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गुड़गांव में जाम पर शुरू हुआ सियासत का संग्राम

बीजेपी की विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि दो साल के अपने कार्यकाल में बीजेपी सरकार पूरी तरह से विफल रही है. गुड़गांव जैसे शहर को विकसित करने के नाम पर खानापूर्ति की जा रहा है.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा
सना जैदी/सतेंदर चौहान
  • गुड़गांव,
  • 31 जुलाई 2016,
  • अपडेटेड 7:27 AM IST

हरियाणा की वर्ल्ड क्लास सिटी माने जाने वाले गुड़गांव में गुरुवार शाम से शुक्रवार की सुबह तक लगे करीब 20 घंटे के जाम ने हरियाणा की सियासत में भी उबाल लाकर रख दिया है. हरियाणा सरकार पर विपक्षी पार्टियां कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल जमकर हमला कर रही हैं.

दो साल के कार्यकाल में बीजेपी सरकार विफल
बीजेपी की विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि दो साल के अपने कार्यकाल में बीजेपी सरकार पूरी तरह से विफल रही है. गुड़गांव जैसे शहर को विकसित करने के नाम पर खानापूर्ति की जा रहा है. शहर के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने की तरफ सरकार का ध्यान नहीं है. साथ ही आरोप ये भी लगे कि अगर स्थानीय अधिकारी वक्त रहते जाम खुलवाने की कोशिश कर लेते तो इतना बड़ा जाम ना लगता. स्थिति इतनी नहीं बिगड़ती.

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स्थानीय प्रशासन स्थिति संभालने में रहा नाकाम
हरियाणा सरकार में भी इस मामले में अलग-अलग सुर सुनाई दिए. हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने माना कि गुड़गांव का स्थानीय प्रशासन वहां की स्थिति संभालने में पूरी तरह से नाकामयाब रहा और स्थानीय अधिकारी अपना काम ठीक से करने में पूरी तरह से विफल रहे. लेकिन अनिल विज ने अपनी सरकार का बचाव किया और पूर्व की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार को इशारों-इशारों में घेरते हुए कहा कि हमारी सरकार को अभी बने दो ही साल हुए और पूरा सिस्टम सालों से बीमार पड़ा है. अधिकारी अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं. हमारी सरकार इस सिस्टम को दुरुस्त करने में लगी है. इसमें अभी और भी वक्त लगेगा. हम दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे.

मुख्यमंत्री ने की पल्ला झाड़ने की कोशिश
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अनिल विज के उलट गुड़गांव के प्रशासन को इस जाम के लिए जिम्मेदार ना ठहराते हुए इस जाम के पीछे की और कई वजह गिना डाली. खट्टर ने बादशाहपुर ड्रेन के ऑवरफ्लो और होंडा चौक और सुभाष चौक पर चल रहे निर्माण कार्य समेत कांवड़ियों की भीड़ और दिल्ली में टैक्सी चालकों की हड़ताल खत्म होने के बाद टैक्सियां लेकर एयरपोर्ट की तरफ आना जैसे कई कारण इस जाम के लिए गिना दिए. खट्टर ने भी माना कि गुड़गांव का स्थानीय प्रशासन जाम की शुरुआती सूचना पर और तेज एक्शन ले सकता था. खट्टर ने ये कहकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि उस दिन इतनी ही बरसात मुंबई और बंगलुरु जैसे महानगरों में भी हुई थी. वहां भी कुछ ऐसा ही हाल था लेकिन हंगामा गुड़गांव के जाम पर ज्यादा मचा.

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अपनी जिम्मेदारियों से न बचे सरकार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी बीजेपी सरकार को घेरते हुए कहा कि बारिश उनके शासनकाल में भी होती थी लेकिन कभी ऐसी स्थिति नहीं हुई थी. स्थानीय प्रशासन अपना काम ठीक से करने में नाकामयाब रहा. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार भी स्थानीय प्रशासन की गलतियां गिनवा कर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती.

राजनीति की वजह से अधिकारी बेलगाम
वहीं इंडियन नेशनल लोकदल के वरिष्ट नेता और हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने भी हरियाणा सरकार पर जमकर हमला बोला. चौटाला ने कहा कि सरकार जाम के लिए पूरी जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन पर डाल कर अपनी कन्नी काटने में लगी है. जबकि स्थानीय प्रशासन भी राज्य सरकार के ही अंडर आता है. सच ये है कि गुड़गांव के स्थानीय नेताओं की राजनीति की वजह से वहां के अधिकारी भी बेलगाम हैं. वह अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं.

गुड़गांव के जाम में घंटों फंसे लोग तो उस भयावह मंजर को कई सालों तक भुला नहीं पाएंगे लेकिन हरियाणा की सियासत में भी अभी कई दिनों तक ये मुद्दा छाया रहेगा.

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