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मध्य प्रदेश में सियासी किला बचाने आमने-सामने बुआ-भतीजे

मध्य  प्रदेश में विधानसभा चुनाव इसी साल नवंबर में होने हैं, लेकिन बावजूद इसके इन दोनों ही सीटों पर हो रहे उपचुनाव को विधासभा का सेमीफाइनल मानकर पूरी ताकत झोंक दी गई है. प्रतिष्ठा दांव पर है. एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया.

संतोष पाठक संतोष पाठक
मंजीत ठाकुर
  • झांसी,
  • 19 फरवरी 2018,
  • अपडेटेड 12:40 PM IST

मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीटों के लिए हो रहा उपचुनाव दिलचस्प मोड़ पर है. मुंगावली और कोलारस की दोनों ही सीटों पर जो विधायक चुना जाएगा उसकी बतौर विधायक सियासी उम्र सबसे कम होगी. प्रदेश में विधानसभा चुनाव इसी साल नवंबर में होने हैं, लेकिन बावजूद इसके इन दोनों ही सीटों पर हो रहे उपचुनाव को विधानसभा का सेमीफाइनल मानकर पूरी ताकत झोंक दी गई है. प्रतिष्ठा दांव पर है. एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया.

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अपनी- अपनी सियासी सल्तनत बचाने में रिश्तों का भी दांव लगा है. चुनावी बिसात कुछ इस तरह उलझी है कि कोलारस में भगवा किला कमजोर दिखाई पडऩे पर शिवराज ने ऐन मौके पर उनसे नाराज चल रहीं मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को मनाकर उनको भतीजे के मुकाबिल मैदान में उतार दिया है. 

यशोधरा शिवपुरी से विधायक हैं और कोलारस इसी जिले की सीट है जहां यशोधरा का काफी प्रभाव है. उन्हें कोलारस उपचुनाव का प्रभार सौंपते हुए उनके भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव कम करने की कोशिश है. सियासत ने यहां सिंधिया परिवार के बुआ- भतीजे को आमने सामने कर दिया है.

वहीं कोलारस के पड़ोरा गांव में बिना ज्योतिरादित्य का नाम लिए उनकी बुआ यशोधरा ने जनसभा में यह तक कह दिया, "पंजे को वोट दिया तो न पानी मिलेगा और न ही पिछड़ापन दूर होगा." इस पर ज्योतिरादित्य ने सीधे कुछ नहीं कहा, लेकिन कांग्रेस की आपत्ति के बाद चुनाव आयोग की ओर से इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए यशोधरा को नोटिस जारी कर दिया गया है.  

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अटेर और चित्रकूट उपचुनाव हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी मुगावली और कोलारस में इस हार को दोहराना नहीं चाहती है, लेकिन भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में सिंधिया राजपरिवार के रसूख को लेकर है. दोनों ही सीटें गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में आती हैं जहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद सांसद हैं. इस सीट पर सिंधिया परिवार का लम्बे अर्से से कब्जा रहा है. मुंगावली और कोलारस में 24 फरवरी को चुनाव होना है. दोनों ही सीटें कांग्रेस विधायकों के निधन के बाद रिक्त हुईं थीं. 

इस बार शिवपुरी जिले की कोलारस सीट से भाजपा ने देवेन्द्र जैन को प्रत्याशी बनाया है, जबकि यहां से कांग्रेस ने महेन्द्र सिंह यादव पर दांव लगाया है. वहीं अशोकनगर जिले की सीट मुगावली से भाजपा ने पूर्व विधायक दिवंगत देशराज सिंह की पत्नी बाई साहब यादव को प्रत्याशी बनाया तो कांग्रेस ने यहां ब्रजेन्द्र यादव को प्रत्याशी बनाया है. यहां बाई साहब और ब्रजेन्द्र सिंह रिश्ते में देवर-भाभी हैं. दोनों ही प्रत्याशियों के लिए पार्टी नेताओं ने पूरी ताकत झोंक रखी है.

कोलारस में सिंधिया बनाम सिंधिया चुनाव बनाने की कोशिश में कोलारस विधानसभा में सिंधिया राजघराने के प्रभाव को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिंधिया खानदान की बेटी को ही आगे कर दिया है. अभी तक यशोधरा और शिवराज सिंह के बीच अनबन की ही खबरें आती रहीं थीं. यह नाराजगी उस समय से शुरू हुई थी जब शिवराज ने यशोधरा से अहम उद्योग मंत्रालय छीन लिया था. इसके बाद से यशोधरा के पास खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय ही है. 

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एक माह पहले ही यशोधरा ने जब अपनी रायफल अकादमी में कैबिनेट की बैठक करने की पूरी तैयारी कर ली थी तो ऐन मौके पर शिवराज ने उसे टालकर आपसी तकरार को और बढ़ा दिया था. इसके बाद यशोधरा नाराज बताईं गईं, लेकिन जब कोलारस में भाजपा का चुनाव हाथ से जाता दिखा तो शिवराज ने यशोधरा राजे को मनाना मजबूरी हो गई. यशोधरा मान भी गईं. 

अब कोलारस चुनाव की पूरी जिम्मेदारी शिवराज सिंह ने यशोधरा के ऊपर रख दी है. यशोधरा भी यहां पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुट गईं हैं. एक तरफ ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस प्रत्याशी महेन्द्र सिंह की ओर से मोर्चा संभाल रखा है तो उनकी बुआ यशोधरा देवेन्द्र जैन जिताने के लिए गांव गांव दस्तक दे रहीं हैं. दोनों का ही इलाके में प्रभाव होने से मुकाबला रोचक हो गया है.

इशारों ही इशारों में एक दूसरे पर निशाना

ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस रफ्तार से कोलारस में अपने चुनावी मिशन को धार दे रहे थे उसमें बुआ के सामने आने से मुश्किलें भी आईं हैं. यहां वे सांसद हैं और बुआ विधायक तो पारिवारिक मर्यादा को पूरी तरह से बरकरार रखते हुए बयानबाजी करना दोनों ही तरफ चुनौतीपूर्ण रहा है. दोनों ही तरफ से ताबड़तोड़ सभाएं तो हो रहीं हैं, लेकिन बयानों में एक दूसरे के नाम जुबान पर नहीं हैं. जनता को इशारों में ही समझाने की कोशिश है. 

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यशोधरा, ज्योतिरादित्य का नाम लिए बगैर लोगों को संबोधित करते हुए कहतीं हैं, "पानी दादा तब आएगा जब आप पंजे को वोट नहीं दोगे. देश में हमारी सरकार है, हमारा विधायक नहीं बनाओगे तो न पानी मिलेगा न ही पिछड़ापन दूर होगा. आप पंजे को वोट दोगे तो हम आपके मकान नहीं बनवाएंगे, गैस चूल्हा नहीं देंगे. आपने पंजे को वोट दिया और भाजपा प्रत्याशी को नहीं जिताया तो हम तब हमलोग आपकी किसी भी समस्या को हल नहीं करेंगे." 

इस बयान पर सीधे ज्योतिरादित्य ने बुआ को जवाब नहीं दिया, लेकिन कांग्रेस की आपत्ति के बाद चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर दिया है. वहीं ज्योतिरादित्य चुनावी सभाओं में भाजपा को कोसते हैं. सिंधिया कहते हैं, "भाजपा के मुख्यमंत्री 14 साल बाद इस क्षेत्र में दिख रहे हैं. वे सिर्फ वोट मांगने ही यहां आते हैं. मैने अपनी लोकसभा में जो कार्य कराए हैं वह दिखाई दे रहे हैं, अब भाजपा भी यहां आकर बताए कि 14 साल में उन्होंने इस क्षेत्र के लिए क्या किया?" इशारा यशोधरा की ओर भी था कि वह भी बता दें कि मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने क्षेत्र में क्या किया.

सिंधिया बोले, मुकाबला मेरे और शिवराज के बीच 

यशोधरा राजे सिंधिया को भाजपा की ओर से कोलारस में प्रचार की कमान सौंपे जाने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार भाजपा सरकार पर हमलावर हैं. अपनी चुनावी सभाओं में ज्योतिरादित्य सिंधिया जनता के बीच यही ऐलान कर रहे हैं कि मुकाबला मेरे और शिवराज सिंह चौहान के बीच है. एक तरफ शिवराज मॉडल है तो दूसरी तरफ सिंधिया मॉडल. फैसला जनता को करना है और जनता इस उपचुनाव से भाजपा की विदाई की पटकथा लिखेगी.

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मुंगावली में भी पूरी ताकत झोंकी

मुंगावली में भी मुकाबला कांटे का है. कोलारस की तरह ही यहां भी भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है. कांग्रेस नेता महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा के निधन के बाद भाजपा इस सीट को कांग्रेस से छीनने की कोशिश में है. यहां भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरी ताकत लगा रखी है. भाजपा की ओर से भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दर्जन भर मंत्री यहां डेरा जमाकर चुनाव प्रचार में जुटे हैं. यहां सर्वाधिक यादव मतदाता हैं और दोनों ही प्रत्याशी यादव जाति से आते हैं. इसके अलावा लोध, अनुसूचित जाति, दांगी और कुशवाहा समाज के वोटरों का रुख अपनी ओर मोडऩे को लेकर जद्दोजहद जारी है.

24 फरवरी को मतदान, 28 को आएंगे नतीजे

उपचुनाव के लिए 24 तारीख को मतदान होगा. इसकी सभी तैयारियां करली गईं हैं. मतगणना 28 फरवरी को होगी.

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