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राष्ट्रपति चुनाव में MP-MLA के लिए अलग-अलग रंग की होगी मतदान पर्ची

राष्ट्रपति चुनाव में 17 जुलाई को मतदान करने वाले संसद के सदस्यों के लिए मतदान की परची हरे रंग का होगी. वही विधायकों के लिए गुलाबी रंग का मतदान की परची होगी. राजग और विपक्ष द्वारा अलग-अलग प्रत्याशी खड़े करने और उनमें से किसी के एक जुलाई की शाम तक उम्मीदवारी वापस ना लेने की स्थिति में चुनाव आयोग मतपत्र की अंतिम छपाई की प्रक्रिया शुरू कर देगा.

राष्ट्रपति भवन राष्ट्रपति भवन
विजय रावत/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 18 जून 2017,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST

राष्ट्रपति चुनाव में 17 जुलाई को मतदान करने वाले संसद के सदस्यों के लिए मतदान की परची हरे रंग का होगी. वही विधायकों के लिए गुलाबी रंग का मतदान की परची होगी. राजग और विपक्ष द्वारा अलग-अलग प्रत्याशी खड़े करने और उनमें से किसी के एक जुलाई की शाम तक उम्मीदवारी वापस ना लेने की स्थिति में चुनाव आयोग मतपत्र की अंतिम छपाई की प्रक्रिया शुरू कर देगा.

एक विधायक के वोट का मूल्य उसके प्रतिनिधित्व वाले राज्य की आबादी पर निर्भर करती है. वही सांसद के वोट का मूल्य स्थिर रहता है. एक सांसद का वोट 708 के बराबर माना जाता है. इसलिए अलग-अलग रंग की परची  से निर्वाचन अधिकारी को वोट के मूल्य के आधार पर मतों की गणना करने में मदद मिलेगी. निर्वाचक मंडल के कुल वोटों का मूल्य 10,98,903 है. मत पेटियों को गिनती के लिए 20 जुलाई को दिल्ली लाया जाएगा.

हरे और गुलाबी रंग की होगी कागज
निर्वाचित सांसदों और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों वाले समानुपातिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के जरिए राष्ट्रपति का चुनाव करने वाले निर्वाचन मंडल में कुल 4,896 मतदाता होते हैं. इनमें 4,120 विधायक और 776 निर्वाचित सांसद हैं. राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य है जबकि लोकसभा के 543 सदस्य हैं. राज्यों को दिए निर्देश में आयेाग ने कहा कि संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मत पत्रों की छपाई हरे रंग के कागज पर होगी जबकि विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मत पत्रों की छपाई गुलाबी कागज पर होगी.

कुछ जगहो पर परची की छपाई चुनाव पैनल खुद करेगा
अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, राजस्थान, उाराखंड, उार प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए अंग्रजी और हिंदी में छपने वाले मतदान की परची की छपाई यहां चुनाव पैनल खुद करेगा. दूसरी ओर आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और पुद्दुचेरी के लिए मतपत्रों की छपाई उनके राज्यों में ही होगी. इन राज्यों के लिए हिंदी और अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में मतदान की परची छापने की जरुरत होती है.

विशेष पेन का होगा इस्तेमाल
राष्ट्रपति चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जाता है क्योंकि उन्हें पहले ही फार्मेट किया जा चुका है. गत वर्ष हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान स्याही को लेकर हुए विवाद के बाद आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव में वोट देने के लिए मतदाताओं के लिए विशेष पेन का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा करते हुए कहा था, वोट देने के लिए आयोग खास तरह के पेन की आपूर्ति करेगा. मतदान केंद्रों पर जब नामित अधिकारी मतदान की परची सौंपेगा तभी मतदाताओं को यह पेन दिया जाएगा. मतदाताओं को इस विशेष पेन से ही मतपत्र पर वोट देना होगा ना कि किसी अन्य पेन से. किसी भी अन्य पेन से वोट देने पर वोट को अमान्य घोषित किया जा सकता है.

चुनाव पैनल द्वारा भविष्य में होने वाले चुनावों में विवादों को दोहराने से बचने के तरीकों का सुझाव देने के लिए गठित कार्यकारी समूह की सिफारिशों के आधार पर खास तरह के पेन इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया है. हरियाणा में राज्यसभा चुनाव के दौरान गलत पेन से दिए गए 12 वोटों को अवैध घोषित कर दिया गया था. इससे कांग्रेस के समर्थन वाले निर्दलीय उम्मीदवार आर के आनंद को मीडिया उद्योगपति सुभाष चंद्रा से हार का सामना करना पड़ा था.

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