
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध देश के कई हिस्सों में ज़ोर-शोर से चल रहा है. लोग सड़को पर उतर कर अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के मुजफ़्फ़रनगर में पोस्टर के जरिए आंदोलन बढ़ाया जा रहा है, ये कहना है यूपी पुलिस का. लेकिन हंगामे की वजह यह नहीं है. दरअसल पुलिस ने पोस्टर लगाने के शक में एक पकौड़े बेचने वाले को पकड़ लिया है, यह शख्स बेहद ग़रीब और बुज़ुर्ग है. जिसके बाद इस बात को लेकर चर्चा ज़ोंरों पर है कि पुलिस एक्शन के नाम पर गरीब और लाचार लोगों को परेशान क्यों कर रही है?
क्यों है विवाद?
पुलिसिया एक्शन से पहले जानते हैं कि विवाद की शुरुआत कहां से हुई थी. मुजफ़्फ़रनगर के थाना सिविल लाइन क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य मदीना चौक पर अज्ञात लोगों ने सीएए और एनआरसी के विरोध में कुछ भड़काऊ पोस्टर्स लगाए हैं. पोस्टर में लिखा गया है कि अगर इस भयानक क़ानून की मुख़ालफ़त नहीं की गई तो आने वाली नस्लें जीते जी मर जाएंगी. ज़ाहिर है पोस्टर भड़काऊ है समाज को बांटने वाला है तो पुलिस एक्शन लेगी.
पुलिस ने कुछ ऐसा ही किया भी. पुलिस मौक़े पर पहुंची और पोस्टर्स को हटा दिया लेकिन उन्होंने आगे जो भी किया लोग उस बात से हैरान हैं. लोगों का कहना है कि पुलिस को अपनी कार्रवाई आगे बढ़ाने के नाम पर ग़रीब-मज़लूम लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए.
पीड़ित का क्या है आरोप?
वहीं पीड़ित मोहम्मद शमीम ने इस बारे में कहा, 'मैंने मदीना चौक पर चाट-पकौड़ी का ठेला लगाया हुआ था. दारोगा जी आए और पूछने लगे कि पोस्टर किसने लगाया? जब मुझे इस बारे में पता ही नहीं तो क्या बताऊं. लेकिन पुलिस मुझे अपने साथ ले आई. मैं अनपढ़ आदमी हूं, चाट पकौड़ी की ठेली लगाकर किसी तरह अपने परिवार का पेट पालता हूं. मुझे तो इस कानून के बारे में कुछ भी नहीं पता.
पुलिस ने क्या कहा?
न्यू मंडी पुलिस स्टेशन के सर्किल ऑफिसर हरीश भदौरिया ने बताया कि गुरुवार को मदीना चौक पर किसी ने आपत्तिजनक पोस्टर लगाया था. पुलिस ने पोस्टर उतारक अपने कब्जे में ले लिया है. हमने 153बी और 120बी के तहत मामला दर्ज कर लिया है.
बता दें ये वही मदीना चौक है जहां पर 20 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसा हुई थी. पुलिस के कई दावों के बावजूद इस मामले में घटना के क़सूरवारों को अब तक नहीं पकड़ा जा सका है.