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भूमि विधेयक पर्यावरण के अनुकूल: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक पर एक बार फिर सफाई पेश की है. पीएम ने सोमवार को कहा कि यह विधेयक पर्यावरण संरक्षण की जरूरत के साथ-साथ भारत के जरूरी विकास को सुनिश्चित करता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2015,
  • अपडेटेड 11:38 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक पर एक बार फिर सफाई पेश की है. पीएम ने सोमवार को कहा कि यह विधेयक पर्यावरण संरक्षण की जरूरत के साथ-साथ भारत के जरूरी विकास को सुनिश्चित करता है.

पीएम मोदी ने कहा कि जनजाति और भूमि वन को भूमि अधि‍ग्रहण के दायरे से बाहर रखा गया है. राष्ट्रीय राजधानी में राज्यों के पर्यावरण और वन मंत्रियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण व विकास साथ-साथ हो सकता है, लेकिन उन्होंने इस बारे में फैलाए गए दुष्प्रचार पर निराशा जताई.

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भूमि विधेयक का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, 'जनजाति और वन भूमि को विधेयक के प्रावधानों से बाहर रखा गया है, लेकिन गंभीर गलतफहमियां व दुष्प्रचार किए जा रहे हैं.' उन्होंने लोगों से ऐसा न करने की अपील की और कहा कि समाज को दिग्भ्रमित करने के प्रयास से देश को नुकसान पहुंचेगा. दो दिवसीय सम्मेलन में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वायु प्रदूषण पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व सीवेज वाटर ट्रीटमेंट की तकनीक पर विचार-विमर्श किया.

सिफारिशों पर चर्चा
सम्मेलन के दौरान पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रह्मण्यन की अध्यक्षता वाली एक उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों पर भी चर्चा हुई. जावड़ेकर ने उम्मीद जताते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में सभी राज्य सरकारें केंद्र सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगी, वहीं मोदी ने कहा कि हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अगुवाई करने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें पर्यावरण पर भाषण देने और स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले लोग हमें परमाणु ईंधन नहीं देते.

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मोदी ने कहा, 'ये दोहरे मापदंड हैं. भारत को पर्यावरण संरक्षण के तरीकों के बारे में सोचना होगा. हम पर्यावरण संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए पारंपरिक तरीकों के बारे में सोचें. हमारी सदियों पुरानी परंपराओं में उपयोगी समाधान हो सकते हैं.' प्रधानमंत्री ने भारत के बारे में बना ली गई उस गलत अवधारणा को भी दूर करने पर जोर दिया, जिसके मुताबिक भारत पर्यावरण संबंधी मुद्दों को लेकर गंभीर नहीं है. उन्होंने कहा कि इस देश में ऐसी संस्कृति है, जिसमें प्रकृति ईश्वर के समान है.

पर्यावारण के लिए भारत संवेदनशील
पीएम मोदी ने कहा, 'हम ऐसी परंपराओं में पले-बढ़े हैं, जहां प्रकृति को पूजा गया है और जहां प्रकृति का संरक्षण बहुत अहम है.' उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के दोहन का कोई अधिकार नहीं है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि प्रकृति को लेकर भारत सर्वाधिक संवेदनशील देशों में से एक है. उन्होंने कहा, 'भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन बहुत कम है. हम अगर उर्वरक या खाद बनाते हैं और उन्हें गांवों में भेजते हैं तो हमें शहरों से अच्छी गुणवत्ता वाली व सस्ती सब्जियां मिल सकती हैं.'

-इनपुट IANS से

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