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बीजिंग की हवा को साफ करने के लिए 2500 कंपनियां होगी बंद

बीजिंग के फेंगतई, फेंगशेन, तोंगझोउ और डैक्सिंग जिलों में इस साल के आखिर तक 2,500 कंपनियों को बंद किया जाएगा. वहीं अगले साल तक पूरी राजधानी में ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया जाएगा जो प्रदूषण बढ़ा रही हैं. इसके साथ ही शहर की उन कंपनियों को भी बंद कर दिया जाएगा जो बड़ी मात्रा में ऊर्जा की खपत कर रही हैं.

दीपिका शर्मा
  • बीजिंग,
  • 09 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 7:47 PM IST

प्रदूषण की वजह से बिगड़ते हालात के खिलाफ चीन की राजधानी बीजिंग एक और सख्त कदम उठाएगी. इसके तहत इस साल बीजिंग में 2,500 ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया जाएगा जो प्रदूषण फैला रही हैं.

अगले साल ज्यादा सख्ती
बीजिंग के फेंगतई, फेंगशेन, तोंगझोउ और डैक्सिंग जिलों में इस साल के आखिर तक 2,500 कंपनियों को बंद किया जाएगा. वहीं अगले साल तक पूरी राजधानी में ऐसी कंपनियों को बंद कर दिया जाएगा जो प्रदूषण बढ़ा रही हैं. इसके साथ ही शहर की उन कंपनियों को भी बंद कर दिया जाएगा जो बड़ी मात्रा में ऊर्जा की खपत कर रही हैं.

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रेस्तरां, गैरेज की बढ़ती संख्या चिंता की वजह
हाल के सालों में बीजिंग में भारी प्रदूषण फैलाने वाली और ऊर्जा की ज्यादा खपत करने वाली इकाइयों की संख्या घटी है, लेकिन रेस्तरां, होटल और गैरेज जैसे छोटे प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों की संख्या लगातार बढ़ना अभी भी चिंता का विषय है.बीजिंग के उप मेयर ली शिक्सियांग ने सुरक्षा और जोखिम आकलन करने और छोटे प्रदूषणकारी स्रोतों को बंद करने के लिए समग्र कानून प्रवर्तन का आदेश दिया है.

पिछले महीने जारी हुआ था रेड अलर्ट
बीजिंग में बढ़ते स्मॉग की वजह से बीते महीने रेड अलर्ट जारी कर दिया गया था. साथ ही बीजिंग निवासियों को घर से न निकलने की चेतावनी दी गई थी. शहर के स्कूलों को भी बंद कर दिया गया था. चीन में रेड अलर्ट जारी होने पर वाहनों के प्रयोग, फैक्टरी और कंस्ट्रक्शन पर भी रोक लग जाती है. इसके बाद पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए सरकार ने प्रदूषण से लड़ने के लिए सख्त कदम उठाए जाने का वादा किया था.

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बीते महीने 17 हजार फैक्ट्रियां हुईं थी बंद
चीन में बीते महीने पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 17 हजार फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया गया था. साथ ही 28 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियों को अस्थायी रूप से संचालन बंद करने का आदेश दिया गया था. इसका मकसद हवा में घुल रहे जहर को रोकना था. ये कंपनियां तय सीमा से ज्यादा प्रदूषण फैला रही थीं.

 

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