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PM मोदी ने जिस संजीवनी का जिक्र किया, वो DRDO लेह की प्रयोगशाला में है मौजूद

इस संजीवनी के बारे में कुछ मान्यताएं भी हैं. रामायण की कहानियों के मुताबिक लक्ष्मण को तीर लगने के बाद हनुमान हिमालय से संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ उठा लाए थे. सोलो पौधा भी हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में ही पाया जाता है और बेहद दुर्लभ है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (File Photo) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (File Photo)
गौरव पांडेय
  • लेह,
  • 09 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST

शुक्रवार को राष्ट्र के नाम किए गए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में मौजूद जिस संजीवनी का जिक्र किया, आज तक ने भारत के सबसे ऊंचे पहाड़ों के बीच बसे लेह में उस संजीवनी को खोज निकाला है. लेह की डीआरडीओ की प्रयोगशाला में वो जड़ी बूटी मौजूद है जिसका जिक्र पीएम मोदी ने किया.

दरअसल, डीआरडीओ सियाचिन जैसी दुर्गम परिस्थितियों में देश की सीमाओं की हिफाजत करने वाली फौज को जीवन देने के लिए उसी संजीवनी पर काम कर रहा है. लद्दाख में खरदूंगला पास जैसी 18000 फुट की उंचाईयों पर पाई जाने वाली इस जड़ी बूटी को लद्दाख में सोलो कहा जाता है. इस पौधे को डीआरडीओ के वैज्ञानिक रोडियोला के नाम से जानते हैं. इस पौधे के औषधीय गुणों के चलते ही इसे संजीवनी की संज्ञा दी गई है. लेह की प्रयोगशाला में इस सोलो वनस्पति पर कई प्रयोग किए जा रहे हैं.

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इसके बारे में कुछ मान्यताएं भी हैं. रामायण की कहानियों के मुताबिक लक्ष्मण को तीर लगने के बाद हनुमान हिमालय से संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ उठा लाए थे. सोलो पौधा भी हिमालय की ऊंची पहाड़ियों में ही पाया जाता है और बेहद दुर्लभ है.

लेह स्थित डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ हाई ऐल्टिट्यूड रिसर्च यानि डीआईएचएआर के डायरेक्टर ओपी चौरसिया का कहना है, 'लेह जैसे दुर्गम इलाकों में याद्दाश्त खोने, कमज़ोरी, एल्टिट्यूड सिकनेस जैसी कई बीमारियां आम बात हैं. 20 साल से हम जड़ी बूटियों पर शोध कर रहे हैं और इसी शोध में हमने सोलो वनस्पति में जो गुण पाए जो कि ऊंचाई पर हमारे सैनिकों की शारीरिक क्षमता बढ़ा सकती है.

लेह में मौजूद सोलो का पौधा

लेह की ही डीआरडीओ लैब के प्रमुख ओपी चौरसिया का कहना है कि इस सोलो वनस्पति में रेडिएशन रोकने और कैंसररोधी क्षमता समेत किसी भी बीमारी से लड़ने के गुण हैं इसीलिए हम इसे संजीवनी कहते हैं.  

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लेह की डीआरडीओ की प्रयोगशाला में रोडियोला यानि सोलो पर काफी लंबे समय से प्रयोग हो रहा है. इस वनस्पति में दुर्गम परिस्थितियों में शरीर को ढालने के विशेष गुण हैं.  इतना ही नहीं इस वनस्पति में अवसाद-रोधी और भूख बढ़ाने वाला गुण भी हैं साथ ही यह शरीर की सक्रियता बढाने के साथ कमजोरी से भी लड़ता है.

चौरसिया के मुताबिक जल्दी इस वनस्पति के गुणों को मिलाकर दवाई बनकर तैयार हो जाएगी जो भारतीय सैनिकों के.लिए ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान के लिए संजीवनी बन जाएगी.

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