और अब बीजेपी का फोकस 2019 के चुनाव जीतने पर हो गया है. ऐसे में कैबिनेट में फेरबदल कर पीएम मोदी सरकार की मशीनरी में ग्रीस तो डालना ही चाहते हैं, साथ ही क्षेत्रीय संतुलन साधकर राजनीतिक पकड़ भी बनाए रखना चाहते हैं. इसी सोच के तहत ही एक तरफ प्रशासनिक अनुभवों वाले लोगों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है तो दूसरी तरफ, दक्षिण की नेता निर्मला सीतारमण को तरक्की देकर रक्षा जैसा मजबूत मंत्रालय दिया गया है. असल में वेंकैया नायडू के राष्ट्रपति बनने के बाद दक्ष‍िण में बीजेपी को कद्दावर नेता की जरूरत थी और निर्मला उसके लिए उपयुक्त साबित हो सकती हैं. ऐसे ही संतुलन साधने के प्रयास के तहत यूपी में एक मंत्री पूर्वी यूपी से तो दूसरा पश्चिमी यूपी से बनाया गया है. पूर्वी यूपी में शिवप्रताप को मंत्री बनाकर एक तरफ नाराज ब्राह्मणों को मनाने की कोशिश की गई है, तो दूसरी तरफ योगी आदित्यनाथ को भी एक संकेत दिया गया है. असल में शिवप्रताप गोरखपुर से ही आते हैं और लंबे समय तक आदित्यनाथ के विरोधी खेमे में रहे हैं.

6. मंत्रियों को कड़ा संदेश

कैबिनेट फेरबदल के द्वारा पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों को यह कड़ा संदेश दिया है कि कोई ये न समझे कि मंत्री पद उसकी जागीर हो गई है और यह कुर्सी पूरी तरह से प्रदर्शन आधारित ही है. अगर प्रदर्शन अच्छा रहा तो तरक्की मिलेगी, वरना बाहर करने में देर नहीं लगाई जाएगी. फेरबदल में चार मंत्रियों को तरक्की दी गई तो कलराज मिश्रा, महेंद्र नाथ पांडेय, राजीव प्रताप रूडी , संजीव बालियान, फग्गन सिंह कुलस्ते और बंडारू दत्तात्रेय की मंत्रालय से छुट्टी कर दी गई. कई मंत्रियों के विभाग बदल दिए गए.  इस तरह पीएम ने मंत्रियों को साफ संदेश दिया है कि कुर्सी पर बने रहने के लिए काम तो करना ही होगा, बल्कि अच्छा काम करना होगा.

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