
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला दिवस के अवसर पर अपना ट्वटिवर हैंडल उन महिलाओं को सौंपा, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद अलग-अलग क्षेत्रों में कामयाबी हासिल की है. इनमें देश के अलग-अलग हिस्सों से सात महिलाओं को शामिल किया गया है. सबसे पहले चेन्नई की स्नेहा मोहनदास ने पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल से अपनी दास्तान सुनाई. उन्होंने बताया कि वो कैसे 'फूड बैंक इंडिया' के जरिए बेघरों को खाना खिलाने का काम करती हैं.
उसके बाद बीकानेर ब्लास्ट में अपने दोनों हाथ गंवा देने वाली मालविका अय्यर ने अपनी कहानी बताई. उन्होंने बताया कि इस ब्लास्ट में हाथ-पांव खोने के बावजूद उन्होंने हौसला नहीं खोया और आज वो अपने जैसे कई दिव्यांगजनों के लिए जीने का एक कारण बन गई हैं.
बाद में कश्मीर की आरिफा, हैदराबाद में पानी की समस्या पर काम करने वाली कल्पना रमेश, महाराष्ट्र के बंजारा समुदाय से आने वालीं विजया पवार, कानपुर की कलावती देवी और बिहार के मुंगेर की वीणा देवी. इन सभी महिलाओं ने काफी चुनौती झेलने के बाद अपनी ना कवेल एक पहचान बनाई है बल्कि देश और दुनिया के लिए एक मिसाल भी कायम किया है.
घर में ही करती हैं मशरूम की खेती
पलंग के नीचे मशरूम की खेती कर वीणा देवी ने दूसरी महिलाओं के लिए भी किसानी का रास्ता खोल दिया है. बिहार में मुंगेर की रहने वाली वीणा देवी 20013 से ही खेती कर रही हैं. वो आसपास की अन्य महिलाओं को भी किसानी के लिए प्रेरित कर रही हैं. जिससे कि वो भी रोजगार से सीधे-सीधे जुड़ सकें. मैंने सबसे पहले पलंग के नीचे एक किलो मशरूम की खेती की. वहीं से मेरी नई जिंदगी की नई शुरुआत हुई. इस खेती ने मुझे न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाकर एक नया जीवन दिया.
आज मुंगेर की महिलाएं पूरे देश के सामने एक मिसाल पेश कर रही हैं. घर में खेती से लेकर उपज को हाट में बेचने तक सारा जिम्मा खुद अपने कंधों पर उठाती हैं. इसलिए मैं देश की सभी महिलाओं से यही कहूंगी - बाहर निकलिए, खुद काम कीजिए और तब देखिए कितना अच्छा लगता है.
कलावती देवी ने बताई अपने मुहिम की कहानी
कानपुर की कलावती देवी स्वच्छता के लिए काम करती हैं. उन्होंने पीएम मोदी के ट्वटिर के जरिये बताया कि स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता जरूरी है. इसके लिए लोगों को जागरूक करने में थोड़ा समय जरूर लगा. लेकिन मुझे पता था कि अगर लोग समझेंगे तो काम आगे बढ़ जाएगा. मेरा अरमान पूरा हुआ, स्वच्छता को लेकर मेरा प्रयास सफल हुआ. हजारों शौचालय बनवाने में हमें सफलता मिली है.
कलावती देवी ने बताया कि देश की बहन, बेटी और बहुओं को मेरा यही संदेश है कि समाज को आगे ले जाने के लिए ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी निष्फल नहीं होता. इसलिए बाहर निकलिए. अगर कोई कड़वी भाषा बोलता है तो उसे बोलने दीजिए. अगर अपने लक्ष्य को पाना है तो पीछे मुड़कर नहीं देखा करते हैं. मैं जिस जगह पे रहती थी, वहां हर तरफ गंदगी ही गंदगी थी. लेकिन दृढ़ विश्वास था कि स्वच्छता के जरिए हम इस स्थिति को बदल सकते हैं. लोगों को समझाने का फैसला किया. शौचालय बनाने के लिए घूम-घूमकर एक-एक पैसा इकट्ठा किया. आखिरकार सफलता हाथ लगी.
विजया पवार ने हेंडीक्रॉफ्ट से कराया रूबरू
महाराष्ट्र के बंजारा समुदाय से आने वालीं विजया पवार हेंड्रक्रॉफ्ट के लिए काम करती हैं. विजया पवार को जब पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल को चलाने का मौका मिला तो उन्होंने बताया कि गोरमाटी कला को बढ़ावा देने के लिए पंतप्रधान नरेंद्र मोदी ने न केवल हमें प्रोत्साहित किया बल्कि हमारी आर्थिक सहायता भी की. ये हमारे लिए गौरव की बात है. इस कला के संरक्षण के लिए मैं पूरी तरह से समर्पित हूं और महिला दिवस के अवसर पर गौरवान्वित महसूस कर रही हूं.
उन्होंने कहा कि आपने भारत के विभिन्न हिस्सों के हस्तशिल्प के बारे में सुना होगा. मेरे साथी भारतीयों, मैं आपके सामने ग्रामीण महाराष्ट्र में बंजारा समुदाय के हस्तशिल्प प्रस्तुत करती हूं. मैं पिछले 2 दशकों से इस पर काम कर रही हूं. इससे एक हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
कल्पना ने बताई पानी बचाने की अपनी मुहिम
कल्पना रमेश पानी के क्षेत्र में काम करती हैं. उन्हें भी पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट को चलाने का मौका मिला. उन्होंने बताया कि एक छोटा प्रयास भी बड़ा असर छोड़ सकता है. पानी विरासत में मिली एक मूल्यवान चीज है. हमें आने वाली पीढ़ियों को इससे वंचित नहीं होने देना है. इसके लिए हमें जिम्मेदारी से पानी का उपयोग करना होगा, वर्षा जल का संचयन, झीलों को बचाना, उपयोग किए गए पानी का पुन: इस्तेमाल और जागरूकता पैदा करना होगा. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं पक्षियों को झील में ला सकती हूं या अपने पीएम के हैंडल से ट्वीट कर सकती हूं. दृढ़ संकल्प के साथ किसी असंभव काम को भी मुमकिन बनाया जा सकता है. हम जल संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्र में सामूहिक रूप से काम करते हुए समुदायों में बदलाव ला सकते हैं. आइए हम समस्या हल करने वाले बनें.
पीएम के कदम से बढ़ा आरिफा का आत्मविश्वास
कश्मीर की आरिफा को भी पीएम नरेंद्र मोदी का ट्विटर अकाउंट संभालने का मौका मिल रहा है. आरिफा कश्मीर की हैं. वे कश्मीर की पारंपरिक नमदा बुनकर हैं. नमदा बुनकर ऊन के कारपेट बनाती हैं. कश्मीर में लुप्त सी हो चुकी इस कला को आरिफा ने नया मुकाम दिया है. आरिफा ने कहा कि इस कला का पीएम मोदी के इस कदम से उनका हौसला बढ़ा है. उन्होंने कहा कि इस कदम से महिलाओं के लिए आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है. आरिफा ने कहा कि जब परंपरा का मिलन आधुनिकता से होता है तो चमत्कार हो सकता है. मैंने अपने काम के दौरान ये महसूस किया. पहली बार दिल्ली में मैंने प्रदर्शनी में शिरकत की. मैं घर में बने आइटम लेकर गई थी. इस प्रदर्शनी में मुझे बढ़िया रिस्पॉन्स मिला.
ब्लास्ट में हाथ गंवाने वाली मालविका ने बताई दास्तां
स्नेहा मोहनदास के बाद पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल की जिम्मेदारी मालविका अय्यर ने संभाली और उन्होंने अपनी कहानी को साझा किया. मालविका ने बताया कि उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में बीकानेर ब्लास्ट में अपने दो हाथ गंवा दिए थे. विस्फोट में हाथों के साथ उनके पैर भी बुरी तरह से जख्मी हो गए थे. लेकिन वह हिम्मत नहीं हारीं. मालविका आज दिव्यांग लोगों को लेकर जागरुकता फैला रही हैं.
स्नेहा ने बताई अपनी ये कहानी
पीएम मोदी के साइन ऑफ होने के बाद चेन्नई की स्नेहा मोहनदास- जो फूड बैंक इंडिया नाम से एक ऑर्गेनाइजेशन चलाती हैं- ने उनका ट्वटिर हैंडल संभाला और अपनी सफलता की कहानी साझा की. उन्होंने पीएम मोदी के हैंडल से अपनी मुहिम फूड बैंक इंडिया के बारे में बताया. स्नेहा ने बताया कि उन्होंने अपनी मां से प्रेरित होकर बेघरों को खाना खिलाने की आदत डाली और फूडबैंक इंडिया के नाम से नए पहल की शुरुआत की.
इससे पहले, पीएम मोदी ने ट्वीट कर महिला दिवस की बधाई दी और महिलाओं को सैल्यूट बोला. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई. हम अपनी नारी शक्ति की भावना और उपलब्धियों को सलाम करते हैं.'
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प्रधानमंत्री मोदी पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी शक्ति के प्रति सम्मान जताने के लिए सोशल मीडिया के अपने सभी माध्यमों को महिलाओं को समर्पित किया था.