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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने कहा है कि वह इस चुनाव में विपक्ष के दलित उम्मीदवार का समर्थन कर सकती है. आप के सूत्रों का कहना है कि यदि राष्ट्रपति चुनाव में परिस्थिति दलित बनाम दलित उम्मीदवार की होती है तो ऐसे में वह बीजेपी के दलित उम्मीदवार की बजाय विपक्ष के दलित उम्मीदवार का समर्थन कर सकती है. आम आदमी पार्टी के सूत्रों ने आज तक से कहा कि दलित बनाम दलित उम्मीदवार की स्थिति में अगर विपक्ष पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार या सुशील शिंदे के चेहरे पर कोई फैसला लेता है. तो ऐसे में वे इन दोनों चेहरों को समर्थन दे सकते हैं.
आम आदमी पार्टी सूत्रों ने किसी भी हालत में बीजेपी उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन की संभावनाओं से इंकार कर दिया. हालांकि अब तक ना ही सत्ता पक्ष और ना ही विपक्ष ने आम आदमी पार्टी को राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारों पर हो रही चर्चा में आमंत्रित किया है.
वहीं नीतीश कुमार द्वारा NDA के उम्मीदवार राम कोविंद को जेडीयू के समर्थन की घोषणा पर आशुतोष ने कहा कि नीतीश जी की अपनी अलग पार्टी है. वह स्वतंत्र हैं. उवनके किसी भी फैसले पर आम आदमी पार्टी कुछ कहने की स्थिति में नहीं. उनकी पार्टी का अपना विशेषाधिकार है.
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह 22 तारीख को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक और उसमें औपचारिक तरीके से किसी भी उम्मीदवार के चयन का इंतजार करेगी. वे उसके बाद ही अपना पक्ष सबके सामने रखेंगे. वहीं एनडीए द्वारा दलित चेहरे को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के सवाल पर आप नेता आशुतोष ने कहा कि सिर्फ दलित उम्मीदवार पर ही सवाल क्यों उठता है? वह दलित कैंडिडेट क्यों लाए हैं कैसे लाएं हैं यह दूसरा सवाल है.
आम आदमी पार्टी ने एनडीए के दलित उम्मीदवार और दलित कार्ड पर जवाब देते हुए मोदी सरकार पर आरोप लगाया और कहा कि जितना दलितों पर अत्याचार मोदी सरकार के दौरान हुआ उतना पहले कभी नहीं हुआ. आशुतोष ने कहा कि रोहित वेमुला के मामले में मोदी सरकार के दो मंत्रियों का नाम आया लेकिन उस मामले में आज तक कार्रवाई नहीं हुई. गुजरात के ऊना में जो कुछ हुआ उस पर भी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. इतना ही नहीं बीजेपी की सरकार आने के बाद सहारनपुर में जो घटना हुई उस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. जाहिर है दलित चेहरे पर किसी भी तरह घिरने से बचने के लिए आप विपक्ष के दलित चेहरे को समर्थन करने का मन बना रही है.