
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव बिल को उपराज्यपाल नजीब जंग को लौटा दिया है. अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के लिए बिल बनाया था. सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस विषय में कोई आधिकारिक जानकारी केजरीवाल सरकार तक फिलहाल नहीं पहुंची है.
स्पीकर को बिल लौटाने की आधिकारिक जानकारी नहीं
इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने कहा है कि विधानसभा से प्रस्ताव पास होने के बाद अगर 21 विधायकों के बिल पास होने की जानकारी उपराज्यपाल के जरिए ही आएगी. क्योंकि ये बिल पहले उन्हीं को भेजा गया था. ऐसे में बिल खारिज होने की जानकारी अभी तक विधानसभा अध्यक्ष को नहीं मिली है.
केजरीवाल ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
बिल वापस किए जाने के बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार न काम करती है और न काम करने देती है. उन्होंने कहा कि हमने एक भी विधायक को पैसा नहीं दिया. वे सब अपने खर्चे पर जनता की सेवा कर रहे थे.
नियम के मुताबिक नहीं भेजा गया था बिल
वहीं विधानसभा में बीजेपी के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने बिल को नियम के अनुसार राष्ट्रपति कार्यालय को नहीं भेजा गया था. इसलिए बिल को लौटा दिया गया. दूसरी ओर बिल भले ही लौटा दिया गया हो, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव आयोग की अंतिम सिफारिश मिलने के बाद ही इस पर कोई फैसला करेंगे.
आम आम आदमी पार्टी के ये 21 विधायक हैं, जिन पर बिजली गिर सकती है.
1. जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन
2. जरनैल सिंह, तिलक नगर
3. नरेश यादव, महरौली
4. अल्का लांबा, चांदनी चौक
5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
7. राजेश गुप्ता, वजीरपुर
8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
10. अवतार सिंह, कालकाजी
11. शरद चौहान, नरेला
12. सरिता सिंह, रोहताश नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. सोम दत्त, सदर बाजार
15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
17. मनोज कुमार, कोंडली
18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
19. सुखबीर दलाल, मुंडका
20. कैलाश गहलोत, नजफगढ़
21. आदर्श शास्त्री, द्वारका
निर्वाचन आयोग की सिफारिश के बाद होगा फैसला
वैसे विधायकों को फौरी तौर पर इससे किसी तरह के खतरे की बात नहीं है. क्योंकि इस मामले में फैसला भारतीय निर्वाचन आयोग करने वाला है. केजरीवाल सरकार में मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों की सदस्यता पर निर्वाचन आयोग ने लाभ के पद को लेकर इनकी विधान सभा सदस्यता रद्द करने की अर्जी पर फैसला कर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपनी सिफारिश भेज देगा.
हाई कोर्ट में भी विचाराधीन है मामला
संसदीय सचिव नियुक्त करने संबंधी केजरीवाल के आदेश की वैधानिकता को हाई कोर्ट में पहले ही चुनौती दी जा चुकी है. अदालत ने इस मामले को उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र से संबंधित याचिका के साथ मिलाकर सुनवाई की जा रही है. इसलिए निर्वाचन आयोग हाई कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक कोई सिफारिश नहीं करेगा.