
दिल्ली-एनसीआर में जानलेवा हवा के लिए पड़ोसी राज्यों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार आरोप लगा रहे हैं कि राजधानी में जानलेवा हवा के लिए हरियाणा और पंजाब में जलाई जा रही पराली ज्यादा जिम्मेदार हैं. पराली पर इस 'जंग' के बीच पंजाब सरकार ने यहां तक कह दिया है कि अगर पराली जलाने से इतनी समस्या है तो वह धान का उत्पादन ही रोक सकता है. इसकी जगह वह फल-सब्जी की पैदावार करने को तैयार है. पंजाब ने इसके लिए तीन विकल्प रखे हैं.
ये हैं तीन विकल्प
हालांकि पंजाब सरकार ने पराली जलाना रोकने के लिए अपने ऊपर सारा बोझ लेने से इनकार कर दिया है. दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बरार ने पराली जलाने पर रोक को लेकर तीन सुझाव पेश पेश किए हैं.
पहला विकल्प- पंजाब धान की पैदावार बंद कर सकता है, इसकी जगह वो फल सब्जी उगाए.
दूसरा विकल्प - मनरेगा के तहत किसानों को पांच-छह दिनों के लिए जॉब कार्ड किया जाए ताकि वो पराली हटा सकें.
तीसरा विकल्प- केंद्र सरकार डीजल पर कुछ सेस लगाए और इससे जमा पैसा पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को मुआवजे को तौर पर दिया जाए.
पराली जलाना बंद हो तो ही रुकेगा प्रदूषण
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि जब तक हरियाणा औऱ पंजाब में पराली जलाना बंद नहीं होगा, तब तक प्रदूषण की समस्या से निजात नहीं मिलेगी. केजरीवाल ने यहां तक कहा कि इन सब मुद्दों पर वह हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों से मिलने के लिए वक्त माग रहे हैं, लेकिन उनके पास मिलने का वक्त तक नहीं है.
सिर्फ पंजाब में हर साल 19.7 मिलियन टन पराली होती है
एक अनुमान के मुताबिक केवल पंजाब राज्य में हर साल 19.7 मिलियन टन पराली उत्पन्न होती है जिसका ज्यादातर हिस्सा आग के हवाले कर दिया जाता है. पंजाब में अब तक पराली जलाने की 1378 शिकायतें दर्ज की गई हैं. इन शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार ने किसानों पर 7.27 लाख रुपये का जुर्माना भी किया है. पिछले साल की तुलना में पराली जलाने के कम मामले दर्ज हुए हैं, लेकिन किसानों पर सरकार की सख्ती का कोई ज्यादा असर नहीं हुआ है. पिछले साल पंजाब के किसानों पर पराली जलाने के आरोप में 73.2 लाख रुपये जुर्माना किया गया था. हालांकि असल में कितना जुर्माना वसूला गया इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.
किसानों पर सख्ती नहीं करना चाहती पंजाब सरकार
पंजाब सरकार किसी भी सूरत में किसानों से सख्ती नहीं बरतना चाहती. राज्य सरकार की साफ कर चुकी है कि वह पराली जलाने का प्रबंधन नहीं कर सकती क्योंकि उसके खजाने में पैसा नहीं है. इसके लिए राज्य सरकार ने किसानों को पराली के प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर सब्सिडी देने के लिए केंद्र को 1109 करोड़ रुपये की एक योजना केंद्र के कृषि मंत्रालय को भेजी थी जो फाइलों में ही लटकी है. इस बाबत अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्र के कृषि मंत्रालय से जवाब तलबी की है.
पराली प्रबंधन के लिए मशीन खरीदने की सलाह
पंजाब सरकार किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनें खरीदने की सलाह भी दे रही है लेकिन मशीनों की कीमत इतनी ज्यादा है कि किसान उसे खरीदने में असमर्थ हैं. किसान पहले ही कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं और उस सरकार उनको सब्सिडी का लालच देकर कर्ज लेने की सलाह दे रही है जो बात गले नहीं उतरती. गौरतलब है कि चॉपर श्रेडर मशीन की कीमत 4.5 लाख से लेकर 6 लाख रुपये, कटर रेक बेलर मशीन की कीमत 16 लाख रुपए और हैप्पी सीडर मशीन की कीमत 1.25 लाख से 1.40 लाख रुपये के बीच है जिसे किसानों की जेब पर भारी पड़ रही हैं.
हरियाणा में पराली जलाने के 437 मामले दर्ज
पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी किसान बेधड़क पराली जला रहे हैं. अब तक सेटेलाइट की मदद से 437 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं और कुल 115 एफआईआर दर्ज की गई है . राज्य सरकार अब तक किसानों से चार लाख रुपये जुर्माना वसूल चुकी है . राज्य सरकार ने दावा किया था कि वह किसानों को पराली का वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए जागरुक बना रही है.