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लखनऊ में इशारों के तीर से मोदी ने मारे कई रावण

दशहरे के मौके पर रामलीला के मंच से मोदी के जय श्री राम के उद्घोष को विरोधी चाहे जिस रुप में देखें लेकिन मोदी एक बार फिर यह साबित कर गए की मंच कोई भी हो वह राजनीतिक लीला अच्छी तरह जानते हैं.

पीएम मोदी पीएम मोदी
बालकृष्ण/कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 11 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST

लखनऊ में इतिहास तो उसी वक्त बन गया जब नरेंद्र मोदी ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आकर हिस्सा लेने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए. लेकिन सबकी निगाहें इस बात पर लगीं थी कि सर्जिकल स्ट्राइक पर मचे बवाल के बीच यूपी के चुनावी महाभारत को देखते हुए मोदी इस मंच से क्या राजनीतिक संदेश देते हैं.

मोदी ने अपना इरादा तभी साफ कर दिया, जब उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत और अंत दोनों 'जय श्रीराम' के उद्घोष से किया. मोदी के कहने पर 'जय श्रीराम' के नारों से ऐशबाग का रामलीला मैदान गूंज उठा. लेकिन मोदी यही नहीं रुके. उन्होंने लोगों से कहा कि 'जय श्रीराम' के नारे इतनी जोर से लगने चाहिए की आवाज दूर तक जाए.

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'आतंक को पनाह देने वालों को नहीं बख्शेंगे'
सीधा हमला तो मोदी ने सिर्फ रावण पर किया, लेकिन अपने भाषण में रावण के कई चेहरे उन्होंने लोगों को दिखाए और सबको खत्म करने की अपील की. इस बार ऐशबाग के रामलीला की थीम थी आतंकवाद का समूल नाश. मोदी ने आतंकवाद के रावण को खत्म करने के लिए सबको साथ आने को कहा, लेकिन मोदी ने जोर देकर यह भी कहा कि आतंकवाद का खात्मा तो किया ही जाएगा, आतंकवाद को पनाह देने वालों को भी नहीं बख्शा जाएगा. एक बार फिर से पूरा मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.

'सीता को कोख में ना मारें'
मोदी ने समाजवादी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन जातिवाद के रावण को खत्म करने की बात कही. मोदी ने कांग्रेस का भी नाम नहीं लिया, लेकिन वंशवाद के रावण को खत्म करने की बात कही. आतंकवाद के बाद अगर किसी रावण की सबसे ज्यादा मोदी ने बात की तो वह थी भ्रूण हत्या करने वाले मानसिकता की. मोदी ने कहा कि रावण का वध इसलिए किया गया, क्योंकि उसने सीता का अपमान किया. लेकिन उन लोगों के बारे में क्या कहा जाए जो अपने घरों में जन्म लेने से पहले ही कोख में पल रही सीता को मार डालते हैं.

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मोदी ने ना तो तीन तलाक की बात की और ना ही कॉमन सिविल कोड की, लेकिन जब उन्होंने कहा कि सभी धर्मों में महिलाओं को समान अधिकार मिलना चाहिए, किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए तो उनका इशारा साफ था.

'युद्ध भी अनिवार्य है'
मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक की बात भी नहीं कही. लेकिन बिना कहे सब कुछ कह दिया. उन्होंने कहा कि युद्ध कई बार जरुरी बन जाता है, लेकिन ये वो धरती है जो युद्ध से बुद्ध की ओर बढ़ती है. कहने का मतलब ये कि भारत शांति चाहने वाला देश है लेकिन अगर जरुरत पड़ी तो भारत पूरी तरह से सक्षम है.

भाषण की शुरुआत में मोदी ने कहा उत्तर प्रदेश वह पावन धरती है जिसने दुनिया को कृष्ण और राम दोनों ही दिए. इस ऐतिहासिक रामलीला मैदान में मोदी को स्मृति चिन्ह के तौर पर जो चीजें भेंट की गई, उसमें भी राम की पहचान तीर धनुष और कृष्ण की पहचान सुदर्शन चक्र दोनों ही थे. कंधे पर रामनामी दुशाला डाले जब मोदी ने मंच से तीर चलाया तो उनके समर्थकों में जोश और खुशी की लहर दौड़ गई.

दशहरे के मौके पर रामलीला के मंच से मोदी के जय श्री राम के उद्घोष को विरोधी चाहे जिस रुप में देखें लेकिन मोदी एक बार फिर यह साबित कर गए की मंच कोई भी हो वह राजनीतिक लीला अच्छी तरह जानते हैं.

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