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PM मोदी ने समझाया, कैसे बदल गया देश का टैक्स सिस्टम, क्या हैं बदले नियम?

ईमानदार टैक्सपेयर्स को प्रोत्साहन और कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक नए खास प्लेटफॉर्म की शुरुआत की. इस अवसर पर पीएम मोदी ने यह समझाया कि अंग्रेजों के जमाने के टैक्स सिस्टम को किस तरह से बदलकर टैक्सपेयर्स को राहत दी जा रही है.

 पीएम मोदी ने टैक्स के नए सिस्टम की शुरुआत की (फाइल फोटो: PTI) पीएम मोदी ने टैक्स के नए सिस्टम की शुरुआत की (फाइल फोटो: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

  • पीएम मोदी ने टैक्स के नए सिस्टम की शुरुआत की
  • PM ने बताया कि इससे क्या होगा टैक्सपेयर्स को फायदा

ईमानदार टैक्सपेयर्स को प्रोत्साहन और कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को एक नए खास प्लेटफॉर्म की शुरुआत की. इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी के दौर से शुरू देश के टैक्स सिस्टम में अब काफी बदलाव किए गए हैं.

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इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये प्लेटफॉर्म 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की शुरुआत है, जिसमें फेसलेस असेसमेंट-अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म हैं.

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बता दें कि इस नए टैक्स प्लेटफॉर्म के तहत करदाता को फेसलेस असेसमेंट, टैक्स पेयर्स चार्टर, फेसलेस अपील की सुविधा मिलेगी. साथ ही अब टैक्स देने में आसानी होगी, तकनीक की सहायता से लोगों पर भरोसा जताया जाएगा.

सरकार का दखल कम से कम

प्रधानमंत्री ने बताया कि 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्स होते थे और उनकी स्क्रूटनी होती थी आज उससे काफी कम है, क्योंकि हमने टैक्सपेयर्स पर भरोसा किया है. अब ईमानदार का सम्मान होगा, एक ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाता है. पीएम ने कहा कि आज से शुरू हो रही नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं मिनिमम गवर्नमेंट-मैक्सिमम गवर्ननेंस को आगे बढ़ाती हैं. पीएम ने कहा कि इससे सरकार का दखल कम होगा.

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पीएम ने कहा कि पॉलिसी स्पष्ट होना, ईमानदारी पर भरोसा, सरकारी सिस्टम में टेक्नोलॉजी का प्रयोग, सरकारी मशीनरी का सही उपयोग करना और सम्मान करना. पहले रिफॉर्म की बातें होती थीं, कुछ फैसले मजबूरी-दबाव में लिए जाते थे जिससे परिणाम नहीं मिलता था.

कुछ लोगों की वजह से करोड़ों टैक्सपेयर्स होते थे परेशान

पीएम ने कहा कि देश के साथ छल करने वाले कुछ लोगों की पहचान के लिए बहुत लोगों को परेशानी से गुजरना पड़ा. छल करने वाले कुछ लोगों की वजह से करोड़ों ईमानदार टैक्सपेयर्स को भी परेशान होना पड़ता था. ऐसे में साठगांठ की व्यवस्था बन गई. इसी चक्कर के कारण ब्लैक-व्हाइट का उद्योग बढ़ा.

उन्होंने कहा कि पहले 10 लाख का मामला भी अदालत में चला जाता था, लेकिन अब हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में जाने वाले मामले की सीमा क्रमश: 1-2 करोड़ की गई है. अब फोकस अदालत से बाहर ही मामलों को सुलझाने पर है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले अपने शहर का अधिकारी है मामला देखता था, लेकिन अब टेक्नोलॉजी की वजह से देश के किसी भी हिस्से का अधिकारी केस की जांच कर सकता है. अगर मुंबई में कोई केस सामने आता है, तो उसकी जांच का मामला मुंबई को छोड़कर किसी भी शहर की टीम के पास जा सकता है. उस आदेश का रिव्यू किसी दूसरे शहर की टीम करेगी, टीम में कौन होगा इसका नतीजा भी कंप्यूटर से किया जाएगा.

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तीन बड़े सुधार

पीएम मोदी ने टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए तीन बड़े सुधार या कहें तीन सौगात टैक्सपेयर्स को दिए हैं. इनमें फेसलेस , फेसलेस अपील और चार्टर शामिल हैं.

1. टैक्सपेयर्स चार्टर

अगर आसान भाषा में समझें तो ये चार्टर एक तरह का लिस्ट होगा, जिसमें टैक्सपेयर्स के अधिकार और कर्तव्य के अलावा टैक्स अधिकारियों के लिए भी कुछ निर्देश होंगे. इसके जरिए करदाताओं और इनकम टैक्स विभाग के बीच विश्वास बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. इस चार्टर में टैक्सपेयर्स की परेशानी कम करने और इनकम टैक्स अफसरों की जवाबदेही तय करने की व्यवस्था होगी. इस समय दुनिया के सिर्फ तीन देशों- अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में ही यह लागू है.

2. फेसलेस अपील

फेसलेस अपील की सुविधा इस साल 25 सितंबर को दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर शुरू होगी. इस सुविधा के द्वारा भी भ्रष्टाचार और मनमानी को रोकने की कोशिश की जाएगी. इसके तहत टैक्सपेयर्स की अगर कोई शिकायत है तो उसे इसके लिए रैंडम तरीके से चुने गए अफसर के पास अपील का अधिकार होगा. यह अफसर कौन है, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं होगी. आयकर दाता को इसके लिए किसी भी दफ्तर के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी.

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3. फेसलेस असेसमेंट

इसके पहले स्क्रूटनी वाले मामलों में असेसमेंट प्रक्रिया के दौरान करदाता को कई बार टैक्स अधिकारियों का चक्कर लगाना पड़ता था. यह एक तरह से भ्रष्टाचार की वजह बनता था और खासकर ज्यादा रकम वाले मामलों में ऐसे आरोप लगते थे. लेन-देन के जरिए मामले निपटाने की कोशिश हो सकती थी. लेकिन फेसलेस असेसमेंट यह रास्ता बंद हो जाएगा.

फेसलेस असेसमेंट इलेक्ट्रॉनिक मोड में होता है. इनमें टैक्सपेयर किसी टैक्स अधिकारी के आमने-सामने होने की या किसी इनकम टैक्स ऑफिस जाने की जरूरत नहीं होती.

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