
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से जोधपुर का प्रसिद्ध गजशाही साफा धारण कर देश को संबोधित किया. प्रधानमंत्री के लिए विशेष रूप से पांच साफों को 15 दिन पहले ही जोधपुर से नई दिल्ली प्रधानमंत्री निवास पर भेजा गया था.
पीएम ने खुद पसंद किया साफा
पीएम को साफा बांधने के लिए एक आदमी को भी जोधपुर से ही भेजा गया गया था. जोधपुर से बीजेपी के शहर विधायक कैलाश भंसाली ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अलग-अलग तरह के साफों को पीएम निवास भेजा गया था. उन पांच साफों में से प्रधानमंत्री मोदी ने नौ मीटर लंबे केसरिया पट्टी वाले गजशाही साफे को पसंद किया.
पूर्व नरेश गज सिंह ने किए साफों पर प्रयोग
बताया जाता है कि विदेश में पढ़ाई कर 70 के दशक में जोधपुर लौटे पूर्व नरेश गज सिंह ने कई तरह के साफों को देखा और उन पर काम किया. इनमें सू्ती कपड़ों को सफेद, हरा, केसरिया, गुलाबी, पीले और लाल रंग की पट्टियों में ऐसा रंगा जाता है कि एक साथ एक कपड़े कई रंग में दिखते हैं.
खुशी के मौकों पर साफा बांधने की परंपरा
जोधपुर साफों के विशेषज्ञ शेरसिंह साफा ने बताया कि गज सिंह ने अपने प्रयोग के दौरान पांच रंगों का साफा बनाया. बाद में इस तरह के साफों को गजशाही साफे के नाम से जाना गया. इसमें कई प्रयोग हुए और अब ये साफे कई रंगों के होते हैं. खुशी के मौकों पर मारवाड़ में साफा बांधने का रिवाज है.
सही तरीके से नहीं बांधा गया पीएम को साफा
समाजसेवी और साफा के पुराने व्यवसायी अजय शर्मा का कहना है कि प्रधानमंत्री के जोधपुरी साफा पहनकर लाल किले से देश को संबोधित करने से पूरे राजस्थान और खासकर जोधपुर का मान बढ़ा है. हालांकि जोधपुर के साफा विशेषज्ञों का कहना है कि पीएम के साफे को सही तरीके से नहीं बांधा गया था. उसे काफी टाइट कर दिया गया था, साथ ही ऊपर से दबा देने से इसका सही प्रभाव उभर कर सामने नहीं आ पाया.
जब पहली बार पीएम ने बांधा जोधपुरी साफा
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने इसे अपनी सुविधा के अनुसार बदलाव करवाकर बंधवाया था. पहली बार जब पीएम मोदी ने लाल किले पर झंडा फहराया था, तब भी जोधपुरी साफा ही पहना था, जिसे लेकर बीजेपी के सांसद ओम मोथुर जोधपुर से गए थे.