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प्रशांत किशोर उर्फ़ PK के हाथों में हरीश रावत का भविष्य!

भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों को झेल रही उत्तराखंड की रावत सरकार अब पीके की नैय्या पर सवार हो चुकी है. पीके यानी प्रशांत किशोर के सहारे उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ने की पूरी रणनीति बना रही है.

पीके यानी प्रशांत किशोर पीके यानी प्रशांत किशोर
सना जैदी
  • देहरादून,
  • 08 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 1:16 AM IST

भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों को झेल रही उत्तराखंड की रावत सरकार अब पीके की नैय्या पर सवार हो चुकी है. पीके यानी प्रशांत किशोर के सहारे उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ने की पूरी रणनीति बना रही है.

सरकार और संगठन में टिकटों को लेकर मची तनातनी के चलते पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में नुकसान न हो, इसके लिए आला कमान ने मुख्यमंत्री रावत और प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पर नकेल कसने के लिए अब पीके का सहारा लिया है. अब पीके, संगठन और सरकार से ऊपर उठकर हरीश के साथ-साथ कांग्रेस को सहारा देने के लिए देवभूमि में दस्तक भी दे चुके हैं.

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उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सर्द मौसम के बीच विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगे राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत के लिए तमाम तरह के हथकंडे अपनाने में जुट चुके हैं. कांग्रेस पार्टी भी उत्तराखंड में दोबारा वापसी करने के लिए हर हथकंडा अपनाने में लगी है. इसी के तहत उत्तराखंड में चुनाव में जीत की नैय्या पर सवार होने के लिए सारथी के तौर पर कांग्रेस आलाकमान की ओर से पीके को चुनावी रणनीति बनाने की बागडोर सौंपी गई है. जिसके लिए पीके यानी प्रशांत किशोर देहरादून में डेरा डाल चुके हैं. कभी मुख्यमंत्री रावत के साथ चुनाव की प्लानिंग तो कभी प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ चुनावी गुफ्तगू हो रही है.

बंद कमरे में मिले दो किशोर
बंद कमरे में दोनों किशोर, यानी प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर. भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों को झेल रही रावत सरकार को दोबारा कैसे वापस सत्ता में लाएं. इसकी चर्चा में दोनों किशोर ने बैठक की. दोनों की तमाम मुद्दों पर बातचीत हुई. 15 मिनट की मिटिंग के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कमरे से बाहर निकले. मुद्दा भले ही कांग्रेस को जीत दिलाने का हो. लेकिन प्रदेश में एक ही पार्टी की दो अलग-अलग धुरियों को साधने में पीके को कितने पापड़ बेलने पड़ेंगे ये शायद खुद पीके को भी एहसास नहीं होगा.

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पीके के हाथों में कांग्रेस की बागडोर
कांग्रेस आलाकमान की ओर से उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने के लिए खासतौर पर पीके को देहरादून भेजा गया है. चुनाव में प्रचार से लेकर पोस्टर, बैनर, भाषणबाजी से लेकर कार्यकर्ताओं और नेताओं के पहनावे और बयानबाजी तक का जिम्मा पीके को सौंपा गया है. जग जाहिर है कि पीके वो ही शख्स हैं, जिन्होंने मोदी को चुनाव जिताकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया. इसके लिए बीजेपी की ओर से कंसलटेंसी के तौर पर पीके को मोटी रकम भी अदा करने की बात सामने आई थी. लेकिन उत्तराखंड पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की मानें तो पीके पार्टी के लिए समाज सेवा के तहत काम कर रहे हैं.

पीके की समाजसेवा या बिज़नेस डील?
केदार आपदा में करोड़ों के घोटाले के आरोप रावत सरकार पर पहले से ही लगते रहे हैं. बाद में भी आपदा पीडितों की आर्थिक मदद के लिए आई रकम को बॉलीवुड कलाकारों को पेमेंट करने का भी आरोप रावत सरकार पर लग चुका है. तो वहीं कुछ ही महीने पहले स्टिंग ऑपरेशन में फंसे खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत भी अब सीबीआई की जांच में फंसे हैं. ऐसे में चुनाव होने की वजह से इन सभी मुद्दों को पहाड़ की भोली भाली जनता के दिलों दिमाग से निकालने के लिए जिस तरह से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और लंबी चौड़ी टीम ने देहरादून में डेरा जमाया हुआ है. उसे देखकर लगता नहीं कि करोड़ों की डील करने वाला चुनावी रणनीतिकार पीके कांग्रेस के लिए फ्री में समाज सेवा करने देहरादून में बोरिया बिस्तर जमाएगा. अब पीके जैसे मैनेजमेंट गुरु किसी पार्टी विशेष के लिए मुफ्त में काम कर रहे हैं या फिर सही में समाजसेवा कर रहे हैं. ये राज है, जो अभी सिर्फ अंधेरे में है. जिसको देखना भले ही मुमकिन न हो लेकिन अंदाज़ा जरूर लगाया जा सकता है कि ये वाकई समाज सेवा है या फिर कुछ और?

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