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PNB के बाद 3 और बैंक घोटाले आए सामने, जानिए किस घोटाले में क्या हुआ

हाल में सामने आए घोटालों में पहला घोटाला गुजरात के हीरा कारोबारियों नीरव मोदी और मेहुल चोकसी का है. इन पर पीएनबी के साथ करीब 11 हजार 400 करोड़ रुपये का फ्रॉड करने के आरोप हैं. इस घोटाले के दोनों आरोपी फिलहाल देश से फरार हैं और देश भर में उनके विभिन्न ठिकानों पर छापे मारकर ईडी अबतक 6,393 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुका है.

नीरव मोदी और विक्रम कोठारी नीरव मोदी और विक्रम कोठारी
भारत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:49 AM IST

देश में इस समय एक के बाद एक बैंक घोटाले उजागर हो रहे हैं. सबसे पहले नीरव मोदी और मेहुल चोकसी का पीएनबी के साथ किया हुआ हजारों करोड़ रुपये का महाघोटाला सामने आया. इसके बाद तो मानो घोटालों की बाढ़ सी आ गई. रोटोमैक पैन के मालिक विक्रम कोठारी का सात सरकारी बैंकों के साथ किया घोटाला, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का घोटाला और राजस्थान के बाड़मेर में पीएनबी की शाखा में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के नाम पर किया घोटाला भी सामने आया है. आइए जानते हैं कि कौन सा घोटाला किस ने किया और किस केस में अब तक क्या हुआ.

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पहला घोटाला- हाल में सामने आए घोटालों में पहला घोटाला गुजरात के हीरा कारोबारियों नीरव मोदी और मेहुल चोकसी का है. इन पर पीएनबी के साथ करीब 11 हजार 400 करोड़ रुपये का फ्रॉड करने के आरोप हैं. इस घोटाले के दोनों आरोपी फिलहाल देश से फरार हैं और देश भर में उनके विभिन्न ठिकानों पर छापे मारकर ईडी अबतक 6,393 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुका है.

अब ईडी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी पर शिकंजा कसने के लिए करीब डेढ़ दर्जन देशों से जानकारी जुटाएगा. इन दोनों व्यापारियों के विदेशों में बिजनेस और संपत्तियों की जानकारी जमा करने के लिए ईडी 17 देशों की अदालत को मुंबई की अदालत से लेटर्स रॉगेटरीज (LR) दिलवाएगा. एलआर न्यायिक मदद हासिल करने के लिए दूसरे देश की अदालत को जारी किया जाता है. ये देश बेल्जियम, हांगकांग, स्विट्जरलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन, दुबई, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका आदि हैं.

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दूसरा घोटाला- दूसरे घोटाले के मामले के आरोपी रोटोमैक पेन के मालिक विक्रम कोठारी हैं. कोठारी पर बैंक ऑफ बड़ौदा समेत सात बैंकों से 2919 करोड़ का कर्ज नहीं चुकाने का आरोप है. इस रकम पर ब्याज मिलाकर कोठारी पर सात बैंकों की देनदारी 3,695 करोड़ रुपये बनती है. कोठारी ने बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत 7 बैंकों से लोन लिया था. सीबीआई के मुताबिक ये घोटाला 2008 से चल रहा था.

कोठारी ने इंडियन ओरवसीज बैंक से 771.77 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया से 754.77 करोड़, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 458.95 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा से 456.63 करोड़, इलाहाबाद बैंक से 330.68 करोड़, ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से 97.47 करोड़, बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 49.82 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. फिलहाल रोटोमैक पेन कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी को लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने 11 दिन की सीबीआई कस्टडी में भेजा है. आयकर विभाग ने रोटैमैक पेन के मालिकों के 14 खाते सीज कर दिए हैं.

तीसरा घोटाला- तीसरा घोटाला करीब 389 करोड़ 90 लाख रुपये का है और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में सामने आया. इस मामले में दिल्ली के हीरा निर्यातक कंपनी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. यह फर्जीवाड़ा हरियाणा स्थित गुरुग्राम के सेक्टर-32 स्थित ओबीसी बैंक की ब्रांच में हुआ. इस मामले में बैंकों से साल 2007 से  लगातार फर्जीवाड़ा करके लोन लेने का आरोप है. बैंक को पैसे नहीं चुकाने के बावजूद इस मामले में लापरवाही दिखाई गई.

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बैंक ने 31 मार्च 2014 को कंपनी को NPA की लिस्ट में भी डाल दिया था, लेकिन उसके बाद भी यह खेल जारी रहा. NPA की लिस्ट में शामिल होने के बावजूद कंपनी को करोड़ों रुपये का लोन मिलता रहा. सीबीआई के अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली की मेसर्स द्वारिका दास सेठ इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और द्वारका दास सेठ सेज इनकॉरपोरेशन नाम की कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. कंपनी के मालिक सभ्य सेठ और रीता सेठ के अलावा कृष्ण कुमार सिंह, रवि कुमार सिंह समेत कई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. सीबीआई जल्द ही इन आरोपियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने वाली है.

चौथा घोटाला- पंजाब नेशनल बैंक की बाड़मेर शाखा में भी एक घोटाला सामने आया है. इस बार इस बैंक में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में फर्जीवाड़े की बात सामने आई है. सीबीआई ने इस मामले में केस भी दर्ज किया है. सीबीआई के मुताबिक राजस्थान में पीएनबी की बाड़मेर शाखा में एक सीनियर ब्रांच मैनेजर ने सितंबर 2016 और मार्च 2017 के बीच 'बेईमानी और धोखाधड़ी' से 26 मुद्रा लोन' बांटे. इसके कारण बैंक को करीब 62 लाख रुपये का नुकसान हुआ.

सीबीआई ने इस मामले में पीएनबी बाड़मेर शहर के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर इंदर चन्द्र चंदावत के खिलाफ केस दर्ज किया है. अब इन 26 में से पांच लोन एनपीए हो गए हैं. बैंक अब 62 लाख रुपये वसूल भी नहीं सकता है, क्योंकि इन्होंने आवेदकों ने कोई संपत्ति भी अर्जित नहीं की.

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