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मध्य प्रदेश: नर्मदा यात्रा पूरी, अब राजनैतिक प्रसाद का दौर

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नर्मदा यात्रा में नदी का एक बूंद पानी साफ किए बिना यात्रा के नाम पर सरकार ने पूरे 1,500 करोड़ रु. फूंक दिए.

अमरकंटक में चौहान और मोदी अमरकंटक में चौहान और मोदी
पीयूष बबेले
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2017,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

अपनी सरकार के तीन साल पूरे होने के ठीक एक दिन पहले 15 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक में हजारों की भीड़ से मुखातिब हुए. उनके साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी के दूसरे बड़े नेता भी मौजूद थे. दरअसल, प्रधानमंत्री यहीं से 16 दिसंबर 2016 को शुरू नर्मदा सेवा यात्रा के समापन पर लोगों को नदी सेवा का संकल्प दिलाने आए थे. पांच महीने में 3,000 किमी से ज्यादा की यात्रा में 80 से ज्यादा विधानसभा सीटों से गुजरी यात्रा के दौरान नदी को साफ करने जैसा कोई भी काम नहीं हुआ. सिर्फ जन-जागरण पर जोर दिया गया, इसलिए बहुत-से लोग इस यात्रा को अगले साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के धार्मिक आगाज की तरह देख रहे हैं.

शायद यही वजह रही कि पूरी यात्रा के दौरान चुप्पी साधे रहे मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव ने यात्रा खत्म होते ही इसे नर्मदा के नाम पर राजनीति और भ्रष्टाचार करार देने में कसर नहीं छोड़ी. लेकिन मुख्यमंत्री चौहान ऐसा नहीं मानते. उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, ''यात्रा का उद्देश्य लोगों को नर्मदा मैया के प्रति जागरूक बनाना था. अब जब लोग सचेत हो गए हैं और लाखों लोग प्रत्यक्ष रूप से अभियान से जुड़ गए हैं तो नर्मदा मैया के संरक्षण का जमीनी काम शुरू होगा.''

वैसे, इस दौरान इतना तो हो ही गया है कि नदी में गिरने वाले नालों पर बनने वाले वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स के टेंडर हो गए हैं. इसके अलावा भव्य समापन समारोह के हफ्तेभर पहले चौहान ने भोपाल की प्रशासनिक अकादमी में देश भर के जल विज्ञानियों और विशेषज्ञों की कार्यशाला आयोजित कराई. इस दौरान वैज्ञानिकों ने नर्मदा को साफ करने का विस्तृत प्लान बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया. कार्यशाला में चल रहे सत्रों में चौहान खुद एक छात्र की तरह चुपचाप बैठे रहे, ताकि वे नर्मदा संरक्षण के वैज्ञानिक पहलुओं को जान सकें.

लेकिन इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में ही राजनीति की झलक देखने को मिल गई थी. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने नर्मदा सेवा का जिक्र करते-करते यह भी कहा, ''राजनीति की बारीकियां मैं खूब जानता हूं.'' बृहस्पतिवार को 61 वर्षीय दवे का निधन हो गया. वे नर्मदा के काम में लंबे अरसे से लगे थे. जाहिर है, अब उनकी जगह चौहान 'नदी नायक' कहलाएंगे. इसी तरह जल संसाधन मंत्री होने के बावजूद उमा भारती को भी यात्रा में खास भूमिका निभाने को नहीं मिली. नर्मदा को बचाने की गैरराजनैतिक लड़ाई लडऩे वाली और नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ मेधा पाटकर के लिए भी इस यात्रा में कोई गुंजाइश नहीं बन पाई. लेकिन अपनी पत्नी के जेवर तक गिरवी रखकर नर्मदा की परिक्रमा कर उसे सौंदर्य की नदी नर्मदा जैसे यात्रा वृत्तांत में उकेरने वाले लेखक अमृतलाल वेगड़ को भी इस अनुष्ठान में आमंत्रित किया गया था. सौंदर्य की नदी नर्मदा पुस्तक के लिए वेगड़ को 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था.

इन अनदेखियों के बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष यादव ने दावा किया कि स्वच्छ भारत अभियान की रकम से 500-500 रु. प्रति व्यक्ति खर्च कर कार्यक्रम में भीड़ जुटाई गई. उनका यह भी आरोप था कि 5 लाख लोगों को कार्यक्रम में लाने पर 25 करोड़ रु., नाश्ते-खाने पर 4.12 करोड़ रु. और गले में डालने वाले गमछे पर 45 लाख रु. खर्च किए गए. यादव के शब्दों में, ''नदी का एक बूंद पानी साफ किए बिना यात्रा के नाम पर सरकार ने पूरे 1,500 करोड़ रु. फूंक दिए.'' लेकिन नर्मदा यात्रा के दौरान ही व्यापम जैसे छविनाशक घोटाले से बाहर आए चौहान को आरोपों से निबटना खूब आता है. नर्मदा संरक्षण के साथ ही अपने सियासी रसूख का संवर्धन करना भी वे खूब जानते हैं और कर भी रहे हैं.

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