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मोदी बोले, देश को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत, आयात में लाएं कमी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को उर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि वर्ष 2022 तक कच्चे तेल के आयात में 10 प्रतिशत कमी लाई जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने संपन्न लोगों से स्वेच्छा से रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने की भी अपील की.

नरेंद्र मोदी नरेंद्र मोदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 12:29 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को उर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि वर्ष 2022 तक कच्चे तेल के आयात में 10 प्रतिशत कमी लाई जानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने संपन्न लोगों से स्वेच्छा से रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने की भी अपील की.

पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा आयोजित पहले ऊर्जा संगम सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय पेट्रोलियम पदार्थों का आयात कुल मांग का 77 प्रतिशत है, वर्ष 2022 तक इसे 10 प्रतिशत कम किया जाना चाहिए. उसके बाद 2030 तक आयात और कम करके 50 प्रतिशत पर लाया जा सकता है. देश में वर्ष 2013-14 में कच्चे तेल आयात पर 1,89,238 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय देश में 27 लाख लोगों को पाइप के जरिए रसोई गैस की आपूर्ति की जा रही है. चार साल में एक करोड़ परिवारों पाइप गैस की आपूर्ति करने की योजना है. मोदी ने सुविधा संपन्न लोगों से स्वेच्छा से सब्सिडी वाले गैस सिलेंडर छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि अब तक 2.8 लाख लोगों ने इस तरह के एलपीजी कनेक्शन छोड़े हैं. इससे 100 करोड़ रपए सब्सिडी की बचत हुई है.

उन्होंने कहा, 'सब्सिडी में बची इस राशि का उपयोग गरीबों के लिए स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा. मैं अपील करता हूं कि जो बाजार मूल्य पर एलपीजी खरीद सकते हैं वे कृपया सब्सिडीशुदा एलपीजी नहीं लें. ऊर्जा संगम- 2015 का आयोजन ओएनजीसी विदेश, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड और इंडियन ऑयल की बरौनी रिफाइनरी के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में किया गया.

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मोदी ने विकास के लिए उर्जा को जरूरी बताते हुए कहा कि उर्जा सुरक्षा देश की आवश्यकता और जिम्मेदारी दोनों है. उन्होंने कहा पिछले दस महीने के दौरान सुधारों को बल दिया गया. कई पहल की गई हैं. आम आदमी की ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए गैस सब्सिडी सीधे हस्तांतरित करने पर जोर दिया गया. 12 करोड़ लोगों को सीधे बैंक खातों में गैस सब्सिडी पहुंचाने का काम किया गया.

सरकार ने जनधन, जनशक्ति और ऊर्जा शक्ति को जोड़ने का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा रसोई गैस सब्सिडी की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना शुरू करने के बाद से कई और लोग गैस सिलेंडर की सब्सिडी योजना को छोड़कर इससे बाहर हुए हैं. मोदी ने कहा कि बैंक खातों में सीधे रसोई गैस सब्सिडी देने से सब्सिडी का दुरुपयोग कम करने और भ्रष्टाचार से प्रभावशाली तरीके से निपटने में मदद मिली है.

उन्होंने कहा भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए यदि संस्थागत, पारदर्शी और नीति के तहत काम करने वाली प्रणाली पर काम किया जाए तो हम गड़बड़ी रोक सकते हैं और यह नकद अंतरण से साबित हो गया है. मोदी ने भारतीय ऊर्जा कंपनियों से कहा कि वे बहुराष्ट्रीय बनें और पश्चिम एशिया, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के उर्जा गलियारे में अपनी मौजूदगी बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि उन्हें उत्तरी अमेरिका और अफ्रीका में भी मौके तलाशने चाहिए.

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पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में कमी के मामले में नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्ष 2022 में जब देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही होगी तब हमें उर्जा आयात मौजूदा 77 प्रतिशत में 10 प्रतिशत कमी लानी चाहिए. हम आयात में 2022 तक 10 प्रतिशत कटौती कर सकते हैं. हम उत्पादन बढ़ाएंगे और यह हमारा सपना होना चाहिए. यदि हम 2022 तक घरेलू उत्पादन में 10 प्रतिशत वृद्धि कर आयात में 10 प्रतिशत कमी ला सकते हैं, तो फिर मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं 2030 तक हम आयात को कम करके 50 प्रतिशत पर ला सकते हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, हमारा लक्ष्य उंचा होना चाहिए उसके बाद ही हम आयात कम कर सकते हैं. उसके लिए हमें प्रयास करने होंगे. उन्होंने कहा कि घरेलू कंपनियों को बहुराष्ट्रीय बनना होगा. मोदी ने कहा कि देश के भीतर काम कर रही ज्यादातर सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों को बाहर देखना होगा और वैश्विक बाजार में उर्जा बाजार की संभावनाओं का दोहन करना चाहिए.

उन्होंने कहा, इन दिनों उर्जा कूटनीति एक नया क्षेत्र बन गया है. वैश्विक संबंधों में उर्जा कूटनीति आज की जरूरत बन गई है. जितनी ज्यादा हमारी कंपनियां बहुराष्ट्रीय बनेंगी उतना ही हम इस क्षेत्र में अपनी पहुंच और जगह बनाएंगे. प्रधानमंत्री ने ऊर्जा क्षेत्र में भविष्य की समस्याओं से निपटने के लिये संस्थागत प्रणाली को मजबूत बनाने की जरूरत भी बताई. उन्होंने कहा कि देश की युवा आबादी और सरकार की ओर से कौशल विकास पर ध्यान देने से उर्जा क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी. मोदी ने कहा कि सरकार पेट्रोल में इथनॉल मिश्रण को बढ़ावा दे रही है. इससे संकट से जूझ रही चीनी मिलों को कुछ राहत मिलेगी. किसानों को बंजर भूमि पर जटरोफा उगाने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसका इस्तेमाल बायोडीजल में होगा.

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इनपुट: भाषा

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