
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संसद के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सम्मेलन में शिरकत की. पहले जन प्रतिनिधि सम्मलेन को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने सामाजिक न्याय, भारतीय संविधान, स्वच्छ भारत अभियान समेत कई मुद्दों पर अपनी बात सामने रखी.
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'हमारे संविधान की विशेषता अधिकारों और कार्यों के बंटवारे के कारण नहीं है. देश में सदियों से बुराइयां घर कर गई थीं. मंथन से जो अमृत निकला उसे हमारे संविधान के अंदर जगह मिली. वो बात थी सामाजिक न्याय की. कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि सामाजिक न्याय का एक और भी दायरा है. कोई मुझे बताए, एक घर में बिजली है, बगल के घर में बिजली नहीं है, क्या सामाजिक न्याय की ये जिम्मेदारी नहीं बनती है कि दूसरे घर में भी बिजली होनी चाहिए.'
उन्होंने आगे कहा, 'एक जिला आगे है, दूसरा पीछे है, क्या सामाजिक न्याय की बात करने में ये बाध्यता नहीं है कि वो जिला भी बराबरी में आए. इसलिए सामाजिक न्याय का सिद्धांत हम सबको दायित्व के लिए प्रेरित करता है. हो सकता है देश जहां सबकी अपेक्षा होगी वहां, नहीं पहुंचा होगा. पर राज्य में 5 जिले आगे पहुंचे हैं, तीन पीछे रह गए हैं. उन तीन को भी बराबरी पर लाया जा सकता है.'
पीएम ने कहा, 'जो अच्छा करते हैं वो लगातार अच्छा करते चले जाते हैं, लेकिन जो पिछड़ गए हैं वो और पिछड़ने की दशा में आ जाते हैं. हमें और बारीकी में जाने का प्रयास करना चाहिए. राज्यों में फेडरलिज्म का माहौल बना है. राज्य और संसद के प्रतिनिधि बैठकर साथ चर्चा करते हैं. प्रतिस्पर्धा का माहौल बना है. पर देश जो अपेक्षा करता है, उसे पूरा करना है तो पुराने पैरामीटर से चलने पर परिणाम नहीं मिलेगा.'
स्वच्छता पर आई स्पर्धा
मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान पर कहा, 'स्वच्छता की जब रैंकिंग शुरू हुई तो एक स्पर्धा पैदा हुई. एक नगर पीछे रह गया तो गांव के लोग ही आवाज उठाने लगे. आंदोलन खड़ा हुआ, देश क्यों आगे नहीं बढ़ रहा है? तो क्यों न हम देश में उन जिलों के लिए कुछ मापदंड तय करें? जिसका पब्लिकेशन हो चुका है उसे ही मानें और 48 पैरामीटर बनाएं. इसमें पीछे के जिले हैं, अनुभव ये आया कि जो 10 पैरामीटर में पीछे हैं तो वो सब में पीछे हैं.'
115 जिलों का विकास सुधारेगा देश की दशा
पीएम मोदी ने इस दौरान देश के 115 जिलों के विकास पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि उपलब्ध संसाधन से एक जिला आगे गया है तो दूसरा क्यों नहीं. इसमें लीडरशिप और गवर्नेंस का मसला है. उन्होंने कहा कि सांसद और विधायक सभी कलेक्टर और अधिकारियों के साथ बैठें.
नए अफसरों को जिम्मेदारी
इस दौरान पीएम मोदी ने युवा अधिकारियों की नियुक्तियों पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, 'मैं किसी की आलोचना करने के लिए नहीं कह रहा हूं. आम तौर पर जिले के कलेक्टर जो होते हैं उनकी उम्र 30 साल होती है. इन 115 जिलों में 80 प्रतिशत से ज्यादा जो डीएम थे वो 40 की उम्र से ज्यादा थे, कोई 45 के भी थे. अब बताइए जो 45 का है उसके पास कई सारे निजी काम हैं. ज्यादातर स्टेट प्रमोटिव ऑफिसर हैं, उन्हें ही भेजा गया. वहीं से सोच बैठ गई है कि बैकवर्ड जिला है, इसे ही भेज दो.'
पीएम ने इस समस्या का समाधान बताते हुए आह्वान किया, 'हमें सोचना चाहिए कि अगले 5 साल में सिर्फ नए तेज डीएम को लगाइए, देखिए क्या अंतर आता है. मैं कई सीएम से संपर्क में हूं.'
पीएम ने कहा कि बराबरी के लिए सभी जिलों का विकास जरूरी है. पिछड़े जिलों का विकास हम सबका दायित्व है. जहां अफसरों और स्थानीय लीडरशिप ने मिशन मोड पर काम किया है और लोगों को जोड़ा है, वहां बेहतर काम हुआ है.