
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती से पहले 24 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में बने गांधी सोलर पार्क के साथ 'गांधी शांति उद्यान' का भी उद्घाटन करेंगे. इस अवसर पर गांधी जयंती मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र एक विशेष डाक टिकट भी जारी करेगा.
'गांधी शांति उद्यान' महात्मा गांधी को सर्मिपत है और इसका वित्त पोषण लोगों से मिले चंदे से होगा. लोग अपने प्रियजनों की याद में पेड़ों को गोद ले सकते हैं. यह उद्यान 600 एकड़ के विश्वविद्यालय परिसर में होगा. पीएम मोदी अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र की यात्रा के दौरान 50 किलोवाट क्षमता के 'गांधी सौर पार्क' का उद्घाटन करेंगे. यह कदम जलवायु परिवर्तन वार्ता से भी आगे जाने की भारत की इच्छाशक्ति को रेखांकित करता है.
बता दें कि भारत ने यूएन मुख्यालय की छत पर स्थापित सौर पैनलों को उपहार में दिया है. साथ ही विश्व निकाय के सभी 193 सदस्यों के लिए एक-एक पैनल लगाया गया है. पूरी परियोजना पर 10 लाख डॉलर खर्च हुए हैं. इन सौर पैनलों से अधिकतम 50 किलोवाट विद्युत उत्पादन किया जा सकता है.
इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अब हरित ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा. भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र को उपहार में दिया गया गांधी सोलर पार्क 24 सितंबर को काम करने लगेगा. यह जलवायु परिवर्तन से लड़ने की भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है.
लगभग 10 लाख डॉलर लागत से लगाए गए 193 सौर पैनलों से 50 किलोवाट बिजली पैदा होगी. संयुक्त राष्ट्र में कुल 193 सदस्य देश हैं, और प्रत्येक सोलर पैनल प्रत्येक सदस्य राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करेगा. भारत 150 पेड़ों से बने गांधी पीस गार्डन का भी दान कर रहा है, जो ओल्ड वेस्टबरी के एक विश्वविद्यालय परिसर में एक अन्य पर्यावरणीय उपहार के रूप में लगाया जाएगा.
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर दोनों उपहार जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में दो कारकों का प्रदर्शन करते हैं, सौर पार्क के माध्यम से अक्षय संसाधनों से हरित ऊर्जा उत्पन्न करना और पेड़ों का उपयोग करके कार्बन उत्सर्जन के प्रभाव को कम करना, जो ग्लोबल वार्मिग में योगदान देता है.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अकबरुद्दीन ने कहा, 'संयुक्त राष्ट्र हमेशा नवीकरणीय ऊर्जा की बात करता है. वह हमेशा जलवायु कार्ययोजना और जलवायु परिवर्तन पर बात करता है. इस छोटे से प्रयास से हमने बातचीत से आगे जाने की अपनी इच्छाशक्ति को प्रर्दिशत किया है.'
अकबरुद्दीन ने कहा, 'यह पहली कोशिश है. यह प्रयास है जो सभी 193 देशों का प्रतिनिधित्व करेगा क्योंकि यहां 193 पैनल लगाए गए हैं. प्रत्येक देश के लिए एक-एक पैनल लगाया गया है. हम सौर ऊर्जा में ही नहीं, बल्कि समानता में भी विश्वास करते हैं.'