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सिलिकॉन वैली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए तैयार है. 30 साल में पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री के कदम यहां पड़ रहे हैं. मोदी यहां अमेरिका की सबसे बड़ी कंपनियों के सीईओ से मुलाकात करेंगे. गूगल, एपल, माइक्रोसॉफ्ट, टेस्ला, फेसबुक इनमें से चंद नाम हैं. इसे भारत के ट्रांसफॉर्मेशन की यात्रा कहा जा रहा है. और मोदी का दौरा इसका पहला पड़ाव है.
मोदी का अगला फोकस इनोवेशन
मोदी को उम्मीद है कि वह वैश्विक मंच पर भारत का रुतबा बढ़ाने में कामयाब रहेंगे. इससे भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा. मोदी की इस यात्रा का फोकस स्टार्ट अप, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी पर है.
मोदी चाहते हैं कि विदेशी कंपनियां उनके डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए भारत आएं. यदि वह उन्हें लाने में कामयाब रहे तो सीधा मतलब यह होगा कि नौजवानों को नए अवसर मिलेंगे. देश के दूर-दराज के गांव-गांव तक इंटरनेट पहुंचेगा. टेक्नोलॉजी के जरिये सरकारी सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी और उनमें सुधार होगा. यानी जिंदगी आसान होगी.
उत्सुक हैं अमेरिकी सांसद
रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों ही पार्टियों के कई सांसद मोदी से मिलने के लिए उत्सुक हैं. लेकिन इन्हें एक दिन का इंतजार और करना होगा. ये 27 सितंबर को सैन जोस के सैप सेंटर में मोदी से मिलेंगे. इनमें प्रतिनिधि सभा की पूर्व स्पीकर नैन्सी पेलोसी और सदन की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष एड रॉयस शामिल हैं.
कांग्रेस के एमी बेरा और जॉर्ज होल्डिंग दोनों ही प्रभावशाली 'कांग्रेशनल कॉकस ऑन इंडिया एंड इंडियन अमेरिकन्स' के सह अध्यक्ष हैं. सैप सेंटर में स्वागत समारोह में दोनों मौजूद रहेंगे, जहां 18,500 भारतीय अमेरिकी शामिल होंगे.