
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी शनिवार को चित्रकूट के भरतकूप में बुंदेलखंड एक्स्प्रेसवे की आधारशिला रखेंगे. यह एक्सप्रेसवे फरवरी, 2018 में सरकार द्वारा घोषित उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर की सहमति के बिंदुओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा.
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे चित्रकूट के भरतकूप के पास से शुरू होकर बांदा, हमीरपुर, महोबा और औरैया होते हुए इटावा के कुदरैल गांव के पास यमुना एक्सप्रेसवे से मिल जाएगा. इससे बुंदेलखंड से देश की राजधानी दिल्ली तक आने-जाने में समय और संसाधनों की बचत होगी.
करीब 15 हजार करोड़ आएगी लागत
296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, ओरैया और इटावा जिलों को लाभ मिलने की उम्मीद है. 14849.09 करोड़ की लागत से बनने वाला यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र को सड़क मार्ग के जरिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जोड़ेगा.
इसके अलावा 296.070 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे अभी चार लेन का होगा. भविष्य में इसे 6 लेन तक विस्तारित किए जाने की योजना है.
95 फीसदी भूमि का अधिग्रहण
एक्सप्रेसवे बनने से दिल्ली तक की दूरी कम होगी जिससे डीजल और पेट्रोल की खपत घटने से प्रदूषण भी घटेगा. इसके लिए अब तक 95 फीसदी से अधिक भूमि का अधिग्रहण भी हो चुका है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के मद्देनजर वहां हो रही तैयारियों का जायजा लेने सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद चित्रकूट गए थे. नीति आयोग ने कायाकल्प के लिए उत्तर प्रदेश के जिन 8 जिलों को चुना है, उनमें चित्रकूट भी शामिल है.
संयोग से चित्रकूट से ही इसकी शुरुआत भी होगी और प्रधानमंत्री यहीं से उसका शिलान्यास भी करेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार यह कह चुके हैं कि शौर्य, संस्कार और परंपरा की धरती बुंदेलखंड आने वाले समय में उत्तरप्रदेश का स्वर्ग होगी.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण कर रही है, जो चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर और जालौन जिलों से गुजरेगा. यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र को आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के रास्ते से जोड़ेगा. साथ ही बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
भारत को भूमि प्रणाली, जहाज और पनडुब्बियों से लेकर लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों, हथियारों और सेंसरों जैसे रक्षा उपकरणों की भारी जरूरत है. यह आवश्यकता 2025 तक 250 बिलियन अमेरिकी डॉलर की होगी.
केंद्र ने की 6 क्लस्टरों की पहचान
इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकार ने लखनऊ में निवेशकों के शिखर सम्मेलन के दौरान 21 फरवरी, 2018 को उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर स्थापित करने की घोषणा की थी.
केंद्र सरकार ने आरंभ में 6 क्लस्टरों की पहचान करते हुए गलियारा स्थापित किया है. ये हैं- लखनऊ, झांसी, चित्रकूट, अलीगढ़, कानपुर, आगरा, जिनमें से बुंदेलखंड क्षेत्र-झांसी और चित्रकूट में 2 क्लस्टर तैयार किए जा रहे हैं. वास्तव में सबसे बड़ा क्लस्टर झांसी में तैयार किया जाएगा.
ऐसी भूमि जिस पर खेती नहीं की गई है, उसे झांसी और चित्रकूट दोनों जगहों पर खरीद लिया गया है. क्षेत्र के गरीब किसानों को इससे लाभ मिलेगा.
एफपीओ की भी शुरुआत
साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चित्रकूट में देशभर में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की शुरुआत करेंगे. करीब 86 प्रतिशत किसान छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके पास देश में औसतन जोत क्षेत्र 1.1 हेक्टेयर से भी कम है.
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किसानों की आय दोगुना करने (डीएफआई) की रिपोर्ट में 2022 तक 7,000 एफपीओ के गठन की सिफारिश की गई है. केंद्र सरकार ने अगले 5 साल में किसानों के लिए भारी उत्पादन के कारण लागत में बचत सुनिश्चित करने के लिए 10,000 नए एफपीओ का गठन करने की घोषणा की है.
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केंद्रीय बजट 2020-21 में सरकार ने मूल्यवर्धन, विपणन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 'एक जिला एक उत्पाद' की रणनीति के जरिये कृषि उत्पाद के लिए क्लस्टर दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव रखा है.