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उज्ज्वला योजना ने किया धर्मेंद्र प्रधान का भविष्य उज्ज्वल

नरेंद्र मोदी सरकार के बीते तीन साल की उपलब्धियों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना बेहद अहम रही. केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सब्सिडी को सीधे खाते में हस्तांतरित करने की पहल शुरू हुई, जिसके जरिए फर्जी कनेक्शनों को रोकने का अभियान चला और सरकार ने 21,000 करोड़ रुपए बचाए. धीरे-धीरे पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की पहल पर शुरू हुई यह योजना केन्द्र सरकार की फ्लैगशिप योजना बन गई.

एक टॉप प्रोजेक्ट और इंक्रीमेंट के साथ मिला प्रमोशन एक टॉप प्रोजेक्ट और इंक्रीमेंट के साथ मिला प्रमोशन
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

गरीब की रसोई से धुआं हट रहा है.. मेरा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है. नरेंद्र मोदी सरकार के बीते तीन साल की उपलब्धियों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना बेहद अहम रही. केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद सब्सिडी को सीधे खाते में हस्तांतरित करने की पहल शुरू हुई, जिसके जरिए फर्जी कनेक्शनों को रोकने का अभियान चला और सरकार ने 21,000 करोड़ रुपए बचाए. धीरे-धीरे पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की पहल पर शुरू हुई यह योजना केन्द्र सरकार की फ्लैगशिप योजना बन गई.

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मार्च, 2015 में पेट्रोलियम मंत्रालय के ऊर्जा संगम कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'गिव इट अप' की अपील की. उन्होंने संपन्न लोगों से एलपीजी की सब्सिडी छोडऩे की अपील की, लेकिन प्रधान के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने उस कार्यक्रम में जो कहा कि ''गिव इट अप से जो पैसा बचेगा वह सरकार की तिजोरी में नहीं बल्कि गरीबों को दूंगा,'' और यहीं से उज्ज्वला योजना का ढांचा तैयार हुआ.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल और गैस की गिरती कीमत मोदी सरकार के लिए बड़ी सौगात बनकर आई. मोदी सरकार ने इंधन बिल में हुई इस बचत का इस्तेमाल गरीबों को रसोई गैस कनेक्शन देने के लिए किया. इसमें तेल कंपनियों के सीएसआर फंड से 1,000 करोड़ रु. पूल किया गया और करीब 65 लाख नए कनेक्शन बांटे गए. बीपीएल परिवारों में उत्साह देखने के बाद सरकार ने इसे एक ठोस योजना के तौर पर आगे बढ़ाने की रणनीति बनाई गई.

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पेट्रोलियम मंत्री उज्ज्वला योजना से किसी भी राजनैतिक लाभ से इनकार करते हैं. उनका मानना है कि यह योजना सामाजिक-राजनैतिक बदलाव की नजीर बनेगी. इससे महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण की सुरक्षा के अलावा स्वास्थ्य खर्च में कमी आएगी. खाना बनाने में लगने वाला समय बचने से उसे दूसरे उत्पादक कामों में लगाया जा सकेगा. मोदी सरकार की यह पहली ऐसी योजना है जो यूपीए सरकार की मनरेगा की तरह प्रत्यक्ष रूप से घर तक पहुंचने वाली है. इसलिए सरकार ने इसे 2019 के आम चुनाव से पहले तक 5 करोड़ बीपीएल परिवारों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.

वहीं इस योजना से मोदी सरकार को सबसे बड़ा फायदा केरोसीन सब्सिडी में कटौती करने में मिला है. गौरतलब है कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक देश में किसी को भी दो सब्सिडी एक साथ नहीं दी जा सकती है. लिहाजा, जैसे-जैसे उज्ज्वला के तहत देश में एलपीजी सिलेंडर का विस्तार होगा, वैसे-वैसे केरोसीन पर दी जाने वाली बड़ी सब्सिडी से केन्द्र सरकार को छुटकारा मिल जाएगा.

हालांकि मोदी सरकार का दावा है कि इस योजना का राजनीतिक पक्ष नहीं है. लेकिन यह भी हकीकत है कि उज्ज्वला योजना की सफलता के चलते ही मोदी सरकार इसे 2019 के आम चुनावों में गरीब वोटरों को रिझाने से नहीं चुकेंगे. लिहाजा, इस धर्मेंद्र प्रधान की इस सफलता के चलते जहां मोदी कैबिनेट में उन्हें एक सफल मंत्री का दर्जा मिला वहीं इससे उनका प्रमोशन भी तय हो गया.

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