
देश में कोराना वायरस की वजह से 24 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया गया था, जिसके बाद 26 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज (गेहूं या चावल) और प्रति परिवार एक किलो चना मुफ्त देने की घोषणा की थी. उस समय इसे अप्रैल से जून तीन महीने तक के लिए लागू किया गया था, जिसे अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बढ़ाकर नवंबर तक कर दिया है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के बारे में
दरअसल मार्च में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का ऐलान किया गया था. इसके तहत सभी गरीब परिवारों को जिनके बाद राशन कार्ड है, और जिनके पास नहीं है, उन्हें 5 किलो गेहूं/चावल प्रति सदस्य और एक किलो चना अप्रैल से हर महीने मुफ्त दिया जा रहा है. यह मुफ्त अनाज राशन कार्ड पर मिलने वाले अनाज के मौजूदा कोटे के अतिरिक्त है.
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प्रवासी मजदूरों को इस योजना का लाभ
बता दें, लॉकडाउन की वजह से बड़े पैमाने पर मजदूर बड़े शहरों से अपने घर लौट रहे थे. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की थी. ताकि देश में कोई भूखा न रहे. पहले इसे जून तक के लिए लागू किया गया था, लेकिन अब इसे विस्तार देते हुए नवंबर तक के लिए कर दिया गया है. इसका लाभ उन परिवारों को भी मिल रहा है, जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं. देश में अभी भी बड़े तादाद में ऐसे लोगों हैं, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है.पूरा खर्च केंद्र सरकार उठा रही है
पीएम मोदी ने कहा कि अभी भी मजदूरों और गरीब परिवारों के सामने रोजगार का संकट है, इसलिए मुफ्त अन्न योजना को नवंबर तक जारी रखने का फैसला लिया गया है. मार्च में इस योजना के लिए सरकार ने 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, लेकिन अब इस अन्न योजना के विस्तार पर 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होंगे. इसके साथ ही इस स्कीम पर कुल खर्च करीब 1.50 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा.
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अब नवंबर तक योजना का लाभ
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून को देश को संबोधित करते हुए कहा कि अब नवंबर तक देश के करीब 80 करोड़ गरीब लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ मिलेगा. इस योजना का पूरा खर्च केंद्र सरकार उठा रही है, लेकिन अनाज वितरण राज्य सरकारों द्वारा किया जा रहा है.