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झारखंड की मुख्य सचिव के खिलाफ जांच के लिए PMO ने लिखा खत

यह शिकायती पत्र खूंटी जिले के झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के जिला अध्यक्ष दिलीप मिश्रा ने जुलाई और सितंबर 2017 में भेजा था. इसमें राजबाला वर्मा और एपी सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गई थी.

मुख्य सचिव राजबाला वर्मा (फाइल) मुख्य सचिव राजबाला वर्मा (फाइल)
रणविजय सिंह/धरमबीर सिन्हा
  • रांची,
  • 06 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 6:59 PM IST

चारा घोटाले में लापरवाही के आरोपों से घिरी झारखण्ड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा की परेशानी बढ़नेवाली है. पीएमओ ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के प्रधान सचिव को एक पत्र भेजा है. यह पत्र पीएमओ में अवर सचिव केसी राजू ने लिखा है. इसमें झारखंड की वर्तमान मुख्य सचिव राजबाला वर्मा और सीनियर आईएएस अधिकारी एपी सिंह के खिलाफ जांच कराने की बात कही गयी है. यह पत्र पीएमओ में की गयी शिकायत के बाद लिखी गयी है.

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यह शिकायती पत्र खूंटी जिले के झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) के जिला अध्यक्ष दिलीप मिश्रा ने जुलाई और सितंबर 2017 में भेजा था. इसमें राजबाला वर्मा और एपी सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी गई थी. उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि तत्कालीन पलामू की डीसी पूजा सिंघल के खिलाफ हो रही जांच में सीएस राजबाला वर्मा और एपी सिंह ने गलत तरीके से रिपोर्ट तैयार की और उनपर दोष साबित नहीं होने दिया.

क्या है मामला?

ये मामला पलामू जिले में कठोतिया कोल ब्लॉक प्राइवेट लिमिटेड की करीब 200 एकड़ जमीन को गलत तरीके से एक निजी कंपनी को आवंटित करने से जुड़ा है. उस समय पूजा सिंघल पलामू की डीसी थीं. इसके बाद ये जमीन एक निजी कंपनी ने बिरला ग्रुप को दे दिया. पूजा सिंघल पर आरोप था कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए ये कोल ब्लॉक एक निजी कंपनी को दी थी. मामले ने जब तूल पकड़ा तो इसकी जांच कमिश्नर स्तर के अधिकारी से कराई गयी. जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आयी कि तत्कालीन पलामू डीसी ने गलत तरीके से कोल ब्लॉक का आवंटन किया है. इसमें सरकार को करोड़ों रुपए की राजस्व की क्षति हुई है. रिपोर्ट में कहा गया कि कोल ब्लॉक का आवंटन सरकार के कहने पर कमिश्नर स्तर के अधिकारी की तरफ से किया जाना चाहिए, लेकिन डीसी रहते हुए पूजा सिंघल ने कठोतिया कोल ब्लॉक को एक निजी कंपनी को आवंटित कर दिया था.

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अधिकारी को बचाने के लिए गलत रिपोर्ट बनाने का आरोप

इतना ही नहीं पूजा सिंघल के खिलाफ चतरा, खूंटी और पलामू में भी कई मामलों में अनियमितता बरतने का आरोप लगा. इसके बाद मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने नियंत्री कार्य पदाधिकारी एपी सिंह के अधीन एक जांच समिति का गठन किया. उन्होंने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपी जिसमें पूजा सिंघल को क्लीन चिट दी गयी थी. इस रिपोर्ट को आधार बनाकर राजबाला वर्मा ने सरकार के स्तर पर पूजा सिंघल को जांच में सभी आरोपों में बरी कर दिया. हैरत की बात यह है कि इन्हीं मामलों में कई जेई और एई को जेल की हवा भी खानी पड़ी थी.

RTI से मामले का हुआ खुलासा

दिलीप मिश्रा के मुताबिक मुख्य सचिव और एपी सिंह ने मिलकर पूजा सिंघल को बचाने का काम किया. उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए इसे कई बार सरकार के सामने उठाया. लेकिन जांच की मांग नहीं माने जाने पर उन्होंने आरटीआई का सहारा लिया और सारे कागजातों को निकालने के बाद चीफ विजिलेंस कमीशनर और पीएमओ में शिकायत दर्ज करायी. इसके बाद पीएमओ की तरफ से सरकार के प्रधान सचिव को मामले पर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिये गये हैं.

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