
बीजेपी के महासचिव राम माधव ने जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक हालात और वहां के नेताओं पर बात करते हुए कहा कि घाटी में विभिन्न दलों के राजनीतिक नेताओं के लिए हमारे मन में बहुत सम्मान है.
उन्होंने कहा कि वहां के स्थानीय नेता जल्द ही अपनी राजनीतिक गतिविधि फिर से शुरू करेंगे. इसके अलावा उन्होंने घाटी में नजरबंद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर भी बात की और कहा कि उनके पास भी वापसी करने का मौका है. मुझे यकीन है कि राज्य की राजनीति में निश्चित रूप से उनकी भूमिका होगी. उन्होंने कहा कि नए नेतृत्व का उदय एक सतत प्रक्रिया है.
लोकसभा में उठा कश्मीर का मुद्दा
लोकसभा सदन में मंगलवार को कश्मीर का मुद्दा गरमाया रहा. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी बोले, 'फारूक अब्दुल्ला को यहां लाया जाए. यह उनका संवैधानिक अधिकार है. हम भी चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर जाएं. हमारे नेता राहुल गांधी को एयरपोर्ट पर रोक दिया गया. विदेश के लोगों को ले जाया गया वहां दिखाने के लिए कि स्थिति सामान्य है. जम्मू-कश्मीर को खोला जाए.'
इस बीच शिवसेना ने सदन बहिष्कार की घोषणा करते हुए वॉक आउट भी कर दिया. इसके कुछ देर बाद कांग्रेस ने भी इसी मुद्दे पर लोकसभा से वॉक आउट कर लिया. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को विपक्ष के नेताओं ने गैरकानूनी करार देते हुए इस पर गृह मंत्री से जवाब देने की मांग भी की.
950 घटनाएं रिपोर्ट की गईं
मोदी सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू और कश्मीर की स्थिति पर जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि 5 अगस्त से अक्टूबर 2019 के दौरान जम्मू और कश्मीर में सीमापार से नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम उल्लंघन की 950 घटनाएं रिपोर्ट की गईं. जबकि 5 अगस्त से 15 नवंबर 2019 तक पत्थरबाजी के 190 मामले दर्ज किए गए और 765 लोगों को गिरफ्तार किया गया.