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जानिए राज्यसभा सदस्यता को 'NO' कहने वाले प्रणव पंड्या के बारे में

'आज तक' से बातचीत में प्रणव ने कहा है कि उन्होंने अपने मन की बात सुनी है. उनको ऐसा लगता है कि राज्यसभा में बहस का जो स्तर है वो उनके लायक नहीं है. उन्होंने कहा कि वे राज्यसभा से बाहर रहकर ज्यादा अच्छा काम कर सकते हैं.

प्रणव पंड्या प्रणव पंड्या
प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2016,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

गायत्री परिवार के मुखिया डॉक्टर प्रणव पंड्या ने राज्यसभा की सदस्यता लेने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा है कि वे राज्यसभा नहीं जाना चाहते. प्रणव ने यह भी कहा है कि उनके साथ-साथ गायत्री परिवार के लोग भी नहीं चाहते हैं कि वे राज्यसभा जाएं.

'आज तक' से बातचीत में प्रणव ने कहा है कि उन्होंने अपने मन की बात सुनी है. उनको ऐसा लगता है कि राज्यसभा में बहस का जो स्तर है वो उनके लायक नहीं है. उन्होंने कहा कि वे राज्यसभा से बाहर रहकर ज्यादा अच्छा काम कर सकते हैं. पंड्या ने कहा कि राज्यसभा में लोग एक-दूसरे को गालियां देते रहते हैं, ऐसे में वे वहां क्या करेंगे.

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नामित होने के दो दिन बाद किया मना
बुधवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने डॉक्टर प्रणव पंड्या को राज्यसभा के लिए नामित किया था. राज्यसभा में एक नामित सदस्य के रिटायर होने के बाद खाली हुई जगह पर पंड्या को सदस्य बनाया गया था.

80 देशों में खोली गई गायत्री परिवार की शाखाएं
डॉक्टर प्रणव पंड्या पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के काफी नजदीकी रहे हैं. प्रणव ने भारतीय संस्कृति को विदेशों तक पहुंचाने के लिए एक-दो नहीं बल्कि लगभग 80 देशों में गायत्री परिवार की शाखाएं खोली हैं.

कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हैं पंड्या
डॉक्टर प्रणव पंड्या गायत्री परिवार के संचालक होने के साथ ही हरिद्वार में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के चांसलर भी हैं. साथ ही वे गायत्री परिवार की पत्रिका अखंड ज्योति के संपादक हैं. इसके अलावा पंड्या स्वामी विवेकानंद योगविद्या महापीठम के अध्यक्ष भी हैं.

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गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं प्रणव
डॉक्टर प्रणव पंड्या गोल्ड मेडलिस्ट एमडी इन मेडीसिन हैं. उन्होंने 1976 में यूएस मेडिकल सर्विसेज के लिए भी क्वालिफाई कर लिया था. लेकिन अपने गुरु पंडित श्रीराम शर्मा के कहने पर प्रणव ने यह मौका छोड़ दिया और भारत में ही रहने का फैसला लिया.

2 साल में छोड़ दी BHEL की नौकरी
1976 में प्रणव पंड्या ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड ज्वाइन किया. उन्होंने BHEL के हरिद्वार और भोपाल के अस्पतालों में फिजिशियन के तौर पर लगभग दो साल तक काम किया. प्रणव पंड्या 1963 से ही युग निर्माण योजना मिशन से जुड़े हुए थे. इसके बाद उन्होंने 1969 से 1977 के बीच गायत्री तपोभूमि मथुरा और शांतिकुंज हरिद्वार में लगे कई शिविरों में हिस्सा लिया. इन सबका प्रणव पर बेहद असर पड़ा और फिर 1978 में प्रणव नौकरी छोड़ कर स्थायी तौर पर हरिद्वार आ गए, और अब पंड्या गायत्री परिवार के मुखिया है.

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