
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोलकाता में 5वें इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जिसने विज्ञान और प्रौद्योगिकी (साइंस एंड टेक्नोलॉजी) के बिना प्रगति की हो. भारत से कई महान वैज्ञानिक निकले हैं, हमारा इतिहास हमें गौरवान्वित करता है और हमारा वर्तमान भी विज्ञान से काफी हद तक प्रभावित है.
पीएम मोदी ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फेस्टिवल में अपने उद्घाटन संबोधन में कहा, 'भविष्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी कई गुना बढ़ गई है. यह जिम्मेदारी मानव मूल्यों के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी को साथ लेकर चलने की है. सरकार आविष्कार और नवाचार दोनों के लिए संस्थागत सहायता प्रदान कर रही है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया जा रहा है.'
साइंस में विफलता नहीं, सिर्फ कोशिशः मोदी
पीएम मोदी ने कहा, 'साइंस में विफलता नहीं होती, सिर्फ कोशिश होती है, प्रयोग होते हैं और सफलता होती है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए आप आगे बढ़ेंगे तो विज्ञान के क्षेत्र में भी आपको दिक्कत नहीं आएगी और जीवन में भी.'
उन्होंने आगे कहा कि इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल का 5वां एडिशन ऐसे स्थान पर हो रहा है, जिसने ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में मानवता की सेवा करने वाली महान विभूतियों को पैदा किया है. ये फेस्टिवल ऐसे समय में हो रहा है, जब 7 नवंबर को सीवी रमन और 30 नवंबर को जगदीश चंद्र बोस की जन्मजयंती मनाई जाएगी.
थीम के लिए आयोजकों को बधाईः PM
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस फेस्टिवल की थीम, RISEN: Research, Innovation and Science Empowering the Nation तय करने के लिए आयोजकों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई. ये थीम 21वीं सदी के भारत के मुताबिक है और इसी में हमारे भविष्य का सार है. देश में साइंस और टेक्नोलॉजी का इकोसिस्टम बहुत मजबूत होना चाहिए. एक ऐसा इकोसिस्टम जो प्रभावी भी हो और प्रेरक भी हो.
हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसा लगता है कि साइंस को लेकर हमारे युवा छात्रों में रुचि की एक नई लहर पैदा हुई है. इस शक्ति को, इस ऊर्जा को 21वीं सदी के साइंटिफि एनवायरमेंट में सही दिशा में ले जाना, सही प्लेटफॉर्म देना, हम सबका दायित्व है. हमारे यहां कहा गया है- तत् रूपं यत् गुणाः तत् विज्ञानं यत् धर्मः !!! यानि आपका बाहरी व्यक्तित्व तभी सार्थक है जब आप गुणवान भी होते हैं. इसी तरह विज्ञान वही उपयोगी है जो समाज के हित में हो.