
इसरो ने PSLV-C35 से जो 8 उपग्रह दागे हैं उनमें से एक उपग्रह IIT बॉम्बे के छात्रों ने तैयार किया है. इसलिए IIT बॉम्बे के पिछले कई बैचेस के छात्रों के लिए अब जश्न का समय है. उनका 8 साल लंबा इंतजार खत्म हुआ है. 'प्रथम' सैटेलाइट को बनाकर इन छात्रों ने इतिहास रच दिया है.
कैसे हुई शुरुआत
इस प्रोजेक्ट की नींव 2008 में तब पड़ी जब सप्तऋषि बंधोपाध्याय IIT-B यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे से तीन वर्षीय डुअल डिग्री प्रोग्राम के आखिरी साल में थे. एक समारोह में वे एस्ट्रोनॉमर मयंक वाहिया से मिले और उनसे जाना कि किस तरह विदेशों में छात्रों द्वारा सैटेलाइट तैयार करने का ट्रेंड बढ़ रहा है. बस फिर क्या था, बंधोपाध्याय ने भी इस तरह का काम करने की ठान ली. उसी समय शशांक तमस्कार, जो बी-टेक के लास्ट ईयर के छात्र थे और वाहिया के साथ इंटर्नशिप कर चुके थे, उन्होंने सैटेलाइट बनाने का आइडिया बंधोपाध्याय के साथ शेयर किया. फिर दोनों ने अपना यह आइडिया एरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के.सुधकर से शेयर किया. इसके बाद इंस्टीट्यूट ने उन्हें सहयोग देने का निर्णय लिया.
शुरू हुआ काम
बस फिर क्या था, दोनों ने मिलकर 6 लोगों की एक टीम तैयार की. आज 'प्रथम' को पूरा होने के बाद यह टीम 80 लोगों की हो चुकी थी. शुरुआत में इसे पूरा करने का लक्ष्य दो वर्ष का था पर इसे बनते-बनते 8 साल का लंबा समय लग गया. पिछले सप्ताह तक IIT-B के 6 छात्र इस सैटेलाइट पर इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन यानी ISRO में काम कर रहे थे. फिलहाल इस प्रोजेक्ट के मैनेजर फाइनल ईयर के छात्र रत्नेश मिश्रा थे. IIT-B ने ही इस प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग की. प्रथम का वजन 10 किग्रा है. प्रथम का उद्देश्य कुल इलेक्ट्रॉन संख्या का आकलन करना है.
'प्रथम' की नींव रखने वाले बंधोपाध्याय इस समय केलिफोर्निया में पीएचडी कर रहे हैं.