
बेरोजगारी दूर करने के लिए खोले गए कौशल विकास सेंटर सरकार के सामने काम के लिए लगातार गुहार लगा रहे हैं. लेकिन सिवाए आश्वासन के कुछ नहीं मिल रहा. कौशल एवं उद्यमिता मंत्रालय से एनएसडीसी और एनएसडीसी से मंत्रालय. यहां से वहां चक्कर लगालगाकर लोग हलकान हैं. लेकिन इन सेंटर्स को काम नहीं मिल रहा.
पीएमकेवीवाइ के तहत सेंटर चलाने वाले सिरसा के राकेश कुल्हारिया कहते हैं, हमें समझ नहीं आता कि जब हमारे सेंटर एक्रिडिएटेड हैं. 4 स्टार या 5 स्टार उन्हें मिले हुए हैं. फिर हमें काम क्यों नहीं दिया जा रहा. हमने 15-20 लाख रु. लगाकर सेंटर खोले. उनमें स्टाफ रखा उनका वेतन हमारी जेबों से जा रहा है. लेकिन कभी वैरीफिकेशन के नाम पर तो कभी सेंटर अप्रूवल की तारीख को ढाल बनाकर हमें काम नहीं दिया जा रहा.
हम तो चैलेंज करते हैं कि प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र और हमारे सेंटर्स की क्वालिटी की तुलना कर ली जाए.
अगर हम गाइडलाइन को पूरा न करें तो फिर हमें रद्द कर दिया जाए. हिसार से आए रिंकू कहते हैं, रोजगार के नाम पर इतनी बड़ी योजना शुरू की गई.
पर क्या अंदाजा है कि एक सेंटर के खुलने पर कितने लोगों को रोजगार मिलता है और बिन कारण बताए उसे काम न देने पर कितने लोग बेरोजगार हो जाते हैं?
वे कहते हैं, ‘मैं ईमानदारी से कहूं जब हमें काम नहीं मिला तो हमने चार-पांच महीने तक दो ट्रेनर, एक सिक्योरिटी, गार्ड, रिसेप्शनिस्ट, सफाई कर्मी को वेतन दिया लेकिन फिर उन्हें हटा दिया क्योंकि हमें कोई काम ही नहीं मिला.
तीन महीने बाद हमें आश्वासन मिला तो हमने फिर उन्हें बुला लिया. लेकिन अब फिर हमें काम नहीं मिल रहा.’ जयपुर से आए विक्रम सिन्हा कहते हैं, ‘ मुझे एक साल में केवल 60 सीटों एलॉट की गईं. जबकि मेरे सेंटर की क्षमता थी 920 स्टूडेंट्स. अब आप ही बताइये हम तो बर्बाद हो गए न.’
हिसार के संजीव सहारन ने बताया 16 मई को मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट ने एनएसडीसी को यह गाइडलाइन जारी कर दी कि गाइडलाइन में जो सेंटर्स फिट बैठें उन्हें काम दिया जाए.
इस गाइडलाइन में कहा गया कि जो लोग 70 फीसदी लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य पा चुके हों उन्हें काम दिया जाए. यहां पर वैरीफिकेशन फिजिकल होना था.
एनएसडीसी ने फिर इसमें अड़ंगा लगाया और गाइडलाइन को तोड़मरोड़कर कहा जॉब वैरीफिकेशन के लिए तीन माह की सैलरी स्लिप चाहिए.
यानी इसका सीधा मतलब है कि वे ही स्टूडेंट जॉब में मानें जाएंगे जो तीन माह तक जॉब कर चुके हों.
ऐसे में तीन माह तक सेंटर को कोई काम नहीं मिलेगा! दूसरा अड़ंगा लगाया कि 20 जून 2017 के बाद अप्रूव हुए सेंटर्स को काम नहीं दिया जाएगा.
मुद्रा योजना के तहत लोन लेने के लिए नहीं योग्य पीएमकेवीवाई सर्टिफिकेटधारी!
राकेश, शीतू, संजीव कहते हैं 'अब जरा इस योजना का एक पक्ष स्टूडेंट्स की तरफ से भी रखें. मान लीजिए आप इस योजना के तहत कुशल हो चुके हैं. सर्टिफिकेट लेकर बैंक में जाइये और मुद्रा लोन के तहत लोन अप्लाई कीजिए. बैंक मैनेजर इस सर्टिफिकेट पर लोन देने को ही तैयार नहीं होता.
हमने और दूसरे सेंटर चलाने वाले कई लोगों ने मुद्रा योजना के तहत लोन के लिए स्टूडेंट्स से अप्लाई करवाया. मगर एक को भी लोन नहीं मिला.' राकेश कहते हैं जब बेरोजगारों को लोन देने वाली देश की सबसे बड़ी योजना ही इस सर्टिफिकेट पर लोन नहीं देगी तो फिर आखिर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के सर्टिफिकेट को दूसरे सरकारी और गैर सरकारी महकमों में मान्यता कैसे मिलेगी. कुल मिलाकर इस योजना की कई कमजोर कड़ियां हैं. और यह सारी कड़ियां एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं.
साल 2014 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय का गठन किया गया. 2 अक्टूबर 2016 में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना करोड़ों रु. के बजट के साथ शुरू की गई थी. मकसद बेरोजगारों को हुनरमंद बनाना और हुनरमंदों को सर्टिफिकेट देकर उन्हें रिकग्नाइज करना.
मोदी जी हमने तो आपके फोटो भी गाइडलाइन के हिसाब से लगाए, फिर भी सरकार खफा?
पीएमकेवाई की गाइडलाइन को पढ़ेंगे तो आपका ध्यान ब्रांडिंग की तरफ जरूर जाएगा. इसमें सेंटर के हर कोने और कमरे में योजना का प्रचार करते होर्डिंग और बैनर लगाए जाने के ना केवल साफ-साफ निर्देश दिए गए हैं बल्कि क्या साइज और कैसा मैटेरियल होगा यह भी बताया गया है. कैथल से आए निशांत ने बताया, दिसंबर 2016 मेरा सेंटर रिजेक्ट कर दिया गया था. वजह केवल इतनी थी कि मैंने बाहर गाइडलाइन के हिसाब से 20
पिछले साल दिसंबर से कई बार आंदोलन कर चुके पीएमकेवाई सेंटर्स मालिकों ने एक बार फिर 30 मई को कौशल एवं उद्यमिता मंत्रालय के खिलाफ प्रोटेस्ट किया.
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