
दाऊद के ऑफर को लेकर दावा करने वाली रिपोर्ट छपने के बाद एक बार फिर डॉन पर सियासी हलचल शुरू हो गई है. तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दाऊद की वापसी से जुड़े किसी भी तरह के ऑफर से इनकार किया है. वहीं, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने अख़बार के दावे पर कहा कि दाऊद के ऑफर को लेकर उन्हें कुछ याद नहीं है. लेकिन दाऊद के सबसे करीबी छोटा शकील ने उसकी वापसी पर चौंकाने वाला बयान दिया था.
दाऊद इब्राहिम कासकर. इस नाम का पीछा करते हुए भारत सरकार को दो दशक से ज़्यादा वक्त हो चुका है. लेकिन, अब तक अंडरवर्ल्ड डॉन को वापस लाने में हिंदुस्तान की सरकारें नाकाम रही हैं. उसको लेकर अब तक सिर्फ बयानों की जंग ही लड़ी जाती रही है. तत्कालीन यूपीए सरकार और मौजूदा एनडीए सरकार दोनों ही दाऊद को हिंदुस्तान लाने की कोशिशों के दावे करती रही हैं. लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा है.
शिंदे के बाद आया शकील का बयान
मुंबई में 1993 में हुए बम धमाकों के मास्टरमाइंड को भारत लाकर केस चलाने और उसे सज़ा देने को लेकर भारत सरकार की कोशिशें उस वक्त शुरू की गई थीं. इसके सबूत इसी बात से मिलते हैं कि तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि उनकी सरकार अमेरिका की खुफिया एजेंसी FBI के संपर्क में है. शिंदे के बयान के कुछ दिन बाद 26 सितंबर, 2013 को छोटा शकील ने बयान दिया था.
रिपोर्ट ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी
दाऊद के दो साल पहले भारत वापसी के ऑफर की रिपोर्ट ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. कांग्रेस, बीजेपी और NCP तीनों ही डॉन को भारत लाकर उसके खिलाफ केस चलाने पर ज़ोर दे रही हैं. दाऊद इब्राहिम की भारत वापसी पर सियासत और बयानबाज़ी तो कई साल से हो रही है. अब ज़रूरत है, मुंबई धमाकों के गुनहगार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाकर हिंदुस्तान लाने की है, ताकि पीड़ितों को पूरा इंसाफ़ मिल सके.
आलाकमान स्तर पर हुई थी चर्चा
बताते चलें कि अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, 2013 में दिल्ली के एक वकील और कांग्रेस नेता ने अपने पार्टी नेतृत्व को बताया कि दाऊद इब्राहिम ने भारत लौटने का सशर्त प्रस्ताव दिया है. इस विषय पर पार्टी और सरकार में आलाकमान स्तर पर चर्चा हुई थी. 1993 मुंबई धमाकों के मामले में वॉन्टेड दाऊद ने दो दशक बाद भारत में कानूनी ट्रायल का सामना करने का मन बनाया था.
अपनी शर्तों पर आना चाहता था दाऊद
दाऊद के इस प्रस्ताव पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उस वक्त के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन के बीच चर्चा हुई थी. दाऊद के प्रस्ताव की खबर लाने वाले वकील और कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर कम से कम दो वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से भी बात की थी. उन्हें कहा गया कि यह सियासी तौर पर विस्फोटक मुद्दा है. भारत के मोस्ट वॉन्टेड के खिलाफ उसकी शर्तों पर ट्रायल चलाना जोखिम भरा होगा.