
क्या आपने कभी किसी कैदी को जेल से बाहर निकलकर शादियों में बैंड बजाते हुए देखा है, जाहिर है आपका जवाब न में ही होगा. तो बता दें राजस्थान के जोधपुर जेल में बंद कैदी शादियों में जाते हैं, साथ ही बैंड-बाजा बजाकर शादी के जश्न को दोगुना भी करते हैं. शादियों में शरीक होने वाले कैदियों की सुरक्षा में महज एक सिपाही को तैनात किया जाता है.
जोधपुर जेल के अधिकारियों के मुताबिक, जोधपुर सेंट्रल जेल में कैदियों को बैंड बजाना भी सिखाया जाता है. जिसके बाद प्रशिक्षित कैदियों को शादियों और पार्टियों में बैंड-बाजा बजाने के लिए भेजा जाता है. जोधपुर जेल के इस बैंड में 12 कैदी होते हैं. वहीं कैदियों के इस बैंड के लिए जेल प्रशासन अन्य बैंड के मुकाबले काफी कम मेहनताना लेता है.
दरअसल अमूमन बाजार में जहां एक बैंड 20 से 30 हजार रुपये प्रति घंटा चार्ज करते हैं, वहीं कैदियों के इस बैंड का प्रति घंटे का चार्ज सिर्फ 1601 रुपये है. सेंट्रल जेल ही बैंड की बुकिंग की जाती है. बताते चलें कि जोधपुर में कैदियों का यह बैंड दिन-ब-दिन लोकप्रिय होता जा रहा है. शादियों के इस सीजन में बैंड की लगातार एडवांस बुकिंग चल रही है.
बैंड में शामिल कैदियों को कार्यक्रम स्थल पर लाने और ले जाने की जिम्मेदारी बुकिंग करने वाले की होती है. कैदियों की ईमानदारी भी एक मिसाल है. दरअसल बैंड के कैदी अपना काम करने के बाद पूरी ईमानदारी से वापस जेल लौट जाते हैं. गौरतलब है कि इस बैंड में शामिल होने के लिए भी जेल प्रशासन ने की नियम बनाए हैं.
जेल अधिकारियों के मुताबिक, इस बैंड में उन कैदियों को शामिल किया जाता है जो एक बार पैरोल पर रिहा होने के बाद वापस तय वक्त में जेल लौट आते हैं. कार्यक्रम में पहनी जाने वाली ड्रेस जेल प्रशासन की ओर से मुहैया करवाई जाती है. वहीं राजस्थान हाई कोर्ट के कार्यक्रमों में भी यह बैंड भेजा जाता है.