Advertisement

मोदी ने नौकरशाहों को सुनाई गड्ढा खोदने और भरने की कहानी, हंस पड़े अफसर

सिविल सर्विसेज डे के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में हर साल प्रधानमंत्री देश के नौकरशाहों से मुखातिब होते हैं और उन्हें अपने अपने ढंग से नसीहत देते रहे हैं. लेकिन मंच पर जब नरेंद्र मोदी हों, यह बात तो तय है कि उनका अंदाज ए बयां कुछ और होगा.

नौकरशाहों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी नौकरशाहों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी
बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 21 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 4:54 PM IST

सिविल सर्विसेज डे के मौके पर दिल्ली के विज्ञान भवन में हर साल प्रधानमंत्री देश के नौकरशाहों से मुखातिब होते हैं और उन्हें अपने अपने ढंग से नसीहत देते रहे हैं. लेकिन मंच पर जब नरेंद्र मोदी हों, यह बात तो तय है कि उनका अंदाज ए बयां कुछ और होगा.

प्रधानमंत्री मोदी नौकरशाहों को यह बात समझाने की कोशिश कर रहे थे कि अगर देश में सचमुच परिवर्तन लाना है तो सोच को बदलना होगा. आंकड़ों की बाजीगरी से काम नहीं चलने वाला. हर कदम उठाने से पहले मन में यह सोचना होगा कि क्या हमारे इस काम से देश में कोई सार्थक परिवर्तन होगा या नहीं. सिर्फ दिखाने के लिए काम करने का कोई मतलब नहीं है जब तक उसका कोई असर ना हो.

Advertisement

अपनी बात समझाने के लिए प्रधानमंत्री ने एक कहानी सुनाई. एक बार एक सीनियर व्यक्ति ने देखा कि एक बगीचे में दो लोग बड़ी मेहनत से काम कर रहे हैं. लेकिन पास जाकर देखा तो उसे कुछ समझ में नहीं आया कि वो लोग कर क्या रहे हैं, उनमें से एक व्यक्ति गड्ढा खोद रहा था और दूसरा आदमी गड्ढों में मिट्टी डाल रहा था.

उस सीनियर व्यक्ति को बड़ा कौतूहल हुआ कि आखिर यह लोग करना क्या चाहते हैं? उसने उन दोनों के पास जाकर पूछा भाई आप लोग दोनों क्या काम कर रहे हो. उन्होंने कहा कि दरअसल हम दो नहीं तीन लोग हैं. सीनियर ने पूछा लेकिन तीसरा व्यक्ति तो दिखाई नहीं दे रहा है. दोनों ने कहा कि वह असल में आज छुट्टी पर है और आया नहीं है.

Advertisement

उन्होंने बताया तीन लोगों में पहले का काम है गड्ढा खोदना जो मैं कर रहा हूं. दूसरे व्यक्ति के जिम्मे है उन गड्ढों में पेड़ डालना. लेकिन जिस व्यक्ति के जिम्मे गड्ढों में पौधे डालने का काम है वह आज नहीं आया है. तीसरे व्यक्ति का काम है गड्ढों में मिट्टी डालना. तो दूसरे व्यक्ति के नहीं आने के बाद भी हम लोग अपना काम कर रहे हैं.

मोदी ने कहा क्या कर आंकड़ों के लिहाज से देखें तो सचमुच दोनों लोग पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं. लेकिन उनके काम का नतीजा क्या निकला यह बात आप पूरी तरह से समझ सकते हैं. मोदी किस कहानी से पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा.

मोदी ने नौकरशाहों से कहा कि प्रेरणा लेने के लिए उन्हें किसी और कहानी की जरूरत नहीं है और ना ही किसी और की बात सुनने की जरूरत है. अगर आप सब लोग सिर्फ उस दिन को याद करें जिस दिन सिविल सर्विसेस में आपका सलेक्शन हुआ था. याद कीजिए कि उस दिन आपके मां बाप ने आप के दोस्तों ने और खुद आपने क्या सपने देखे थे. अगर आप खुद से यह सवाल पूछें कि क्या आज आप उन सपनों को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं तो आपको अपका रास्ता खुद ही मिल जाएगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement