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बात कुछ दिन पहले की है. दोपहर के समय सिक्किम की राजधानी गंगटोक के एमजी मार्ग पर सौ से ज्यादा लोग जमा थे. वे हवा में गुलाल उड़ा रहे थे और ड्रमों की थाप पर थिरक रहे थे. यह भीड़ सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) की 9 अक्तूबर को हुए नगर निकाय चुनावों में जीत का जश्न मना रही थी. एसडीएफ ने सभी 53 सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी. उत्साहित भीड़ इसके बाद मुख्यमंत्री पवन चामलिंग का अभिवादन करने के लिए उनके सरकारी आवास मिंतोकगेंग तक गई और उसने वहां भी जश्न मनाया.
उस दोपहर जनता सिर्फ चुनावी जीत का जश्न नहीं मना रही थी, बल्कि यह सिक्किम के राष्ट्रीय स्तर पर उभर आने का भी जश्न था, जिसकी यात्रा कुछ साल पहले चामलिंग के नेतृत्व में शुरू हुई थी.
मुख्यमंत्री इंडिया टुडे को बताते हैं, “एसडीएफ सिक्किम की सत्ता में दिसंबर 1994 में आई थी और पहले ही दिन से मेरे सारे कार्यक्रम सिक्किम के लोगों की जरूरतों और मांगों के हिसाब से उनके लिए चलाए जा रहे हैं. मैंने बुनियादी ढांचे के विकास की उनकी न्यूनतम जरूरतों को पूरा कर दिया है. अब मेरा जोर उन्हें गुणवत्तापूर्ण विकास देने पर है.”
राज्य में सुशासन पक्का करने के लिए मुख्यमंत्री चामलिंग और उनकी टीम ने स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है. सरकारी अभियान कैच यानी कॉम्प्रीहेंसिव एनुअल ऐंड टोटल हेल्थ चेक-अप फॉर हेल्दी सिक्किम के माध्यम से यह राज्य जनता के दरवाजे तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने वाला पहला राज्य बन गया है. जून 2014 तक इस अभियान के तहत राज्य की पूरी आबादी को कवर किया जा चुका था. मुख्यमंत्री चामलिंग ने यह अभियान 26 अगस्त, 2010 को इस उद्देश्य के साथ शुरू किया था कि 2015 तक सिक्किम को देश का सबसे स्वस्थ राज्य बना दिया जाएगा. शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार ने अपने कुल सालाना खर्च का 20 फीसदी निवेश करने का फैसला किया और इसका नतीजा आज देखने लायक हैः 1993-94 में यहां साक्षरता दर 56 फीसदी थी जो आज 82 फीसदी के पार जा चुकी है.
अब सरकार का सारा जोर बुनियादी ढांचे के विकास पर है. चामलिंग कहते हैं, “पश्चिम बंगाल और सिक्किम के बीच रेलवे नेटवर्क की स्थापना, राज्य में हवाई अड्डे की स्थापना और भारी वाहनों के लिए नए राजमार्ग का निर्माण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता में है. इससे यहां ज्यादा सैलानियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी और राज्य में ज्यादा निवेश हो पाएगा.”
पर्यटन पर बड़े पैमाने पर आश्रित राज्य के बतौर सिक्किम को प्रतिष्ठित केंद्रों और पर्यावरणीय एजेंसियों से सालाना आकलन के आधार पर लगातार सबसे हरित और “सर्वाधिक टिकाऊ” राज्य का दर्जा मिलता रहा है. मुख्यमंत्री का मानना है कि पर्यावरण को संरक्षित करने के सामाजिक तरीके से बेहतर और कोई तरीका नहीं हो सकता. यह पहल लोगों की स्वतःस्फूर्त भागीदारी से राज्य में हरित कवर और स्वच्छता को बनाए रखने के लिए की गई है, जो उनके मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में काफी व्यापक और कामयाब रही है. नतीजतन, सिक्किम में कुल वनक्षेत्र में 3.53 फीसदी की वृद्धि हुई है&यह 1995 में 44.06 फीसदी था जो 2009 में बढ़कर 47.59 फीसदी हो गया.
हरित कवर के अलावा राज्य सरकार यह भी पन्न्का कर रही है कि राज्य में स्वच्छता को और मजबूत किया जा सके. समूचे राज्य में शुरू किए गए स्वच्छता अभियान में सरकार और नागरिक निकायों ने जनता को जोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
इस सीमांत राज्य ने जैविक खेती के मामले में भी अग्रणी स्थिति हासिल की है. भारत में 1975 में सिक्किम के विलय से पहले यहां परंपरागत रूप से जैविक खेती ही होती थी. इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने विधानसभा में 2003 में एक ऐतिहासिक घोषणा की कि राज्य को पूर्णतः जैविक बनाया जाना है. भारत में यह ऐसी पहली नीतिगत पहल थी और सिक्किम इसे लागू करने वाला पहला राज्य बना. इसे औपचारिक शक्ल देते हुए 2010 में सिक्किम ऑर्गेनिक मिशन की शुरुआत की गई और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन भी किया गया. इस लक्ष्य के पूरा होने की अवधि दिसंबर, 2015 रखी गई है.
वह भी ऐसा ही दिन होगा जब एक बार फिर गंगटोक के एमजी रोड पर जनता नए सिरे से जश्न मनाने के लिए जुट सकेगी.