Advertisement

मां बेटे को लेकर चली गई, एक हफ्ते बाद मासूम बेटियां निकाली गईं बंद कमरे से

दिल्ली में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. जहां दो मासूम बच्चियों को लड़की होने की इतनी खौफनाक सजा मिली कि किसी भी इंसान की रुह कांप जाए. दोनों बच्चियों को मुर्दों जैसे हालत में उनके घर से बरामद किया गया है. जन्म देने वाले मां-बाप इन्हें मरने के लिए छोड़ दिया था. बाप उन पर सितम ढाता रहा और मां इकलौते बेटे को साथ लेकर कहीं चली गई.

दोनों बच्चियों की हालत अब पहले से बेहतर है दोनों बच्चियों की हालत अब पहले से बेहतर है
परवेज़ सागर/चिराग गोठी
  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST

दिल्ली में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. जहां दो मासूम बच्चियों को लड़की होने की इतनी खौफनाक सजा मिली कि किसी भी इंसान की रुह कांप जाए. दोनों बच्चियों को मुर्दों जैसे हालत में उनके घर से बरामद किया गया है. जन्म देने वाले मां-बाप इन्हें मरने के लिए छोड़ दिया था. बाप उन पर सितम ढाता रहा और मां इकलौते बेटे को साथ लेकर कहीं चली गई.

Advertisement

सिर में घाव, जिस्म में कीड़े
हफ्ते भर से भूखी प्यासी दो मासूम बहनों को एक बंद कमरे से पुलिस ने बाहर निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया. दोनों बहनें मरने के कगार पर पहुंच चुकी थी. दोनों के सिर में जगह जगह गहरे घाव थे और उनके जिस्म में सैकड़ों कीड़े रेंग रहे थे. कमरे में एक टूटी चारपाई पर एक दूसरे का हाथ थामे मासूम बहनें दम तोड़ने के कगार थीं. कमरे का ये खौफनाक मंजर देखकर पुलिस वाले भी दंग रह गए.

कमरे से आ रही थी तेज दुर्गंध
जी हां, समाज को झकझोर देने वाली कड़वी हकीकत राजधानी दिल्ली के समयपुर बादली इलाके की है. महज 8 साल की हिमांशी और 3 साल की दीपाली का कसूर सिर्फ इतना है कि, वह बेटियां हैं. मां बाप इन्हें बोझ मानते थे. इसलिए छोड़कर चले गए. इकलौते बेटे को साथ ले गए. मासूमों की सिसकती आहें, कमरे की चारदीवारी से बाहर नहीं आ पा रहीं थीं. बस, कमरे से तेज बदबू बाहर आ रही थी. जब आसपास के लोगों ने झांककर देखा. अंदर रोंगटे खड़े कर देने वाला नजारा सामने था. फौरन पुलिस को कॉल की गई. पुलिस ने दरवाजा खोला तो अंदर घुस पाना मुश्किल हो रहा था. मुंह पर कपड़ा रख पुलिस अंदर गई. सड़ी गली हालत में दोनों बच्चियों की बस सांसें चल रही थीं. ये मंजर देखकर पड़ोसियों की आंखें नम हो गईं.

Advertisement

घर में अकेला छोड़कर चली गई मां
सीनियर पुलिस अफसरों के मुताबिक 19 अगस्त की दोपहर 11:58 बजे मकान मालिक नंदकिशोर की तरफ से कॉल मिली थी. हाउस नंबर 304, शिव मंदिर के पास राधा विहार, नेपाली कॉलोनी पुलिस टीम पहुंची. इस घर में ग्राउंड फ्लोर पर करीब दो साल से किराए पर वह परिवार रह रहा था. उस परिवार में 35 साल का बंटी, उसकी पत्नी रजनी, 5 साल का बेटा, 8 और 3 साल की दो बेटियां हैं. बंटी शराब का आदी था. उसने कमाना छोड़ दिया था. करीब 2 महीने पहले रजनी बेटे को अपने साथ लेकर कहीं चली गई. बेटियों को उनके हाल पर छोड़ गई.

सात दिन पहले पिता भी छोड़कर चला गया
हिमांशी और दीपाली कमरे में अकेली मां की याद में तड़पती रही. शराबी पिता बेटियों को ताने देता था. खाने पीने का कुछ सामान भी नहीं बचा था. कमरे में हवा का साधन भी नहीं. भीषण गर्मी में घुटन वाले इस कमरे में मक्खी, मच्छर फैले हुए थे. भूख प्यास से बिलखती बच्चियां मां के जाने के बाद निढाल पड़ी रहीं. उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था. पिता बंटी भी बेटियों को कोसता रहता था. 15 अगस्त को वह भी दोनों बेटियों को छोड़कर चला गया. बंटी ने बेटियों की सुधबुध तक नहीं ली. दोनों बच्चियां टूटी चारपाई पर पड़ी रहीं. संक्रमण की वजह से सिर में फोड़े फुंसी फैल गए थे. उनमें पस बढ़ता चला गया, सिर में कीड़े पड़ गए. जब कि 3 साल की मासूम बच्ची को कुछ होश ही नहीं था. बहन का हाथ थामे हुए थी. जिस्म के कीड़े रेंगते हुए चारपाई पर भी घूम रहे थे.

Advertisement

डॉक्टर भी बच्चियों की हालत देखकर रह गए दंग
पुलिस टीम दोनों बच्चियों को मरणासन्न हालत में बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल लेकर पहुंची. डॉक्टरों ने उनकी हालत देखी तो सन्न रह गए. सड़ने गलने से इंफेक्शन की नौबत ब्रेन तक आ चुकी थी. उन्हें मौत के मुंह से बचाने के लिए 4 दिन तक स्पेशल ट्रीटमेंट किया गया. अब हालत में धीरे धीरे सुधार हो रहा है. दोनों बहनें अस्पताल के वार्ड नंबर 32 में बेड नंबर 37 पर हैं. उन्हें सभी जरूरी आहार दिया जा रहा है. देखभाल के लिए समयपुर बादली थाने के दो पुलिस वालों की 24 घंटे डे नाइट ड्यूटी लगाई गई है.

पुलिस वालों ने की मदद
जिन हालात में बच्चियों को बाहर निकाला गया. समयपुर बादली थाने का पुलिस स्टाफ उन्हें बचाने की मुहिम में जुट गया. एसएचओ अनिल समोटा, एसआई दीपक और अन्य स्टाफ के लोगों ने अपनी अपनी मर्जी से पैसा कंट्रीब्यूट किया. बच्चियों के लिए नए कपड़े खरीदकर दिए गए. उनके मनपसंद खाने पीने की चीजें मुहैया कराई गई. अस्पताल में देखभाल के लिए दो पुलिस वाले उनके लिए खाने पीने से लेकर कपड़ों का पूरा ध्यान रख रहे हैं. एसीपी एस.एस. बल्लभ, एसएचओ अनिल रोजाना अस्पताल में जाकर बच्चियों से मिलते हैं.

Advertisement

दादी ने किया अपनाने से इंकार
बच्चियों के मां बाप की खोज में जुटी पुलिस को उनकी दादी के बारे में पता चला. करीब 80 साल की बुजुर्ग रामेश्वरी देवी ओल्ड एज होम में रहती हैं. पता चला कि उनके बेटे बंटी ने उन्हें घर से निकाल दिया था. काफी समय तक दर दर भटकती रहीं. फिर लौटकर नहीं गईं. पुलिस ने उनसे संपर्क साधा और बच्चियों के देखभाल की बात कही तो उन्होंने भी अपनाने से साफ इनकार कर दिया. पुलिस ने फिलहाल सीडब्ल्यूसी को रिर्पोट भेजी है. जहां से जवाब मिला है कि पूरी तरह स्वस्थ हो जाने तक अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाए. उसके बाद दोनों बच्चियों को रिहेबिलिटी सेंटर भेजा सकेगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement